समाज में आम कहावत है कि अब प्योर चीज है ही नहीं। विश्वास नाम की चीज बची नहीं है। हर चीज मिलावटी मिल रही है। भला कोई खाए-पीए तो क्या? लेकिन, एक जगह ऐसी भी है जिसे जाना ही प्योरिटी के लिए है। धामावाला में स्थित भारती डेयरी फार्म के ओनर मुकेश कुमार गर्ग बचपन से आज तक प्योरिटी मेंटेन करते चले आ रहे हैं। यही प्योरिटी उनकी एक खास पहचान बन गयी है।

जन्म हुआ दून में

भारती डेयरी फार्म के ओनर मुकेश कुमार गर्ग बताते हैं कि फादर स्व। जनेश्वर दास गोयल ने 1952 में देहरादून की पुरानी कोतवाली बिल्डिंग, नहर वाली गली में डेयरी की स्थापना की। बाद में यह डेयरी धामावाला में संचालित होने लगी। इससे पहले फादर ने डेयरी की स्थापना 1940 में रुड़की में की थी। 1955 में फादर के इस कारोबार के साथ उनके बहनोई स्व। ओमप्रकाश गर्ग भी जुड़ गए। दून के धामावाला में ही मुकेश कुमार का जन्म हुआ। उन्होंने बताया कि पूर्वज मूलरूप से देवबंद के रहने वाले हैं। मुकेश कुमार गर्ग के अनुसार उनकी हाई स्कूल तक की पढ़ाई-लिखाई दून में ही हुई। बचपन से कारोबार हाथ बंटाने की वजह से आगे की पढ़ाई नहीं हो सकी।

दत्तक पुत्र के रूप में लिए गोद

मुकेश कुमार गर्ग ने बताया कि उनके फूफा स्व। ओमप्रकाश गर्ग ने उन्हें बचपन में ही गोद ले लिया था। तब से उनके दत्तक पुत्र बन गए। फादर के साथ उनके बहनोई डेयरी के काम में आजीवन साथ रहे थे। मुकेश कुमार गर्ग ने बताया कि उनके जन्मदाता पिता ने 1975 में ही उन्हें डेयरी पर बैठाना शुरू कर दिया था। सिखाना शुरू कर दिया था। बचपन से व्यवसाय में हाथ बंटाने की वजह से वे इस काम की सभी बारीकियों से रूबरू हो गए थे।

प्योरिटी में नहीं कोई मुकाबला

पहले रुड़की और फिर देहरादून में डेयरी स्थापना के बाद से प्योरिटी ही इस फर्म की विशेष पहचान बन गयी। क्या दूध-दही और क्या घी, तब से लेकर आज तक डेयरी प्रोडक्ट्स में भारतीय डेयरी फार्म का किसी से कोई मुकाबला ही नहीं है। उन्होंने बताया कि फादर ने शुद्धता को लेकर एक स्लोगन दिया था। खाद्य पदार्थो का शुद्ध विक्रय करना हमारा कर्तव्य और समाज की सेवा है। बचपन से लेकर आज तक उन्होंने अपनी फादर के सिद्धांत के साथ कोई समझौता नहीं होना दिया। यही वजह है कि डेयरी पर उपलब्ध मिल्क प्रोडक्ट्स के जो ग्राहक बहुत पुराने हैं। यही नहीं दूर-दराज के जिलों से भी जो लोग एक बार डेयरी प्रोडक्ट्स की प्योरिटी परख लेते हैं तो वे दोबारा यहां आकर घी आदि खाद्य पदार्थ अपने साथ ले जाना पसंद करते हैं। डेयरी के ओनर का कहना है कि डेयरी प्रोडक्ट्स की प्योरिटी को चेंलेज कर मिलावट सिद्ध करने वाले के लिए पच्चीस हजार रुपये नकद इनाम देने की हमने घोषणा कर रखी है।

समाज सेवा में रहते हैं अग्रणी

उन्होंने बताया कि समाज सेवा में हमेशा ही अग्रणी रहते हैं। उनके द्वार से कभी कोई भी असहाय, गरीब व्यक्ति खाली नहीं गया। जितनी हो सकती है, हर व्यक्ति की मदद जरूर करते हैं। धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में हमेशा आर्थिक रूप से भी सपोर्ट जरूर करते हैं।

विशेष बॉक्स

सामाजिक, व्यापारिक और धार्मिक संस्था में पदाधिकारी

-1984 से लेकर 1990 तक युवा व्यापार मंडल दून के महामंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली।

-धामावाला व्यापार समिति के महामंत्री के पद पर भी करीब पन्द्रह साल से अधिक समय तक दायित्व का निर्वहन करते रहे।

-दुर्गा वैष्णव मंदिर, धामावाला में वरिष्ठ कार्यकर्ता के रूप में लम्बे समय से सेवारत।

-1985 से लेकर 1990 में उप्र दुग्ध व्यापार संगठन समिति के कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में कार्य किया।

खास बॉक्स

बेटे के नाम को बनाया ब्रांड ने

उन्होंने बताया कि जनवरी 1977 में उनकी मैरिज मुरादाबाद निवासी छाया गर्ग से हुई। छाया का परिवार भी डेयरी कारोबार से जुड़ा हुआ है। नवम्बर 1977 में पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। उसका नाम अनूप रखा गया। बेटे अनूप के नाम पर ही अपने घी का नाम अनूप रख दिया गया। तब से लेकर आज तक घी का ब्रांड नेम अनूप ही पड़ गया।

प्रोफाइल

नाम-मुकेश कुमार गर्ग

ओनर-भारती डेरी फार्म

एजुकेशन-हाईस्कूल

पसंद

खेल-क्रिकेट

खाने में-खीर, कचौड़ी और आलू गोभी की सब्जी।

फिल्म-राम तेरी गंगा मैली

गाना-बाबूल की दुआएं लेती जा

पसंदीदा स्थान-बद्रीनाथ और तिरुपति बालाजी