आई एक्सक्लूसिव

-लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने आई नेक्स्ट को बताई चौंकाने वाली सच्चाई

-सियासत में कुछ दल लगाना चाहते हैं मेरे संगीत का तड़का-नेगी

DEHRADUN: कभी 'नौछमी नारैणा' से लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने कांग्रेस की नींद उड़ाई, तो कभी 'कतगा जी खैल्यू, रिश्वत कू रैलू' से बीजेपी का चैन लूट लिया। सूबे में फिर मौसम चुनाव का आने को है। नेगीदा पर फिर से दबाव है, कि वह अपनी लेखनी से कुछ ऐसा उगल दें, जो हरीश रावत सरकार की चूलें हिला दे। आई नेक्स्ट से खास बातचीत में पहाड़ के प्रख्यात लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने इस बात का खुलासा किया। हालांकि नेगी ने ये बात नहीं बताई कि उन्हें हरीश रावत के खिलाफ गीत लिखने के लिए किसने दबाव बनाया और गीत की क्या कीमत लगाई। नेगी ने बस इतना कहा कि वे किसी के कहने से कुछ नहीं लिखने-गाने वाले। वे वही करेंगे, जो उनका मन कहेगा। चुनाव लड़ने की अटकलों पर भी नेगी ने विराम लगा दिया और कहा कि अगर चुनाव लड़ना होता तो वे ख्0क्ख् में ही मैदान में होते।

बतौर संस्कृतकर्मी खुश हूं

उत्तराखंड में सांस्कृतिक विकास के लिए नरेंद्र सिंह नेगी पिछले कुछ समय से हरीश रावत सरकार के साथ खडे़ दिखाई दिए हैं। सोशल मीडिया पर इसको लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हैं। सीएम हरीश रावत के प्रति नेगीदा के नरम रुख को सियासी चश्मे से ही देखा जाता रहा है। नेगी का कहना है कि खनन, शराब को लेकर काम सही नहीं हो रहा है, लेकिन सांस्कृतिक विकास के लिए कई अहम कदम उठे हैं। राज्य गीत बन गया है। लोक भाषा अकादमी बन रही है। जागर कॉलेज का फैसला हो चुका है। उन्होंने बताया कि बतौर संस्कृतकर्मी सरकार के काम से वे खुश हैं।

सियासी दल उठाते हैं फायदा

सीएम हरीश रावत के खिलाफ फिलहाल गीत न बनाने के कुछ और कारण भी नेगीदा गिनाते हैं। मसलन, सीडी एलबम के लिए उपयुक्त मार्केट का न होना। इसके अलावा, वे ये भी महसूस करते हैं कि उनके सरकार विरेाधी गीतों का जनता को तो कोई फायदा नहीं पहुंचता, सियासी दल जरूर लाभ ले लेते हैं, इसलिए न तो वे टूल बनना चाहते, न ही टाइप्ड होना चाहते हैं।

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नहीं लड़ूंगा चुनाव-नेगी

विधानसभा के कई चुनावों में नरेंद्र सिंह नेगी ने क्षेत्रीय दलों, खास तौर पर यूकेडी के लिए खुलकर प्रचार किया है, मगर अब वे इनसे पूरी तरह से मायूस हो चुके हैं। बकौल नेगीदा, इस बार के चुनाव में वे क्षेत्रीय दलों का प्रचार नहीं करेंगे। गीत-संगीत आजीविका है, इसलिए कोई दल यदि व्यवसायिक तौर पर एप्रॉच करेगा तो जरूर वे उस पर विचार करेंगे। नेगी के चुनाव लड़ने की हर बार अटकलें लगती हैं, मगर नेगीदा का कहना है कि इस मामले में उनकी दिलचस्पी नहीं है। नेगीदा का कहना है कि सरकारी नौकरी से हटे दस साल हो गए, चुनाव लड़ना होता, तो पहले ही लड़ लेता।