-राज्य के बैंकों में 1600 करोड़ का कारोबार हुआ प्रभावित

-दून में बैंकों की 700 ब्रांचेज रहीं बंद

-दून में 10 ट्रेड यूनियन्स के करीब 25 हजार कर्मचारी रहे हड़ताल पर

देहरादून: श्रम कानूनों में बदलाव की मांग के साथ-साथ विदेशी निवेश को बढ़ावा देने और रोड सेफ्टी बिल के विरोध में ट्रेड यूनियनों ने शुक्रवार को केंद्र सरकार के खिलाफ देशव्यापी बंद रखा। उत्तराखंड को ये एक दिन की हड़ताल 1600 करोड़ की पड़ी। राज्य के ज्यादातर बैंक इस हड़ताल में शामिल थे। राज्य में बैंकों की 1800 ब्रांचेज बंद रहीं, जिससे 1600 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ। देहरादून में ट्रेड यूनियनें गांधी पार्क में एकत्र हुईं। इन्होंने मिलकर घंटाघर तक सांकेतिक रैली भी निकाली।

हड़ताल में शामिल यूनियन्स

इंटक, सीटू, एटक, एक्टू, उत्तराखंड बैंक इंप्लाइज यूनियन, एआइडीईएफ, आइएनडीडब्ल्यूएफ, केंद्रीय कर्मचारी कामगार महासंघ, उत्तर प्रदेश उत्तराखंड मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तराखंड रोडवेज इंप्लाइज यूनियन, बीएसएनएल इंप्लाइज यूनियन, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक की एआइबीईए, एआइबीओसी, एआइबीओए, बीईएफआइ, आइएनबीईसी, आइएनबीओसी, कर्मचारी संगठन गढ़वाल मंडल विकास निगम, बिजली कर्मचारी संघ, रक्षा अनुसंधान, आयुध निर्माणी, एमईएस, डाकघर, आयकर, परिवहन, औद्योगिक संस्थान, बीमा, होटल वर्कर, चाय बागान।

क्या हैं ट्रेड यूनियनों की मांगें

-कम से कम सैलरी 18 हजार रुपये की जाए।

-ठेकेदारी प्रथा बंद हो और श्रमिकों को परमानेंट किया जाए।

-रेल, रक्षा, बीमा क्षेत्र में एफडीआई पर पूरी तरह रोक लगे।

-रोड सेफ्टी बिल वापस लिया जाए।

-ग्रेच्युटी का भुगतान 45 दिन प्रतिवर्ष के हिसाब से हो।

-सभी श्रमिकों के लिए 3 हजार रुपये पेंशन तय की जाए।

-महंगाई पर रोकने के लिए ठोस नीति बनाई जाए।

-सरकारी बैंकों के एनपीए के सात लाख करोड़ रुपये की वसूली हो।

-चाय बागान की भूमि पर श्रमिकों को मालिकाना हक दिया जाए।

-श्रम कानून सख्ती से लागू हों और श्रमिक विरोधी संशोधनों को वापस लिया जाए।

-आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ता, भोजनमाता, ग्राम प्रहरी आदि को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए।

-राज्य कर्मचारियों की पुरानी पेंशन नीति को बहाल किया जाए।