PATNA : सरकार स्टूडेंट्स को बेहतर शिक्षा और सुविधा दिलाने के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है। इसके बावजूद भी इसका लाभ छात्रों को नहीं मिल रहा। जहां स्कूलों में प्रयोगशाला कीसुविधा है वहां स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल ही नहीं कराया जाता। कई स्कूलों के प्रयोगशाला रूम में तो ताला लटका रहता है और यह तभी खुलता है जब छात्र परीक्षा देने आते हैं। कई स्कूलों का हाल ऐसा है कि प्रैक्टिकल की परीक्षा समाप्त होने के बाद प्रयोगशाला में यूज होने वाले सभी इंस्ट्रूमेंट को आलमारी में बंद कर दिया जाता है। अब सवाल उठता है कि आखिर परीक्षा के दौरान प्रैक्टिकल में छात्र और छात्राओं को आखिर मार्क्स किस आधार पर दिया जाता है। 'प्रैक्टिकल का दुरुपयोग' कैंपेन के तहत आज दैनिक जागरण आई नेक्स्ट पुनाईचक पटना स्थित श्री आर.एल.एस.वाई.एस हाई स्कूल पहुंच वहां के प्रैक्टिकल रूम का जायजा लिया। तो कई बाते सामने आई। पेश है खास रिपोर्ट
फैक्ट फिगर
स्कूल : श्री आर.एल.एस.वाई.एस हाई स्कूल
स्थान : पुनाईचक पटना
प्राचार्या : नीरा कुमारी
छात्रों की संख्या : 8क् (साइंस में)
शिक्षकों की संख्या : ख् (साइंस में)
प्रयोगशाला : फ् (रसायन, भौतिक, जीव विज्ञान )
इंटर का रिजल्ट : भ्0 प्रतिशत
प्रैक्टिकल में पास प्रतिशत: क्00 प्रतिशत
प्रैक्टिकल में मिनिमम-मैक्सिमम मार्क्स : ख्भ्-फ्0
आंखों देखी
'प्रयोग का दुरुपयोग' कैंपेन के तहत दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम जब पुनाईचक स्थित श्री आर.एल.एस.वाई.एस हाई स्कूल पहुंची तो पता चला कि प्लस टू में वर्ष ख्009 से फिजिक्स के टीचर नहीं हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स को पिछले 8 साल से प्रैक्टिकल नहीं कराया गया। यहां मौजूद छात्र और छात्राओं से जब फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी से संबंधित कुछ क्वेश्चन किए गए तो किसी ने उसका सही जवाब नहीं दिया। यहां तक की छात्रों को ऑक्सीजन और पानी का फॉमूला तक पता नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि बिना पढ़ाई किए इन बच्चों को प्रैक्टिकल में कैसे मार्क्स मिल जाता है।
ऐसे बरसे थे प्रैक्टिकल में मार्क्स
इंटरमीडिएट परीक्षा में ख्0क्म्-ख्0क्7 में पास हुए कुछ स्टूडेंट्स का जब प्रैक्टिकल मार्क्स चेक किए गए तो वो चौंकाने वाले थे। फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायो इन तीनों विषयों के प्रैक्टिकल में अधिकांश बच्चों को प्रैक्टिकल में ख्भ् से फ्0 मार्क्स दिए गए हैं। कुछ रॉल नंबर का रिजल्ट आप भी देखें।
प्रैक्टिकल के मार्क्स
रॉल नंबर फिजिक्स केमिस्ट्री बायो
क्70क्00क्ख् ख्7/ फ्0 ख्7/ फ्0 -----
क्70क्00ख्0 ख्7/ फ्0 ख्8 / फ्0 -----
क्70क्00भ्7 ख्म्/ फ्0 ख्भ् / फ्0 -----
क्70क्00क्9 ख्7/ फ्0 ख्8 / फ्0 -----
फिजिक्स
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर जब फिजक्स लैब रूम में पहुंचा तो वहां का नजारा देखकर ऐसा लग रहा था कि यहां कभी प्रैक्टिकल क्लास कराया ही नहीं जाता। स्कूल में फिजिक्स के टीचर पिछले आठ साल से नहीं है। ऐसे में परीक्षा के समय बच्चों को आंख बंद कर नम्बर दे दिया जाता है। न प्रैक्टिकल क्लास कराया जाता है और न ही थ्योरी।
केमेस्ट्री
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम जब केमेस्ट्री विभाग पहुंची तो प्रयोगशाला रूम बंद मिला। रिपोर्टर के आग्रह पर कमरे को खोला गया। कमरे में प्रैक्टिकल का सामान नहीं के बराबर था। विभाग के टीचर डॉ। अलोकिता कश्यप ने बताया कि यहां कोई भी लैब असिस्टेंड नहीं है। स्कूल को फंड न मिलने के चलते प्रयोग में आने वाले सामानों की खरीददारी भी नही की जाती।
जीव विज्ञान
रिपोर्टर जब जीव विज्ञान विभाग के प्रयोगशाला में पहुंचा तो पाया कि लैब में कुछ सामान यूं ही पड़ा हुआ है। देखने से ऐसा लग रहा था जैसे कभी इसका इस्तेमाल हुआ ही न हो। ऐसे में सवाल यह उठता है कि प्रैक्टिकल में अच्छे मार्क्स कैसे मिल जाते हैं?
प्लस टू विभाग में फिजिक्स के टीचर और सेकेंडरी विभाग में एक भी साइंस के टीचर न रहने के चलते स्टूडेंट्स का पढ़ाई सफर करता है। रसायन और जीव विज्ञान के प्रायोगिक कार्य होता है।
- नीरा कुमारी, प्राचार्य, श्री आर एल एस वाई एस हाई स्कूल पुनाईचक
सुने हैं कि यहां प्रैक्टिकल होता है। हमने आज तक नहीं किया है। जब होगा तो लाइव देखने को मिलेगा।
-सरोज कुमार, स्टूडेंट
मैने आज तक प्रैक्टिकल नहीं कार्य नहीं किया। स्कूल में साइंस के टीचर न रहने के चलते सही ढंग से थ्योरी तो होता नहीं तो प्रैक्टिकल कहां से होगा- रवि कुमार, स्टूडेंट
प्लस टू में फिजिक्स के टीचर नहीं हैं इसलिए प्रैक्टिकल कार्य भी नहीं हो रहा है। एग्जाम को लेकर हम लोग बहुत चिंतित हैं - वीरु राज, स्टूडेंट
शिक्षा विभाग की खराब व्यवस्था के चलते हम लोग फिजिक्स नहीं पढ़ पा रहे हैं यहां पर फिजिक्स के टीचर ही नहीं है।
- सुमित कुमार
पिछले 8 साल से यहां फिजिक्स के टीचर नहीं है। हमारे सीनियर जैसे पास हुए वैसे हम लोग भी पास कर लेंगे।
- संजेश कुमार, स्टूडेंट