पटना (ब्यूरो)। देश के बड़े शहरों की तरह पटना के लोगों का भी सपना है कि वे मेट्रो की सवारी करें। कम समय में बिना ट्रैफिक जाम झेले अपने गंतव्य तक पहुंच सकें। इस सपने को साकार करने के लिए राजधानी पटना में मेट्रो प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है। ग्राउंड पर इसका काम 2020 से से चल रहा है, लेकिन यह काम इतना धीमा चल रहा है कि शहर के लोगों को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। शहर के कई प्रमुख हिस्सों में सड़कें खोद कर बैरिकेडिंग कर दी गई है। इसकी वजह से लोगों को हर दिन जाम से बड़ी परेशानी झेलनी पड़ रही है। आप चाहें इमरजेंसी में हॉस्पीटल जा रहे हों या फिर किसी जरूरी यात्रा के लिए स्टेशन या एयरपोर्ट जा रहे हों, यह जाम तो झेलना ही पड़ेगा। अगर आपको मेट्रो की सवारी करनी है तो यह परेशानी लंबी अवधि तक झेलनी पड़ेगी।

सबसे पहला जाम तो आपको स्टेशन के पास ही झेलना पड़ेगा जहां सड़क खोद कर बैरिकेंिडग की गई है। दूसरा जाम आपको शहर के बीचोबीच डाकबंगला टौराहे पर मिलेगा जहां से शहर के चारों तरफ आना-जाने वालों का तांता लगा रहता है। तीसरा और बड़ा जाम अशोक राजपथ पर लगता है। यहां भी गांधी मैदान से लेकर अशोक राजपथ तक सड़क खोद दी गई है और बैरिकेडिंग कर दी गई है। इसकी वजह से इलाज कराने के लिए लोगों को पीएमसीएच आने-जाने में काफी परेशानी होती है। इसके अलावा पटना विवि या कॉलेजों व अन्य शिक्षण संस्थानों में जाने के लिए छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी होती है।

अगर आपका ऑफिस सुबह के दस बजे से है या ट्रेन पकडऩी है, तो निर्धारित समय से एक घंटे पहले निकलें क्योंकि पटना मेट्रो की वजह से शहर की ट्रैफिक व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई है। बिना किसी सूचना या नोटिफिकेशन के शहर के कई इलाकों में रोड पर बैरिकेटिंग कर दी गई है। एक लेन में अप और डाउन की व्यवस्था जिला प्रशासन की ओर से की गई है, जिस वजह से शहर में पूरे दिन जाम का झाम से लोग जूझते रहते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर अस्पताल जाने वाले एंबुलेंस को भी जाम छूटने का इंतजार करना पड़ता है। इसकी शिकायत दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के पास पिछले कई दिनों से मिल रही थी। हकीकत जानने के लिए हमारी टीम ने शहर के तीन इलाकों में जाकर मुआयना किया तो पता चला विकास की जाम की वजह से किसी की ट्रेन छूटती है तो कोई समय पर ऑफिस नहीं पहुंच पाता है पढि़ए विस्तृत रिपोर्ट

ट्रैफिक पुलिस नहीं दे रही है ध्यान

डाकबंगला चौराहा जहां पटना जंक्शन, आयकर चौराहा, एक्जीबिशन रोड गांधी मैदान की तरफ रास्ता जाता है। इस रूट पर एक लेन को पटना मेट्रो की तरफ पूरी बेरिकेटिंग कर दी गई है। काफी संख्या में नौकरी पेशा वाले लोग प्रति गुजरते हैं। कई बार ट्रैफिक जाम की वजह से लोगों को दफ्तर पहुंचने में लेट हो जाती है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं। हमारी टीम जब मौके पर पहुंची तो राहगीरों ने बताया कि मेट्रो की काम की वजह से जाम लगा है। इसको लेकर कोई समस्या नहीं है लेकिन ट्रैफिक जाम वाले प्वाइंट पर वाहन चालक ओवर टेक करते हैं जहां ट्रैफिक पुलिस के कंट्रोल नहीं होने से पूरे दिन जाम लगा रहता है।

अस्पताल जाने वाले मरीज होते हैं परेशान

राज्य के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच जहां पटना ही नहीं आसपास के जिलों से भी इलाज कराने के लिए लोग आते हैं। मगर अशोक राजपथ पर पहुंचने के बाद उन्हें पीएमसीएच पहुंचने में एक घंटे से अधिक का वक्त लगा जाता है। पटना मेट्रो की वजह से अशोक राजपथ पर काम चल रहा है और सड़क की दोनों तरफ फुटकर व्यापारियों का कब्जा रहता है। लोग वाहन रोक कर सामान खरीदते हैं ऐसे में वाहन पास करना मुश्किल रहता है। इस इलाके में दिन भर जाम लगा रहता है और ट्रैफिक पुलिस मूक दर्शन बनी रहती है।

150 मीटर की दूरी तय करने में लगता 20 मिनट

जीपीओ से पटना जंक्शन की दूरी महज 150 मीटर है, मगर पटना जंक्शन पहुंचने में वाहन चालकों को कम से कम 20 मिनट का समय लगता है। मेट्रो निर्माण कार्य की वजह से मल्टी लेवल पार्किंग की तरफ और हनुमान मंदिर के सामने बैरिकेटिंग कर दी गई है। फ्लाईओवर के नीची फुटकर व्यापारियों का कब्जा रहता है। राहगीर बीच सड़क पर वाहन लगाकर खरीदारी करते हैं। इस वजह से दिन भर जाम लगा रहता है। पुलिस कन्ट्रोल बूथ होने के बावजूद यहां ट्रैफिक व्यवस्था पर नियंत्रण नहीं है। राहगीरों ने बताया कि मेट्रो की वजह से आधी सड़क को छेक लिया गया है। इस वजह से वाहन का निकलना मुश्किल है। सरकार को इसके लिए पूर्व में सूचना देनी चाहिए, ताकि लोग सतर्क हो जाएं और समय से पहले ट्रेन पकडऩे के लिए निकलें ।

अतिक्रमण की वजह से लग रहा है समय

पटना मेट्रो के लिए जिस रफ्तार से काम चल रहा है, उस हिसाब से पांच से छह से साल जाम रहेगा। नाम न छापने की शर्त पर मेट्रो प्रोजेक्ट में लगे एक इंजीनियर ने बताया कि मेट्रो निमार्ण कार्य 2027 से पहले होना संभव नहीं है। सितम्बर 2020 से काम लगातार चल रहा है। अधिकांश जगह अतिक्रमण का मामला है। कई स्पॉट पर तोड़-फोड़ करना पड़ रहा है जिस वजह से समय लग रह है।