इंडिपेंडेंट चुनाव लड़ा
रिपोर्ट के मुताबिक, ऋचा सिंह जोकि एक रिसर्चर स्कॉलर हैं। उन्होंने कुछ साल पहले एक फ्रेंड्स क्लब बनाया था। जिसको वह लीड कर रहीं थीं। इसके बाद जब यूनिवर्सिटी में इलेक्शन हुए तो वह भी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने लगीं। वैसे विश्वविद्यालय कैंपस में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) जैसी मजबूत पार्टी थीं। लेकिन ऋचा ने सबको मात देते हुए विजय हासिल की।
और रच दिया इतिहास
ऋचा सिंह की इस जीत ने न सिर्फ एबीवीपी जैसी दिग्गज पार्टियों को झटका दिया है। बल्िक एक नया इतिहास रच दिया। बताया जा रहा कि इकोनॉमिक्स से एम.ए करने वाली ऋचा आजादी के बाद पहली बार इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की पहली महिला छात्रनेता हैं। हालांकि इनसे पहले 1927 में कुमारी एसके नेहरू ने अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला था। लेकिन उस समय भारत अंग्रेजों का गुलाम था। वैसे ऋचा सिंह को यह जीत सिर्फ 71 वोटों के अंतर से मिली है।
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