RANCHI: सीयूजे के मेस के खाना को वार्डेन ने रिजेक्ट कर दिया था। इसके बावजूद स्टूडेंट्स को वही घटिया खाना खिलाया गया। इससे करीब 25 स्टूडेंट्स को मंगलवार की रात से ही उल्टी होने लगी। गंभीर अवस्था में 12 स्टूडेंट्स को हॉस्पिटल में भी एडमिट करना पड़ा। जहां स्टूडेंट्स को दो-दो बोतल स्लाइन चढ़ा। वहीं, बुधवार को भी एक स्टूडेंट आकाश हॉस्पिटल में एडमिट रहा। हालांकि अन्य स्टूडेंट्स को अस्पताल से रिलीज कर दिया गया है।

वार्डेन से की थी कंप्लेन

मंगलवार की रात जब स्टूडेंट्स को मेस का खाना दिया जा रहा था, तो स्टूडेंट ने घटिया खाना देने की शिकायत वार्डेन से लिखित एप्लीकेशन देकर की थी। इसके बाद वार्डेन ने भी खाना देखा और अप्लीकेशन पर साइन कर खराब खाने की मुहर भी लगा दी थी। इसके बाद भी स्टूडेंट को यही खाना खिलाया गया। जिन स्टूडेंट ने मजबूर होकर खाना खाया वो मंगलवार की रात को ही अस्पताल पहुंच गए। दर्जन भर स्टूडेंट्स को काठीटांड़ स्थित संजीवनी नर्सिग होम में एडमिट कराया गया था। मामले में डीएसडब्ल्यू एमके समदर्शी ने मंगलवार को ही रिजाइन कर दिया।

मेस की व्यवस्था सुधरने तक धरना

सीयूजे में बुधवार की सुबह से ही सैकड़ों स्टूडेंट्स प्रशासनिक भवन के पास जमा होकर वीसी और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। कहा कि जब तक मेस की व्यवस्था में सुधार नहीं किया जाता, तब तक हम लोग धरना देते रहेंगे। इस दौरान थाली में स्टूडेंट्स वो रोटी भी लेकर बैठे थे, जो उन्हें मंगलवार की रात को खिलाया गया था। सुबह से ही सेंट्रल यूनिवर्सिटी कैंपस में पुलिस फोर्स की तैनाती कर दी गई थी। धरना के दौरान ही 3.30 बजे के करीब एक स्टूडेंट संजय बेहोश हो गया। लेकिन उसे देखने तक कोई नहीं आया। सहपाठी उसे उठाकर कमरे में ले गये और उसे होश में लाया गया। इतना ही नहीं, धरना पर बैठे कई स्टूडेंट्स की स्थिति भी अच्छी नहीं है।

बोले वीसी-15 दिन में मेस की नई व्यवस्था

धरना और हंगामे के साथ सभी स्टूडेंट्स गेस्ट हाउस की तरफ गए और नारेबाजी करने लगे। वीसी को हटाने की डिमांड की। इसके बाद सीयूजे के वीसी डॉ। एएन मिश्रा प्रशासनिक भवन के पास धरना दे रहे स्टूडेंट्स के पास उनसे बातचीत करने पहुंचे। उन्होंने स्टूडेंट्स से कहा कि मेस वाले का टेंडर कैंसिल कर दिया गया है और 15 दिनों के अंदर में दूसरी व्यवस्था कर दी जाएगी। तब तक आपलोग बाहर खाना खा सकते हैं या फिर कैफेटेरिया का इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं जब स्टूडेंट्स ने पूछा कि हमारा पैसा कौन देगा तो इस पर वीसी चुप हो गए। स्टूडेंट्स ने वीसी की बात नहीं मानी और धरना जारी रखा। इनका कहना है कि खराब खाना पहले से ही खि लाया जा रहा है हम बीमार हो रहे हैं और यहां के वीसी को इससे कोई मतलब नहीं है। वहीं, खाने की शिकायत जब हमने वीसी से की तो हम लोगों को भगा दिया गया।

चार दिन से खिला रहे थे घटिया खाना

मेस के खराब खाने का मामला पिछले चार दिनों से चल रहा है। स्टूडेंट्स का कहना है कि पिछले चार दिनों से मेस में खराब खाना खिलाया जा रहा है। यही नहीं मेस वाले का कहना है कि हम केवल 150 स्टूडेंट्स को ही खाना खिला सकते हैं, इससे अधिक स्टूडेंट्स को खाना हम नहीं खिला सकते हैं। इस बारे में जब स्टूडेंट्स वीसी डॉ। एएन मिश्रा के पास गए तो उन्होनें कहा कि ऐसी बात नहीं है। मेस सभी स्टूडेंट्स को खाना खिलाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दबाव में आने के बाद मेस वाले ने घटिया खाना खिलाना शुरू कर दिया।

छह साल से एक ही एजेंसी को मेस का टेंडर (प्वाइंट टू बी नोटेड)

सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड बनने के बाद से एक ही एजेंसी को मेस का टेंडर क्यों दिया जा रहा है। ओडि़शा की एजेंसी जेएसएस को पिछले छह साल से ग‌र्ल्स और ब्वॉयज स्टूडेंट्स की मेस की कमान सेंट्रल यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दी है। वहीं बीच में एक बार इंडिगो नाम से मेस का टेंडर बदला गया था, लेकिन कर्मचारी जेएसएस के ही थे। इसके लिए सेंट्रल यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।

छह महीने का एडवांस लेते हैं पैसा(बॉक्स)

सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड में एडमिशन के समय ही मेस का छह महीने का एडवांस पैसा ले लिया जाता है। एक स्टूडेंट से 1200 रुपए हर महीने लिया जाता है। इसके बाद घटिया खाना दिया जाता है। वहीं, अब ये नया नियम बन गया है कि जब तक स्टूडेंट मेस के लिए पैसा जमा नहीं करेंगे, तब तक उन्हें हॉस्टल की भी फैसिलिटी नहीं मिलेगी। इसलिए पहले मेस का पैसा जमा कराइए तभी आपको हॉस्टल भी एलॉट किया जाएगा। इसके अलावा केवल चार महीने ही मेस की फैसिलिटी मिलती है दो महीने छुट्टी रहती है। उसका पैसा स्टूडेंट्स को नहीं लौटाया जाता है। इसका भी पहले स्टूडेंट विरोध कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गई। वहीं मेस को लेकर पिछले दो साल से स्टूडेंट्स विरोध कर रहे हैं, लेकिन सुधार नहीं हो रहा है।