रांची(ब्यूरो)। इस साल राजधानी रांची सहित राज्यभर में बिजली की किल्लत नहीं होगी। झारखंड को इस साल 1020 मेगावाट अतिरिक्त बिजली मिलेगी। इस साल से नॉर्थ कर्णपुरा ग्रिड से झारखंड को 340 मेगावाट बिजली मिलेगी। वहीं नॉर्थ कर्णपुरा थर्मल प्लांट से 1980 मेगावाट बिजली मिलेगी। यहां की 3 यूनिट में प्रत्येक से 660 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। पहली और दूसरी यूनिट से झारखंड को प्रत्येक से 170-170 मेगावाट बिजली मिलेगी। पतरातू थर्मल पावर प्लांट से अप्रैल-जून 2024 से 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। इसमें से 85 परसेंट बिजली झारखंड को मिलेगी। झारखंड को पहली यूनिट से 680 मेगावाट बिजली मिलेगी।

नए प्लांट से उत्पादन होगा

बताया जा रहा है कि पतरातू थर्मल पावर प्लांट से अप्रैल-जून 2024 से 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। इसमें से 85 परसेंट बिजली झारखंड को मिलेगी। झारखंड को पहली यूनिट से 680 मेगावाट बिजली मिलेगी। बता दें कि झारखंड को अपनी 70 परसेंट उर्जा जरूरतों के लिए केंद्र सरकार के अधीन संस्थाओं से बिजली खरीदनी पड़ती है। झारखंड में पर्याप्त बिजली आपूर्ति के लिए 2500-2600 मेगावाट बिजली चाहिए, लेकिन इतनी उपलब्ध नहीं है जिसकी वजह से शहरों में भी बिजली कटौती की समस्या होती है। गर्मियों में ये समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है।

वायर चेंज होंगे

तार को हाई वोल्टेज डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में बदलकर वोल्टेज को सही किया जाएगा। कैपासीटर, वीसीबी और एबी स्विच की कमी दूर की जाएगी। वहीं, 13.41 लाख स्मार्ट मीटर बनाए जाएंगे। 72 नए कृषि फीडर स्थापित किए जाएंगे। 11 केवी की 25,516 सर्किट किमी लाइन शहरी क्षेत्र में कवर्ड वायर में बदली जाएगी। लाइन लॉस को कम करने के लिए लंबे फीडर छोटे होंगे। 5395 ट्रांसफार्मर जोड़े जाएंगे।

एग्रीकल्चर फीडर होगा मजबूत

मुख्य रूप से नए कृषि फीडर, लंबे फीडरों को छोटा करने, कवर्ड वायर, 11 केवी की नई लाइनें और विभिन्न क्षमताओं वाले नए ट्रांसफार्मर और स्मार्ट मीटर का निर्माण किया जाएगा। ये सारे कार्य शुरू करने के लिए अन्य जिलों में निविदा की प्रक्रिया चल रही है। भारत सरकार की रिवैम्प डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम राज्यों में बिजली नेटवर्क का विस्तार करने की एक परियोजना है। इस योजना में बिजली घाटा कम करने के लिए संसाधनों का विकास और प्री-पेड मीटर खरीदने पर लगभग 3200 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

डीवीसी पर कम होगी डिपेंडेंसी

झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) तेजी से दामोदर घाटी निगम पर निर्भरता खत्म करने की ओर अग्रसर हो रहा है। गोविंदपुर-चंदनकियारी संचरण लाइन का निर्माण पूरा हो गया है। इसके टावर पश्चिम बंगाल की सीमा में भी लगाए गए हैं। साथ ही संचरण निगम ने पतरातू सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर स्टेशन को बिजली देने के लिए 400 केवी का सब-स्टेशन भी बना लिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड उज्ज्वल योजना से उन स्थानों तक बिजली पहुंचाएंगे जो अभी तक विद्युतीकृत नहीं हुए हैं। इसपर 1485.30 करोड़ रुपये की लागत आएगी। जेबीवीएनएल के इस प्रस्ताव को कैबिनेट से सहमति मिल गई है। इसमें 1966 टोले 10 से अधिक घर और 851 टोले दस घर से कम वाले हैं। आंशिक तौर पर विद्युतीकृत टोले की संख्या 4980 है। शहरी क्षेत्र में ऐसे 1525 स्थान हैं। इस योजना को पूर्व में अनुश्रवण समिति की बैठक में स्वीकृति मिली थी। इस योजना की पूरी राशि राज्य सरकार देगी।

टीवीएनएल का होगा एक्सपेंशन

इस साल झारखंड में तेनुघाट थर्मल पावर प्लांट के विस्तार की उम्मीद है। इस प्लांट में 660 मेगावाट की दो और इकाइयां स्थापित होनी हैं। इस समय तेनुघाट में 210-210 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाली दो इकाइयां हैं। कुल क्षमता 420 मेगावाट है और औसतन करीब 350 मेगावाट उत्पादन हो रहा है। विस्तार के बाद यहां 660-660 मेगावाट क्षमता वाली दो और नई इकाइयां स्थापित की जाएंगी। इसके बाद टीवीएनएल की कुल उत्पादन क्षमता 1740 मेगावाट हो जाएगी। नए साल में ऐसी उम्मीद है कि पतरातु सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर स्टेशन की पहली यूनिट से जुलाई में 800 मेगावाट बिजली उत्पादन शुरू होने की है। उत्पादित 85 परसेंट बिजली झारखंड को मिलेगी, जो लगभग 680 मेगावाट होगी। इससे पहले नॉर्थ कर्णपुरा थर्मल पावर प्लांट की दूसरी यूनिट से भी फरवरी में उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। यहां 660 मेगावाट की तीन इकाइयों से कुल 1980 मेगावाट बिजली उत्पादन होना है। दूसरी यूनिट से झारखंड को करीब 170 मेगावाट बिजली मिलेगी।