- 'एक ग्राम एक सरोवर' अभियान के जरिए अरिल नदी संवारने का सिलसिला शुरू

- मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित जलपुरुष डॉ। राजेंद्र सिंह ने प्रशासन को दिखाया रास्ता

BAREILLY:

सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह के योजना के मुताबिक प्रदेश में विलुप्त 5 नदियों के पुनर्जीवीकरण के कार्य शुरू हो गए हैं। इसमें बरेली में डीएम आर विक्रम सिंह व सीडीओ सत्येन्द्र कुमार ने मझगवां ब्लॉक के ग्राम लोहारी में अरिल नदी के पुनर्जीवीकरण के कार्य का शुभारम्भ किया। बताया कि अरिल नदी रामनगर, मझगवां व आलमपुर जाफराबाद के 36 गांवों से गुजरेगी। मनरेगा से लोहारी गांव के क्षेत्र में करीब 4 लाख रुपए से नदी के पुनर्जीवीकरण का कार्य होगा। गांव के सरकारी स्कूल के निरीक्षण में प्रिंसिपल के नदारद होने पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।

समाज का सहयोग जरूरी

'नदियों को संवारना ही काफी नहीं उनमें अविरल प्रवाह बना रहे यह जरूरी है। समाज के सहयोग से नदी संवर भी सक ती है और समाज के निष्क्रियता से यह फिर से विलुप्त भी हो सकती है'। यह बात जलपुरुष डॉ। राजेंद्र सिंह ने बीसीबी में आयोजित 'एक ग्राम एक सरोवर व अरिल नदी पुनर्जीवीकरण संबंधी जनजागरुकता अभियान' के कार्यक्रम में कहीं। जो मुख्य वक्ता के तौर पर समाज को दिशा निर्देश देने के लिए आए थे। डॉ। डीके गुप्ता व डॉ। राजेंद्र सिंह की लिखित पुस्तकों को लोकार्पण किया गया। मंच पर केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार, सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह मौजूद रहे।

हकदारी से पहले जिम्मेदारी

मंच से जलपुरुष डॉ। राजेंद्र ने कहा कि लोग हक पहले जताने लगते हैं जबकि जिम्मेदारी नहीं निभाते। उन्होंने सुझाव दिया कि लोग पहले अपनी जिम्मेदारी निभाएं उसके बाद हकदारी जताएं तभी बड़े बदलाव संभव हैं। कहा, नदी के स्वास्थ्य से ही लोगों का स्वास्थ्य जुड़ा है। नदियां साफ व स्वच्छ रहेंगी तो मनुष्य भी स्वस्थ रहेगा। इस बात की पुष्टि उन्होंने राजस्थान में अपने अथक प्रयास से 11 नदियों को संवारने की पीपीटी दिखाकर की। जिसमें सागर से बादल का बनना और उनका बरसने के लिए किए गए प्रयासों को दिखाया। मौजूद लोगों ने उनकी इस पीपीटी को खूब सराहा।

शिमला क्रिटिकल जोन में

कार्यक्रम के दौरान प्रेसवार्ता में डॉ। राजेंद्र ने बताया कि देश में शिमला में आगामी वर्षो में सबसे पहले सूखे की समस्या दिखाई देने लगेगी। जमकर हो रही बारिश के बावजूद वहां पानी ठहर नहीं रहा। जिससे वहां शुद्ध पेयजल को लेकर त्राहि त्राहि मची है। वह खुद दो वर्षो से वहां पानी संचयन और वाटर रिचार्ज को प्रयासरत हैं, लेकिन अभी तक कोई खास एक्शन नहीं हो सका है। बताया कि उत्तर प्रदेश में सबसे पहले झांसी फिर बुंदेलखंड, बांदा और एमपी में जालौन और टीकमगढ़ में शुद्ध पेयजल की समस्या पनपेगी। कहा बरेली में फिलहाल दिक्कत नहीं, लेकिन चेते नहीं तो हो सकती है।

नदी को संवारने और कब्जामुक्त रखने का दिया मंत्र

आईडेंटीफिकेशन - नदियों और तालाबों को चिह्नित करना

डीमार्केशन - चिह्नित हुई जमीन का सीमांकन करना

नोटिफाइंग - सरकारी अभिलेखों में उसे तत्काल दर्ज कराना

6 एस से जल संचय

- रिस्पेक्ट रिवर

- रिड्यूस प्रोसेस

- रीट्रीट वाटर

- रिसाइकिल वाटर

- रियूज वाटर

- रिजूनेट नेचर बाई वाटर

Posted By: Inextlive