इराक में शीया और सुन्नी के बीच चल रहे युद्ध को लेकर अमेरिका के प्रेसीडेंट बराक ओबामा ने अपने 300 सैन्य सलाहकारों इराक भेजने का फैसला किया है.


हमारी जिम्मेदारी नहीं


इराक में बद-बदतर होते दिख रहे हालातों को देखते हुए अमेरिका ने अपनी ओर से मदद करने की बात कही है. अमेरिका चाहता है कि इराक में जल्द से जल्द शांति का माहौल हो लेकिन उसने ये भी साफ कर दिया है कि वो इराक में युद्ध नहीं चाहता है. अमेरिकी के प्रेसीडेंट बराक ओबामा ने कहा है कि वो इराक की समस्या को लेकर बेहद चिंतित हैं और जल्द ही इसका हल तो चाहते हैं लेकिन युद्ध नहीं चाहते. वहीं इराकी सरकार द्वारा हवाई हमले की अपील के बाद ओबामा ने कहा कि अमेरिका अपने 300 सैन्य सलाहकार इराक भेजने को तैयार है, जो कि वहां के मौजूदा हालातों का जायजा लेंगे. हालांकि उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि अमेरिकी सेनाएं इराक में युद्ध लड़ने के लिए नहीं लौटेंगी. उन्होंने कहा कि अमेरिका इराकी सेना का साथ देगा. ओबामा ने कहा कि हम इराक में स्थिरता चाहते हैं और इराकी जनता को एकजुट होकर लड़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि इराक का नेता चुनना हमारी जिम्मेदारी नहीं है.अभी भी मौजूद आतंकी

माना जा रहा है कि इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट के (आइएसआइएल) के आतंकी बगदाद से मात्र 50 किमी दूर रह गए हैं. वहीं राजधानी से 200 किमी दूर तकरित के समीप बैजी रिफाइनरी पर नियंत्रण के लिए जबरदस्त संघर्ष जारी है. इराकी सेनाओं का दावा है कि उन्होंने तेल रिफाइनरी पर नियंत्रण कर लिया है. हालांकि कर्मचारियों का कहना है कि आतंकी अब भी रिफाइनरी के अंदर मौजूद हैं और सेना से मुकाबला कर रहे हैं. दो स्थानों पर रखा गयादूसरी तरफ, इराक में फंसे भारतीय नागरिकों को लेकर भारत ने कहा कि हिंसाग्रस्त इराक के मोसुल शहर में अगवा हुए सभी 40 भारतीय नागरिक सुरक्षित हैं और इराकी अधिकारियों ने उनके ठिकानों की पहचान कर ली है. भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पंजाब के कुछ अगवा भारतीयों के परिवार के सदस्यों से कहा है कि वो पूरी तरह से सुरक्षित हैं और उन्हें दो स्थानों पर रखा गया है. एक कपास मिल और एक सरकारी इमारत.

Posted By: Subhesh Sharma