समाज के कमज़ोर वर्ग की महिलाओं को बेहद कम ब्याज दर पर क़र्ज़ देकर उन्हें आर्थिक तौर पर स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 'महिला' बैंक शुरू करने की पहल की है. उषा अनंतसुब्रमण्यन को भारतीय महिला बैंक का चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किया गया है. मंगलवार से शुरु हो रहे इस बैंक का मक़सद काम और सेवा में महिलाओं को प्राथमिकता देना होगा.


बीबीसी के साथ एक विशेष बातचीत में उन्होंने बताया, "यह सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक होगा और पूरे देश में इसकी शाखाएं खुलेंगी. पहले दिन गुवाहाटी, कोलकाता, चेन्नई, मुंबई, अहमदाबाद, बैंगलोर और लखनऊ में इसकी शाखाएं खोली जा रही हैं."उन्होंने कहा, "महिला बैंक की पश्चिम भारत, उत्तर भारत और दक्षिण भारत सहित सभी जगह शाखाएं शुरु की जाएंगी. पूर्वोत्तर भारत में विशेषकर पहली बार महिला बैंक शुरू होने जा रहा है. आगे भी धीरे-धीरे काम बढ़ेगा."इन बैंकों में क्या महिलाएं ही खाता खोल सकेंगी या काम करेंगी?नहीं, ऐसा नहीं है. मैं यहां स्पष्ट करना चाहती हूं कि यह बैंक सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं हैं. बैंक शुरुआत में विशेषकर महिलाओं के लिए काम करेंगे. बैंकों में सबका स्वागत है. जहां तक ऋण का संबंध है, ज़्यादा से ज़्यादा ऋण महिलाओं को ध्यान में रखते हुए दिया जाएगा.
ज़्यादा ऋण महिलाओं को देंगे, फिर ये ऑल विमेन बैंक कैसे?ऐसे बैंक किसी क्षेत्र विशेष पर फोकस करते हैं. जैसे कि अहमदाबाद या फिर सातारा में मानदेशी बैंक हैं. यह तो पैन इंडिया है, पूरे देश में शाखाएं खुलेंगी, सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है. पूंजी भी सरकार से आ रही है, सरकार की ओर से पूरा सहयोग भी है.


"रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के तहत 25 फीसदी बैंक ग्रामीण इलाकों में खोले जाएंगे, जो अनिवार्य है. अगले वर्ष 14 मार्च तक हम 25 शाखाएं खोल देंगे. इसमें ग्रामीण इलाके, राज्यों की राजधानी भी शामिल होंगी. "-उषा अनंतसुब्रमण्यम

मुख्य रूप से महिलाओं पर ध्यान दिया गया है. इसे पूरी तरह से महिलाओं के लिए नहीं कह सकते हैं, लेकिन इनमें ज़्यादा से ज़्यादा महिलाएं काम करेंगी, उपभोक्ता भी ज़्यादा महिलाओं को बनाया जाएगा. क्योंकि महिलाओं का सशक्तीकरण करना है, इसके लिए कोई माध्यम चाहिए और यह बैंक इसका काम करेंगे.देखिए, ऋण देने के लिए संसाधन होना चाहिए. आप इस पर किसी तरह की रोक तो लगा नहीं सकते हैं. संसाधन होने पर ही ऋण दे सकते हैं. जमापूंजी आने पर ही ऋण बढ़ा सकते हैं. इस तरह कर्ज़ के मामले में भी महिलाओं को वरीयता दी जाएगी.इऩ बैंकों में क्या महिला और पुरुष दोनों ही काम करेंगे? स्वयं सहायता समूहों को जोड़ने की पहलअभी हमारी शुरुआत हो रही है. हमने स्टॉफ बाक़ी बैंकों से डेपुटेशन पर लिया है. यह उनकी इच्छा पर निर्भर करता है, इसके लिए ज़बरदस्ती नहीं की जा सकती है. जिन्हें इसमें रुचि है, वे लोग आ रहे हैं. इसमें महिला-पुरुष दोनों ही शामिल हैं.लोगों को बाहर से भी नियुक्त किया है और इसमें भुगतान भी ज़्यादा होगा. महिलाओं का अनुपात ज़्यादा है. अभी भी अनुपात 65 से 70 फीसदी है.किस तरह की महिलाओं को खाता खोलने में सुविधा होगी?
इसमें हर तरह की महिलाएं शामिल हैं. हम पूरे पिरामिड को कवर करेंगे, हर वर्ग को शामिल करेंगे.पढ़ी लिखी महिलाएं तो किसी भी बैंक में खाता खोल सकती हैं, प्राइवेट बैंक में भी....कुछ संस्थाएं हैं, जिन्होंने इस मुद्दे पर अध्ययन किया है. सर्वे के अनुसार महिलाओं को सही सलाह नहीं मिल पाती है. सर्वे से पता चलता है कि महिलाएं किस तरह से निवेश करती हैं.देखा गया है कि प्राय महिलाएं फ़ैसले नहीं कर पाती हैं. उन्हें परिवार को, मित्रों को शामिल करना पड़ता है. उन्हें पेशेवर सलाह नहीं मिल पाती है. भारतीय महिला बैंक यह काम भी करेगा, महिलाओँ को सलाह भी उपलब्ध कराने में मदद करेगा और अच्छी सेवाएं देगा. स्वयं सहायता समूहों के लिए भी काम करेगा. महिलाओं को महिला के साथ काम करना आसान भी होता है.आज पांच जगह महिला बैंक खुल रहा है, क्या हर ज़िले में बैंक खुलेगा.."ग्रामीण इलाको में महिलाओं को बैंक तक लाने के लिए उन्हें इस बारे में साक्षर करना होगा. उन्हें शिक्षित करना होगा. वह हमारा पहला कदम होता है. "
जी हां, बैंक हर ज़िले में होगा. देखिए पहले ही दिन हम एक साथ 100-200 बैंक शुरू नहीं कर सकते हैं. जहां बैंक नहीं हैं और जहां अन्य बैंक पहले से हैं वहां भी महिला बैंक खोले जाएंगे, धीरे-धीरे विस्तार किया जाएगा. पहले राज्यों की राजधानी में शाखाएं खोली जाएंगी.फिर रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के तहत 25 फीसदी बैंक ग्रामीण इलाकों में खोले जाएँगे, जो अनिवार्य है. अगले वर्ष 14 मार्च तक हम 25 शाखाएं खोल देंगे, इसमें ग्रामीण इलाक़े, राज्यों की राजधानी भी शामिल होगी. भारत इतना बड़ा देश है, बहुत जगह हैं बैंक खोलने के लिए.ग्रामीण इलाक़ों में महिलाओँ के लिए कोई योजना हैग्रामीण इलाको में महिलाओं को बैंक तक लाने के लिए उन्हें इस बारे में साक्षर करना होगा. उन्हें शिक्षित करना होगा. वह हमारा पहला क़दम होता है. वित्तीय रूप से साक्षर करने के बाद उनकी व्यवस्था करते हैं.हम शाखाओं के अलावा बिजनेस एंड डेवलपमेंट करेसपोंडेंट सुविधा भी देते हैं. सामान्य तौर पर आपने बीएनएफ सुना होगा. डेवलपमेंट भूमिका भी देते हैं और महिलाओँ को प्रशिक्षित करेंगे. जिसमें आर्थिक विकास और सशक्तीकरण के तहत उन्हें ऋण देंगे और किसी गतिविधियों में शामिल करेंगे.गैर सरकारी संस्थाओँ के या निजी बैंकों से महिला बैंक कैसे अलग होगा? Posted By: Satyendra Kumar Singh