वित्तीय दुनिया में अमेरिकी और यूरोपियन प्रभुत्‍व को चुनौती देते हुए एशियन इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर इंवेस्‍टमेंट बैंक की स्‍थापना हो गई. इस समारोह में ऑस्‍ट्रेलिया इंडोनेशिया और साउथ कोरिया ने हिस्‍सा नही लिया. चीन और भारत ने इस बैंक में बड़ा योगदान किया है.

शुरू हो गया एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक
एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक के शुरु होने के साथ ही विश्व के वित्तीय बाजारों में यूरोपीय प्रभुत्व को लेकर प्रश्न उठना शुरू हो गए हैं. इस बैंक को चीन समेत 20 एशियन देशों का सर्पोट प्राप्त है. इसके साथ ही चीन ने बैंक की 100 अरब डॉलर के फंड में करीब 50 अरब डॉलर की राशि का योगदान दिया है. चीन के बाद भारत इस बैंक में 13 से 20 अरब डॉलर की हिस्सेदारी रखेगा. गौरतलब है कि इस बैंक की मदद से एशियन देश अपनी इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाओं में फंड प्राप्त कर पांएगे.

लेकिन शुरू हो गया विरोध
एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक के इनऑगरेशन होते ही अमेरिका और यूरोपीय देशों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. अमेरिकी दबाव के चलते में ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और साउथ कोरिया जैसे देशों ने बैंक की इनऑगरेशन इवेंट में आने से इंकार कर दिया. दरअसल इस बैंक के शुरू होने से वर्ल्ड बैंक पर लोगों की निर्भरता कम होगी. एशियन देश अपनी योजनाओं के लिए इस बैंक का सहारा लेना शुरू करेंगे. इससे विश्व के वित्तीय बाजार में अमेरिका और यूरोपीय देशों का वर्चस्व कम होगा. इसके साथ ही अर्थशास्त्रियों का मत है कि इस बैंक के खुलने से एशियन इकॉनोमी में भारत और चीन का कद बढ़ेगा.
अभी साफ नही कि कैसे काम करेगा बैंक
इस बैंक के इनऑगरेशन के बाद भी यह साफ नही हो पाया है कि इस बैंक का कामकाज किस आधार पर होगा. दरअसल बैंक की बागडोर चीन के वाइस फाइनेंस मिनिस्टर को दी गई है. इसके साथ ही भारत की भूमिका को लेकर अभी तक कोई स्थिति साफ नही है. इसलिए एडीबी की तरफ से कहा गया है कि यह देखने लायक बात होगी कि एआईआईबी की स्थिति कितनी साफ होगी.

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Posted By: Prabha Punj Mishra