व्हाट्स ऐप और वीडियो चैटिंग के जरिए करती हैं निगहबानी

PATNA : मां खास होती है, जिसके आंचल में जाकर आप अपनी सारी परेशानी भूल जाते हैं। मां और बच्चे का रिश्ता ही कुछ ऐसा होता है जिसे डिफाइन कर पाना मुश्किल है। मां जबतक है तब तक आपको अहसास होता रहेगा कि आप बच्चे हैं। आप खूब बड़े और मेच्योर हो जाएं। अच्छी नौकरी कर लें और पैसे भी खूब कमाएं, लेकिन मां के लिए सब दिन बच्चे ही रहते हैं। वह आपकी छोटी उम्र में जिस तरह से ख्याल रखती थी उतनी ही चिंता बड़े होने पर भी करती है। इतना ही नहीं मां ने बदलते जमाने के हिसाब से खुद को भी बदला है।

ऑन लाइन दुनिया में भी आपकी ही फिक्र

मां ने खुद को आज के हिसाब से चेंज किया है। आज की दुनिया हाईटेक हो चुकी है। ऐसे में मॉम भी अब ऑन लाइन हो गयी हैं। आज के एरा में मां अपने बच्चे के बारे में, उनके बिहेवियर के बारे में इंटरनेट से भी जानकारी जुटाती हैं। नये जमाने की जो ग‌र्ल्स हैं वे तो इंटरनेट से अच्छी तरह वाकिफ हैं और इसका यूज भी करती हैं। अगर कोई लड़की प्रेग्नेंट है तो वो भी ढेर सारी जानकारी अपने होने वाले बच्चे के बारे में जुटाती है। प्रिग्नेंसी के दौरान क्या-क्या करना चाहिए। बच्चे को कैसे फायदा होगा।

आज गांधारी होती तो मुझसे जलती

कल्याणी सिंह पटना यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थीं और आज म्म् साल की हो चुकी हैं। कल्याणी सिंह कहती हैं कि सोशल मीडिया के कारण मैं पांच सौ से अधिक पुराने स्टूडेंट से जुड़ सकी। आज गांधारी होती तो उन्हें भी मेरे इतने बच्चों को देखकर जलन होता। कल्याणी पिछले पांच साल से सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं। उनका एक बेटा और एक बेटी है और दोनो पटना में ही रहते हैं। कल्याणी कहती हैं कि हमारे कई रिश्तेदार शहर से बाहर और इंडिया से भी बाहर रहते हैं। ऐसे में सोशल मीडिया हमें उन लोगों से कनेक्ट रखता है। वे कहती हैं कि मैं हर टाइम अपडेट रहती हूं कि मेरे बच्चे कहां हैं, क्या कर रहे हैं। सोशल मीडिया की खासियत को गिनाते हुए कल्याणी कहती हैं कि आज का टाइम बहुत फास्ट हो गया है। हर कोई बीजी है। मैं घर में होती हूं और बच्चे ऑफिस में तो मैं उन्हें व्हाट्स ऐप पर लंच टाइम का याद दिलाती हूं। वो कहां हैं, घर कबतक आयेगा या फिर कुछ लाना है सारी जानकारी अपडेट करती हूं। बच्चे भी सोशल साइट के जरिये जान लेते हैं कि मैं कैसी हूं, क्या कर रही हूं, मुझे किसी चीज की जरूरत भी है क्या।

मुझे इंटरनेट से बहुत हेल्प मिली

अनामिका सिंह डा नीता तारा मेडिकल इंस्टीच्यूट की डायरेक्टर हैं। उनका साढ़े तीन साल का बेटा है। अनामिका कहती हैं कि मैं बहुत दिनों से इंटरनेट का इस्तेमाल कर रही हूं, लेकिन इसका एक और फायदा नजर आया जब मैं प्रेग्नेंट थी। उस दौरान मुझे काफी मदद मिली इंटरनेट से। नौ महीने कैसे रहना चाहिए, क्या-क्या करना चाहिए जिससे बच्चे को फायदा हो, सबकुछ मुझे यहीं मिला। अनामिका का बेटा अभी से टैब और पामटॉप से फेमिलियर हैं। वो कहती हैं कि अब मैं अपने बच्चे को इंटरनेट से बहुत कुछ सिखा भी रही हूं। मेरे बेटे के टैब में गेम इंस्टॉल हैं साथ ही कई पोयम और राइम वाले एप भी डाउनलोड हैं। अनामिका वर्किंग लेडी हैं अपने काम के दौरान भी सोशल नेटवर्किंग साइट्स, कम्प्यूटर और लैपटॉप के जरिये वे जब चाहती हैं ऑफिस से अपने बेटे की अपडेट लेती रहती हैं। कई बार उसकी एक्टिविटी को वाच भी करती हैं और वीडियो चैट के जरिये उससे बात भी करती हैं।

सोशल साइट्स बच्चों से दूरियां कम कर देता है

कर्नल आर के वर्मा एनसीसी के पटना हेड क्वार्टर में डिप्टी कमांडर हैं। वे अपनी पत्‍‌नी सीमा वर्मा के साथ राजेन्द्र नगर में रहते हैं। मिसेज वर्मा हाउस वाइफ हैं, इनके दो बच्चे हैं। दोनों बाहर रह कर एजुकेशन पा रहे हैं। बड़ी बेटी रिशीका वर्मा कलिंगा इंस्टीट्यूट इंडस्ट्रीयल टेक्नोलॉजी भुवनेश्वर से बीटेक कर रही हैं। बेटा श्रीअंस वर्मा दिल्ली में रहकर एनडीए की तैयारी कर रह रहे हैं। सीमा वर्मा अपने बच्चों से बहुत प्यार करती हैं। बच्चे दूर हैं लेकिन टेक्नोलॉजी के कारण उनकी दूरी का पता नहीं चलता है। वे अपने-अपने बेटी ऋषिका व बेटे श्रीअंस से सोशल साइट के माध्यम से जुड़े रहते हैं। अपने बच्चों से दूर रहने में कितनी परेशानी होती है, के सवाल पर वे भावुक हो जाती हैं। उनका कहना है कि बच्चों के नहीं होने से अकेलापन तो लगता है। बच्चों का कैरियर बनाना भी जरूरी है। हालांकि सोशल मीडिया ने इस दूरी को कम दी है। मैं रोजना अपने बच्चों से वाट्स एप, फेसबुक, स्काइप आदि से उनसे जुड़ी रहती हूं। सुबह व रात में बच्चे जब भी फ्री होते हैं तो स्काइप पर उनसे रोजना बात होती है। इसके अलावा दिन में लंच ऑवर के समय बच्चों से वाट्स एप के माध्यम से जुडी रहती हूं।

बच्चों पर रखें टेक्नोलॉजी से नजर

पटना कंकड़बाग हाउसिंग कॉलोनी की रहने वाली पल्लवी मिश्रा दस साल से विदेश में रहती हैं। वे पेशे से मल्टीनेशनल कंपनी में एचआर मैनेजर हैं। वे यूएसए के न्यू जर्सी में अपने पति साफ्टवेयर इंजीनियर विक्रम मिश्रा के साथ वहां रहती हैं। इनके दो बच्चे हैं। क्ख् वर्षीय वरुण मिश्रा व पांच वर्षीय गौड़ा मिश्रा। टेक्नोलॉजी जिनता बड़ा वरदान है उतना बच्चों के लिए खतरनाक भी है। खासकर यूएसए जैसे मार्डन कंट्री में स्कूलों में भी कई कोर्सेज ऑनलाइन होते हैं। हर वक्त बच्चों के साथ लैपटॉप या कंप्यूटर से उसपर नजर रखना आसान नहीं है। लेकिन टेक्नोलॉजी व साफ्टवेयर के माध्यम से बच्चों पर आसानी से नजर रखा जा सकता है। मैंने सिस्टम में साफ्टवेयर डाल रखा कि बच्चे कौन-कौन साइट देख रहे हैं। इसका पता हमें चल जाता है। इसके अलावा हम सिस्टम में वैसे ब्राउजर का इस्तेमाल करते हैं, जो बेवजह पॉप अप के ऑप्सन को आने नहीं देते हैं। इसके अलावा सिस्टम में यूट्यूब सहित कई अन्य साफ्टवेयर को ब्लॉक कर दिया है। पल्लवी आगे बताती हैं कि मैं या मेरे पति बराबर बच्चों के ब्राउसिंग हिस्ट्री पर नजर रखते है। वे आगे बताती हैं कि न्यू टेक्नोलॉजी व सोशल नेटवर्किंग साइट हमे विदेश में रखकर अपने फैमिली मैंबर्स के साथ जुड़े रहने का मौका देता है। मैं और मेरे बच्चे रोजाना फैमिली मेंबर्स के साथ इनके माध्यम से जुटे रहते हैं।

Posted By: Inextlive