तीस साल पहले दिल्ली के मुहम्मद गुलफाम ने सरहद पार पाकिस्तान की लडक़ी नूजत जहां से निकाह किया था. निकाह के बाद नूजत भारत आकर पति के साथ रहने लगी. काफी समय तक साथ बिताने के बाद देश के कानून ने दोनों को एक-दूसरे से अलग होने पर मजबूर कर दिया. नूजत ने अवैध रूप से भारत में रहने के जुर्म में न केवल जेल में सजा काटी बल्कि निचली अदालत ने उसे पति व पोते से अलग कर पाकिस्तान भेजने के आदेश भी दिए. नूजत पति व बच्चों को छोड़ पाकिस्तान नहीं जाना चाहती थी. उसने दिल्ली हाई कोर्ट से गुहार लगाई. हाई कोर्ट ने पाकिस्तानी नागरिक नूजत जहां की फरियाद सुन ली और उसे राहत प्रदान की है. अब नूजत पति व बच्चों के साथ करीब 11 साल बाद ईद मना सकेगी.


विदेशी अधिनियम के तहत जेलन्यायमूर्ति कैलाश गंभीर व न्यायमूर्ति इंद्रमीत कौर की खंडपीठ ने गृह मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह तीन माह में नूजत को देश की नागरिकता दिए जाने संबंधी आवेदन पर अपना निर्णय दे या फिर उसकी वीजा की अवधि बढ़ाए. नूजत जहां का निकाह गुलफाम से 2 अगस्त, 1983 को पाकिस्तान में हुआ था. 23 मई, 1985 से वह भारत में रह रही थी. उसके दो बेटों व एक बेटी की शादी भी यहीं हुई है. मार्च, 1993 तक भारत सरकार उसके आवेदन पर वीजा की अवधि बढ़ाती रही, लेकिन इसके बाद इन्कार कर दिया. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने वर्ष 2002 में उसके खिलाफ विदेशी अधिनियम के तहत केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. लेकिन खुद को नहीं साबित कर सकी निर्दोष
जमानत पर नूजत रिहा हुई, लेकिन खुद को निर्दोष साबित नहीं कर सकी. नूजत का कहना था कि उसने वर्ष 1994 में भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए सरकार के समक्ष आवेदन दाखिल किया था, लेकिन उसकी अपील अभी भी लंबित है. तीसहजारी कोर्ट के महानगर दंडाधिकारी ने 4 दिसंबर, 2012 को उसे छह माह की कैद सुनाई. मामले को सत्र अदालत में चुनौती दी गई. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नरेंद्र कुमार ने गत 2 मई को नूजत की सजा घटाकर उएक सप्ताह कर दिया और उसे पाकिस्तान भेजे जाने के आदेश दिए. इस निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. Report by: Pawan Kumar (Dainik Jagran)

Posted By: Satyendra Kumar Singh