ज़करबर्गा की नई पहल. पांच अरब नए लोगों को इंटरनेट से जोड़ने के लिए फ़ेसबुक ने एरिकसन मीडिया टेक नोकिया ऑपेरा क्वालकॉम और सैमसंग जैसी कंपनियों से समझौता किया है.


फ़ेसबुक के अनुसार कंपनी विकासशील देश के लोगों को इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले समाज का हिस्सा बनने में मदद करना चाहती है.लेकिन जानकारों का कहना है कि विकासशील देश के लोगों की प्राथमिकताएं कुछ दूसरी हैं.फ़ेसबुक के मालिक ज़करबर्ग के अनुसार उनका मक़सद उनलोगों तक इंटरनेट सुविधाओं को पहुंचाना है जो फ़िलहाल इसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं."फ़िलहाल सिर्फ़ दो अरब 70 लाख लोग यानि कि पूरी आबादी का केवल एक तिहाई लोग ही इस समय इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं. इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की वृद्धि दर हर साल लगभग नौ फ़ीसदी है जोकि बहुत तेज़ नहीं है."-फ़ेसबुक


कंपनी ने बयान जारी कर कहा, ''फ़िलहाल सिर्फ़ दो अरब 70 लाख लोग यानि कि पूरी आबादी का केवल एक तिहाई लोग ही इस समय इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं. इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की वृद्धि दर हर साल लगभग नौ फ़ीसदी है जोकि बहुत तेज़ नहीं है.''

लंदन विश्वविद्यालय के डॉक्टर माइकल जेनिंग्स ने कहा कि वो  फ़ेसबुक के इस प्रयास का स्वागत करते हैं लेकिन इसके अलावा दूसरी बिजली जैसी दूसरी अहम ज़रूरतों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इतनी कम उम्र में इतनी कामयाबी

बीबीसी से बातचीत के दौरान डॉक्टर जेनिंग्स ने कहा, ''यह कहना ग़लत है कि पांच अरब लोग एक दूसरे से नहीं जुड़े हुए हैं. ज़्यादातर लोग मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल करते हैं और मोबाइल मनी जैसी सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं.''बाधाएंन्यूज़वेबसाइट ह्यूमनआईपीओ के संपादक टॉम जैकसन ने कहा कि इस मामले में कंपनी की रूचि सराहनीय है लेकिन उनके इस इरादे में अभी कई चीज़ें अधूरी हैं.बीबीसी से बातचीत के दौरान जैकसन ने कहा कि  फ़ेसबुक ने अभी तक ये नहीं बताया है कि वो पांच अरब नए लोगों को इंटरनेट से कैसे जोड़ेगी."यह कहना ग़लत है कि पांच अरब लोग एक दूसरे से नहीं जुड़े हुए हैं. ज़्यादातर लोग मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल करते हैं और मोबाइल मनी जैसी सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं."-डॉक्टर माइकल जेनिंग्स, लंदन विश्वविद्यालयइस महीने के शुरूआत में तकनीकी मामलों पर नज़र रखने वाले विश्लेषक गार्टनर ने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ है कि स्मार्ट फ़ोन की बिक्री सामान्य फ़ोन से ज़्यादा हुई है लेकिन विकासशील देशों में अभी भी बहुत सारे लोग बहुत ही मामूली मोबाइल हैंडसेट का इस्तेमाल करते हैं और इंटरनेट की धीमी गति से जूझते हैं.इस क्षेत्र में हर दिन नई-नई कंपिनयां आगे आ रहीं हैं जो इस बाज़ार में अहम रोल अदा करना चाहती हैं.
टॉम जैकसन के अनुसार अफ़्रीक़ा इन कंपनियों के लिए नया बाज़ार बन गया है जहां ये अपने लिए जगह बनाना चाहती हैं और फिर मुनाफ़ा कमाना चाहती हैं.गूगल ने भी हाल ही में 'लून' के नाम से एक नई परियोजना शुरू की है जिसके तहत स्पेस से इंटरनेट संपर्क करने का प्रावधान है.अगर ये प्रयास सफल हो जाता है तो ये सैटेलाइट कनेक्शन की तुलना में ज़्यादा सस्ता होगा.

Posted By: Satyendra Kumar Singh