Politics में young और clean image वाले लोगों को लाने के लिए मुंबई में शुरू हुई एक अनोखी पहल.


जल्द ही यूपी और उत्तराखंड में असेंबली इलेक्शंस के लिए वोट डाले जाएंगे. ऐसे में हर तरफ साफ-सुथरे कैंडीडेट्स के बारे में ही डिस्कशन हो रहा है. हर कोई कह रहा है कि यंग और क्लीन इमेज वाले कैंडीडेट्स को सामने आना चाहिए. आखिर कहां से आएंगे ऐसे कैंडीडेट्स और क्या वाकई यंगस्टर्स सिस्टम को बदल सकते हैं? चलिए आपको मुंबई के तीन ऐसे यंगस्टर्स की कहानी से रूबरू करवाते हैं जो अपने दम पर अपने शहर की तस्वीर बदलने निकले हैं. हो सकता है कि यह कहानी आपमें से किसी को इंप्रेस कर जाए और आपमें भी इनके जैसा ही जज्बा आ जाए. Campaign strategy Mouth publicity


जब इन कैंडीडेट से इनकी कैंपेन स्ट्रैटेजी की बात की जाती है तो यह सभी केवल एक शब्द पर डिपेंड करते हैं, माउथ पब्लिसिटी. यह तीनों ही मानते हैं कि अपने क्लोज फ्रेंड्स, कॉलोनी रेजीडेंट्स, ग्रुप्स पर ज्यादा डिपेंड करते हैं. Social networking too

माउथ पब्लिसिटी के अलावा इन कैंडीडेट का सबसे बड़ा सहारा सोशल नेटवर्किंग साइट्स बनी हैं. इन तीनों ने ही फेसबुक और ट्विटर पर अपने अकाउंट्स बनाए हैं जिन पर यह तीनों ही लॉग इन करते हैं. इन्हें जानने वाले इनकी फ्रेंड लिस्ट का हिस्सा बनते हैं और वो अपने जानने वालों से इनके लिए वोट करने को कहते हैं.Every vote counts 2007 बीएमसी इलेक्शंस में खानविलकर के एरिया डीएन नगर के 50,000 वोटर्स में से केवल 12,000 लोगों ने वोट डाले थे. इस बारे में पंकज कहते हैं कि वह वोटर्स को बताएंगे कि उनका वोट काफी कीमती है. वह कहते हैं कि उनका टारगेट यंगस्टर्स होंगे जो वोट डालने से बचते हैं. उन्हें बताएंगे कि वो अपने वोट से बड़ा चेंज ला सकते हैं.

Posted By: Divyanshu Bhard