गूगल ने इंडियन अमेरिकन नील मोहन को नौकरी न छोड़ने के लिए 100 मिलियन डॉलर लगभग 545 करोड़ रुपये बोनस देने का फैसला किया है. गूगल ने ऐसा उन्हें माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर ज्वाइन करने से रोकने के लिए किया है. मोहन कंपनी में डिस्‍प्‍ले एड के प्रमुख हैं. गूगल के बिजनेस के इस हिस्से की न केवल उन्होंने शुरुआत की बल्कि उसे डेवलप करने में भी अहम रोल निभाया है.


टेक्नोलॉजी और बिजनेस स्ट्रेटजी की बेहतर समझबिजनेस इनसाइडर के मुताबिक उनके अंदर इस बात को पहचानने की अद्भुत क्षमता है कि टेक्नोलॉजी में नया क्या होने जा रहा है और उसे किसी बिजनेस स्ट्रेटजी के मुताबिक कैसे ढाला जा सकता है. इस साल उनके गूगल के लिए सात बिलियन डॉलर रेवेन्यू कमाने का अनुमान है. रिपोर्ट यह भी कहती है कि उन्हें बोनस तब ऑफर किया जब वह 2011 में ट्विटर के चीफ ऑफ प्रोडक्ट बनने का ऑफर स्वीकार करने ही वाले थे.गूगल ने दिए थे 100 मिलियन डॉलर
टेकक्रंच की रिपोर्ट के मुताबिक उस वक्त उन्हें 100 मिलियन डॉलर दिए गए थे. गूगल के शेयरों की वर्तमान कीमत को अगर ध्यान में रखा जाए तो आज उन शेयर्स की कीमत लगभग 150 मिलियन डॉलर यानी 817.5 करोड़ रुपये के आसपास होगी. मोहन ने 1996 में स्टैथनफोर्ड से ग्रेजुएशन करने के बाद एक्सेंचर और नेटग्रेविटी के साथ काम किया. नेटग्रेविटी का बाद में डबल क्लिक ने अधिग्रहण कर लिया.आक्रामक अंदाज में किया बिजनेस को स्ट्रीमलाइन


डेली मेल के मुताबिक एक प्राइवेट इक्विटी फर्म ने 1.1 बिलियन डॉलर के बदले कंपनी का अधिग्रहण किया और मोहन को उसे रिवाइव करने की जिम्मे्दारी सौंपी. कोई 18 महीने के भीतर मोहन ने बेहद आक्रामक अंदाज में उसके बिजनेस को स्ट्रीमलाइन और फोकस करने काम किया जिसके बाद गूगल ने उसे 3.1 मिलियन डॉलर में खरीद लिया. तब से ही वह गूगल के एड मार्केट को बढ़ाने के लिए नई स्टार्ट अप कंपनियों के अधिग्रहण का भी काम देख रहे हैं.शो ऑफ में यकीन नहींइसके अलावा उसके डिस्प्ले एड बिजनेस को भी डेवलप करने का उन्हें पूरा अधिकार है. बिजनेस इनसाइडर जिसने उनके साथी कर्मचारियों से बात की, के मुताबिक वह बताते हैं कि परफार्मेंस खराब होने पर मोहन न तो टेबल पर हाथ पटकते और न ही चीखते चिल्लाते नजर आते हैं. उनके क्लाइंट भी उनके मुरीद हैं जो उन्हें शांत शिकारी कहकर बुलाते हैं. वह शो ऑफ में यकीन नहीं रखते.

Posted By: Satyendra Kumar Singh