वोटिंग को अनिवार्य बनाने वाला पहला राज्य बना गुजरात
राज्यपाल ने पास किया विधेयक
गुजरात में यह नियम तब सामने आया जब राज्य के नये राज्यपाल ओ.पी.कोहली ने गुजरात स्थानीय निकाय कानून विधेयक 2009 को मंजूरी दे दी है. आपको बताते चलें कि इससे पहले पूर्व राज्यपाल कमला बेनीवाल ने बिल का विरोध करते हुये इस पर अपनी सहमति देने से इंकार कर दिया था. फिलहाल इस विधेयक को मंजूरी मिलने के साथ ही राज्य के स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिये 50 परसेंट रिजर्वेशन का रास्ता साफ हो गया.
वोट न डालने पर दंड
कमला बेनीवाल ने यह कहकर बिल पर आपत्ति जताई थी कि यह संविधान की धारा 21 के तहत नागरिकों को मिले स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है. तब उन्होंने सरकार से स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिये 50 परसेंट आरक्षण तय करने वाले मसले को भी इस बिल से अलग करने को कहा था. गुजरात विधानसभा के सचिव डी.एम.पटेल ने बताया, 'गुजरात के राज्यपाल ने विधेयक पर दस्तखत कर दिया है. इसके साथ ही उन्होंने राजय सरकार को इसे लागू करने की सहमति दे दी है. इस कानून के मुताबिक अब स्थानीय निकायों में वोट नहीं करनेवालों को दंडित किया जायेगा.'
बन जायेंगे 'डिफॉल्टर वोटर'
गुजरात स्थानीय निकाय कानून सरकार को स्थानीय निकायों में वोट नहीं करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार तो देता है, लेकिन इसमें यह तय नहीं किया गया है कि आखिरकार किस तरह का दंड दिया जायेगा. लेकिन इतना तो साफ है कि अगर कानून में वर्णित कुछ मामलों को छोड़कर किसी भी अन्य कारण से कोई वोटर स्थानीय निकाय के चुनाव में वोट नहीं डालता है, तो उसे 'डिफॉल्टर वोटर' घोषित कर दिया जायेगा.