Indian army band goes for desi beats!
इंडियन आर्मी के बैंड मास्टर्स जो अभी तक वेस्टर्न धुनों पर ऑफिसर्स को झूमने पर मजबूर कर देते थे, अब आने वाले समय में शायद इंडियन क्लासिकल म्यूजिक का भी जादू चला सकेंगे. जो हाथ अभी तक ड्रम, गिटार, बैगपाइपर और ऐसे ही कुछ वेस्टर्न इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए सुरों का जादू छेड़ते थे, अब वो सितार, तबला और ऐसे ही इंडियन इंस्ट्रूमेंट्स पर भी नजर आने वाले हैं. इंडियन आर्मी की कुमाऊं रेजीमेंट का एक बैंड इस समय भातखंडे म्यूजिक यूनिवर्सिटी, लखनऊ में एक स्पेशल ट्रेनिंग हासिल कर रहा है. इस ट्रेनिंग के तहत उन्हें इंडियन क्लासिकल म्यूजिक से रूबरू करवाया जा रहा है. For the first time
कुमाऊं रेजीमेंट का बैंड ‘स्ट्रिंग’ इस समय भातखंडे में इंडियन म्यूजिक की क्वॉलिटीज सीख रहा है. यह पहली बार है जब किसी बैंड को इंडियन म्यूजिक की ट्रेनिंग के लिए भेजा गया है. यूनिवर्सिटी में बतौर म्यूजिशियन इस बैंड को ट्रेनिंग का जिम्मा कमलेश दुबे को दिया गया है. कमलेश ने एक खास बातचीत में बताया कि पिछले एक महीने से बैंड यहां पर ट्रेनिंग ले रहा है. उन्होंने कहा कि जब यूनिवर्सिटी को उनकी ट्रेनिंग के लिए एप्रोच किया गया तो वो खुद भी काफी हैरान थे, लेकिन यह उनके लिए भी एक नया एक्सपीरियंस था. बैंड में शामिल सभी 14 लोग काफी कड़ी मेहनत कर रहे हैं और वो काफी तेजी से सीख भी रहे हैं. थे कुछ doubts भले ही वेस्टर्न इंस्ट्रूमेंट्स पर ‘स्ट्रिंग’ काफी बेहतरी से परफॉर्म कर पाता हो, लेकिन जब इंडियन क्लासिकल म्यूजिक की बात आई तो इनकी परफॉर्मेंस को लेकर कमलेश दुबे को थोड़ा डाउट था. इसीलिए उन्होंने पहले एक ऑडिशन के तहत इनकी एबिलटी चेक की थी. कमलेश दुबे के मुताबिक बैंड की परफॉर्मेंस कुछ क्लासिकल म्यूजिक के कुछ बेसिक नोट्स पर काफी निराश करने वाली थी. इन्हें ट्रेन्ड करने के लिए यूनिवर्सिटी ने स्पेशल कोर्स तैयार किया. इसमें बैंड की जरूरतों का खास ध्यान रखा गया. कमलेश ने बताया कि कोर्स एक साल का होगा. वो यह गारंटी नहीं देते हैं कि बैंड के मेंबर्स क्लासिकल म्यूजिक के मास्टर बन जाएंगे, पर इतना तय है कि उनकी लाइव परफॉर्मेंस और ज्यादा इंट्रेस्टिंग हो जाएगी. उन्हें सितार, तबला, हारमोनियम, सरोद, वॉयलिन और बांसुरी की ट्रेनिंग दी जा रही है.