RANCHI : मांदर की थाप नगाड़ों की गूंज और झारखंड के ट्रेडिशनल सांग्स के बीच पाइका डांस करते हुए आगे बढ़ते झारखंड के फोक आर्टिस्ट्स. इनके पीछे ग्रुप ऑफ टेंपल के नाम से फेमस मलूटी का मंदिर समूह. 26 जनवरी 2014 को राजपथ पर होनेवाली रिपŽिलक डे परेड में झारखंड की झांकी ऐसी ही दिखेगी. रिपŽिलक डे परेड एक ऐसा प्लैटफॉर्म होता है जहां स्टेट को अपने आर्ट एंड कल्चर और डेवलपमेंट को झांकी के माध्यम से देश के सामने प्रेजेंट करने का मौका मिलता है. इस बार झारखंड की झांकी का थीम 'मलूटी- एन अननोन सिद्धपीठ ऑफ झारखंड- बुद्धिस्ट शैव शाक्त एंड तंत्राÓ है.


क्यों खास हैं मलूटी के मंदिर


झारखंड और बंगाल के बॉर्डर स्थित झारखंड के दुमका डिस्ट्रिक्ट से 55 किलोमीटर दूर एक गांव है, जिसे मलूटी के नाम से जाना जाता है। यहां पर मध्यकालीन स्थापत्य कला के अनूठे नमूने मौजूद हैं। यह हैं यहां के मंदिर। जो गांव में एक सिरे से दूसरे सिरे तक दिखाई देते हैं। यहां पर भगवान शंकर को समर्पित 69 मंदिर हैं। हरे-भरे पेड़-पौधों के बीच स्थित मलूटी के मंदिर वल्र्ड फेमस हैं। इन मंदिरों की दीवारों पर टेराकोटा की कलाकृतियां बनाई गर्ईं है। छोटे-छोट लाल सुर्ख ईटों से इन मंदिरों को बनाया गया है। जीर्ण-शीर्ण हालत में होते हुए भी गजब की सुंदरता इन मंदिरों से झांकती है। मंदिर की दीवारों पर राम और कृष्ण की आकृति भी दिखाई गई है। माना जाता है कि इन मंदिरों को मलूटी के प्रथम राजा बसंत राय और उनके पूर्वजों ने 1720 से लेकर 1740 के बीच बनवाया था। मलूटी ग्रुप्स ऑफ मंदिर को वल्र्ड हेरिटेज में शामिल करने का प्रपोजल है। इन्हीं मंदिरों और यहां की टेराकोटा आर्ट को थीम बनाकर इस बार रिपŽिलक डे की परेड में शामिल किया जा रहा है।

Posted By: Inextlive