एसएसपी द्वारा गठित स्पेशल टीम की रिपोर्ट के बाद सख्ती की तैयारी. कर्नाटक मॉडल अपनाएगी रांची पुलिस साइबर ठगों को लगेगी लगाम.


रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में आए दिन साइबर क्राइम के मामलों ने एक ओर जहां आम लोगों का सुख-चैन छीन लिया है। वहीं, साइबर सिक्योरिटी को लेकर पुलिस की चुनौती भी बढ़ गई है। ऐसे में साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए पुलिस सुपर प्लान लेकर आई है, जिसके तहत साइबर क्राइम पर लगाम कसने के लिए रांची पुलिस कर्नाटक मॉडल अपनाने वाली है। इस प्लान के तहत बैंक, सीआईडी और झारखंड पुलिस ज्वाइंट प्रोग्राम चलाएगी। रांची पर है ठगों की नजर
दरअसल, रांची एसएसपी द्वारा गठित स्पेशल टीम के चौंकाने वाले खुलासे ने नई चुनौती पैदा कर दी है। रिपोर्ट के आधार पर साइबर क्रिमिनल्स के लिए रांची फेवरिट प्लेस बन गई है। सिर्फ झारखंड ही नहीं, बल्कि छह अलग-अलग राज्यों के साइबर क्रिमिनल्स यहां के लोगों से ठगी कर रहे हैं। इनमें झारखंड के अलावा दूसरे राज्यों जैसे राजस्थान, बिहार, ओडि़शा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, और पश्चिम बंगाल के अलग-अलग शहरों में बैठ कर ठग अपना शिकार रांची में ढूंढ रहे हैं। जाल में फंसते ही ठगी को अंजाम दे डालते हैं। सिटी में हुए साइबर क्राइम के सभी मामलों को स्पेशल टीम खंगाल रही है। रांची से लेकर ओडि़शा, दिल्ली और दूसरे शहरों से भी साक्ष्य जुटाए रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 50 से अधिक शहरों में बैठकर जालसाज लोगों को फंसाने का काम कर रहे हैं। साइबर क्रिमिनल्स पर शिकंजा कसने और उनकी गिरफ्तारी के लिए रांची पुलिस ने कर्नाटक मॉडल को अपनाने का फैसला किया है। फर्जी नाम से सिम व मोबाइल


एसएसपी द्वारा गठित 14 स्पेशल टीम साइबर क्राइम के करीब चार सौ मामलों को इंवेस्टिगेट कर रही है, जिसमे 50 से ज्यादा शहरों का कनेक्शन सामने आया है। रिपोर्ट के आधार पर राज्य और यहां से बाहर रहने वाले संदिग्ध पर नजर रखी जा रही है। पुलिस रिपोर्ट की मानें तो साइबर अपराधी ठगी के लिए फर्जी सिमकार्ड से लेकर दूसरे के नाम पर मोबाइल फोन और अन्य गैजेट भी फर्जी नाम से प्रयोग कर रहे हैं। गौरतलब हो कि राजधानी में लगातार आ रहे साइबर क्राइम के मामलों को देखते हुए सीनियर एसपी एसके झा ने साइबर मामलों के इंवेस्टिगेट के लिए स्पेशल 14 टीम का गठन किया था। जो अलग-अलग शहरों में जाकर पड़ताल कर रही थी। इसकी रिपोर्ट में पाया गया कि जिस नाम और पता पर जारी सिम कार्ड का प्रयोग साइबर अपराधियों ने किया था, वहां पर उस नाम का कोई व्यक्ति रहता ही नहीं है। इससे स्पष्ट है कि साइबर अपराधियों ने फर्जी सिम कार्ड का प्रयोग किया है। वहीं, जिन बैंक अकाउंट धारकों के खाते की जांच की गयी, वे गरीब तबके के हैं। इससे स्पष्ट है कि संबंधित व्यक्ति के अकाउंट का प्रयोग साइबर अपराधियों ने ठगी के बाद रुपये को उनके अकाउंट से ट्रांसफर करने के लिए किया होगा। इसके अलावा भी अन्य बिंदुओं पर जांच की जा रही है। आठ टीम अभी भी विभिन्न राज्यों के शहरों में सत्यापन और छापेमारी कर रही है। दिसंबर में टीमों को विभिन्न स्थानों पर छापेमारी के लिए भेजा जाएगा।क्या है कर्नाटक मॉडल

कर्नाटक में बढ़ते साइबर फ्राड और डिजिटल बैंकिंग धोखाधड़ी को देखते हुए बैंक और पुलिस ने संयुक्त रूप से अभियान चलाकर ऐसे मामलों का खुलासा किया। क्राइम करने वालों को सलाखों के पीछे भी भेजा गया। इसी तर्ज पर झारखंड में भी साइबर क्रिमिनल्स पर कार्रवाई के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश पर साइबर इंसीडेंट रिपोर्टिंग मैकेनिज्म डेवलप करने पर विचार चल रहा है। इसमें बैंक, सीआईडी और झारखंड पुलिस के एक्सपट्र्स शामिल किए जाएंगे, जो साइबर फ्रॉड पर कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। रिजर्व बैंक ने कर्नाटक मॉडल के आधार पर इस मैकेनिज्म के लिए काम करने की बात कही है। इसके माध्यम से पुलिस और बैंक अधिकारी संपर्क में रहेंगे और एक दूसरे से सभी इनफॉर्मेशन शेयर करेंगे। इस मॉडल को आगे बढ़ाते हुए बैंकों के नोडल अधिकारियों की डिटेल्स सीआईडी ब्रांच ऑफिस को भेज दी गई है।

साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस लगातार काम कर रही है। अलग-अलग प्लानिंग पर वर्क चल रहा है। स्पेशल टीम भी काम कर रही है। -एसके झा, एसएसपी, रांची

Posted By: Inextlive