-मरीजों के बैठने के लिए ढंग की कुर्सियां भी नहीं

-जहां-तहां खड़े रहते हैं मरीज और उनके परिजन

-मेडिसीन ओपीडी में लगा वाटर प्यूरीफायर खराब

-मरीजों के लिए आजतक लिफ्ट नहीं हो सकी चालू

-हॉस्पिटल के अंदर गाडि़यां की जा रहीं पार्क

-बेतरतीब गाडि़यों के लगाने से हो रही परेशानी

.फिगर स्पीक्स

1000 मरीज हर दिन आते हैं ओपीडी में

100 से अधिक मरीजों का इनडोर में इलाज

250 बेड के हॉस्पिटल का हो रहा संचालन

ह्मड्डठ्ठष्द्धद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

RANCHI (24 छ्वड्डठ्ठ) : सिटी के हार्ट में स्थित सदर हॉस्पिटल को भले ही सुपरस्पेशियलिटी का दर्जा दे दिया गया है। लेकिन आज भी इस हॉस्पिटल की व्यवस्था पटरी पर नहीं लौट पाई है। इलाज के लिए आने वाले मरीजों को जेनरल हॉस्पिटल वाली भी फैसिलिटी नहीं मिल पा रही है। इस वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मरीजों के बैठने के लिए ढंग की कुर्सी भी नसीब नहीं हो रही है।

मामूली रिपेयरिंग की जरूरत

हॉस्पिटल के ओपीडी में हर दिन एक हजार मरीज आते हैं। लेकिन मरीजों की तुलना में वहां पर पर्याप्त कुर्सियां ही नहीं है। वहीं जो कुर्सियां हैं उसे भी रिपेयरिंग की जरूरत है। इस वजह से मरीज और उनके परिजन खड़े रहने को मजबूर हैं। वहीं कई लोग तो सीढि़यों पर डेरा जमा लेते हैं। अगर कुर्सियों की थोड़ी रिपयेरिंग करा दी जाए तो बैठने लायक बन जाएंगी।

पानी के लिए लग रही दौड़

मेडिसीन डिपार्टमेंट का ओपीडी, डॉग बाइट सेंटर और कुछ नए ओपीडी भी फिलहाल पुरानी बिल्डिंग में ही चल रहे हैं। लेकिन वहां आने वाले मरीजों के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है। डिपार्टमेंट में लगा आरओ पिछले कई महीनों से खराब पड़ा है, जिससे पानी के लिए भी दौड़ लगानी पड़ रही है। अगर आरओ लगाने वाली कंपनी से संपर्क किया जाए तो उसे तत्काल ठीक कराया जा सकता है। चूंकि बड़ी कंपनियां प्रोडक्ट पर गारंटी-वारंटी कवर करती हैं।

लिफ्ट बंद, सीढि़यों पर घिसट रहे मरीज

छह फ्लोर की बिल्डिंग में तीन फ्लोर को चालू कर दिया गया है। मैटरनिटी, चाइल्ड के अलावा इस बिल्डिंग में जेनरल वार्ड को भी शिफ्ट कर दिया गया है, जहां हमेशा 100 से अधिक मरीज एडमिट होते हैं। इसमें कई मरीज चलने-फिरने में लाचार भी होते हैं। इसके बावजूद लिफ्ट को चालू नहीं किया गया है। ऐसे में मरीजों के सामने सीढि़यां और रैंप चढ़ने के अलावा कोई चारा नहीं है। इस चक्कर में मरीजों की सांस फूलने लगती है।

हॉस्पिटल के अंदर गाड़ी का धुआं

हॉस्पिटल के अंदर का एरिया सेंसिटिव माना जाता है। जहां किसी तरह के पॉल्यूशन पर रोक होती है। वहीं गंदगी का तो नामोंनिशान नहीं होता। लेकिन सदर हॉस्पिटल की हालत बिल्कुल उलट है। जहां हॉस्पिटल के अंदर ही स्टाफ्स गाडि़यां लेकर घुस जा रही हैं। ऐसे में गाडि़यों से निकलने वाला धुआं इलाज करा रहे मरीजों के लिए घातक साबित हो सकता है। इसके बाद भी प्रबंधन इसे रोकने में नाकाम है।

बेतरतीब पार्किग बढ़ा रहा परेशानी

कैंपस में गाडि़यों की बेतरतीब पार्किग पर रोक लगाने के लिए कदम उठाया गया है। ठेकेदार को इसका जिम्मा दिया गया है। लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। अब कैंपस में फिर से बेतरतीब गाडि़यां पार्क की जा रही हैं। वहीं एंट्री गेट को भी जाम कर दिया जाता है। जिससे कि एंबुलेंस को आने में भी दिक्कत हो रही है। लेकिन ठेकेदार को इससे कोई लेना-देना नहीं है। वहीं सिक्योरिटी में तैनात गा‌र्ड्स को भी इस समस्या से कोई मतलब नहीं है।

Posted By: Inextlive