650 साल पुरानी अपनी परंपरा को बदलते हुए सतरोल खाप ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जातीय बंधन को खत्म करने का फैसले किया है. खाप ने कहा है कि लोग अपनी गांव गोत्र और पड़ोसी गांव को छोड़कर कहीं भी विवाह कर सकते हैं


कहीं भी कर सकते हैं विवाहसामाजिक दबाव व रिश्तों में आ रही अड़चनों के मद्देनजर सतरोल खाप ने 650 साल पुरानी अपनी परंपरा बदल दी है. खाप की महापंचायत ने निर्णय लिया कि लोग गांव, गोत्र और पड़ोसी गांव को छोड़कर कहीं भी विवाह कर सकते हैं. अब कोई जातीय बंधन नहीं रहेगा और खाप का चबूतरा नारनौंद में बनाया जाएगा.ऐतिहासिक फैसला विरोधअभी तक खाप के 42 गांवों में रिश्ता नहीं हो सकता था. इन गांवों में खाप के अनुसार भाईचारा माना जाता था. सनडे को सतरोल खाप के प्रधान सूबेदार इंद्र सिंह के नेतृत्व में दादा देवराज धर्मशाला में हुई महापंचायत में ये ऐतिहासिक निर्णय लिए गए. हजारों लोगों की मौजूदगी में महापंचायत ने फैसले पर अपनी मुहर लगाई. हालांकि कुछ लोगों ने इसका विरोध किया और बीच में ही महापंचायत से उठकर चले गए.लोग बना सकेंगे रिश्तेदारी
इस मामले में पहले भी कई बार महापंचायत हुई थी, लेकिन विरोध के चलते इस पर निर्णय नहीं हो पाया था. सनडे को महापंचायत में सतरोल खाप के प्रधान इंद्र सिंह ने कहा कि हम खाप को तोड़ नहीं रहे हैं सिर्फ रिश्ते नातों के बंधन को खोल रहे हैं. उसके बाद ऋषि राजपुरा ने कहा कि हमारे बुजु़र्ग जैसा भाईचारा हमें देकर गए थे हमें उनकी विरासत को बचाते हुए इसे संभालकर रखना चाहिए. सतरोल खाप में आने वाले गांव में आपस में रिश्तेदारी करना ठीक नहीं होगा. आखिर पांच लोगों की एक कमेटी बनी, जिसमें उगालन तपा से जिले सिंह, नारनौंद तपा से होशियार सिंह, बास तपा से हंसराज और कैप्टन महाबीर सिंह व सतरोल खाप के प्रधान सूबेदार इंद्र सिंह शामिल किए गए. कमेटी ने निर्णय लिया कि अब से सतरोल खाप के लोग आपस में रिश्तेदारी कर सकेंगे. वह बस अपना गांव, गोत्र व पड़ोसी गांव को छोड़कर आसपास के गांवों में संबंध बना सकते हैं..

Posted By: Subhesh Sharma