अपने गौरवशाली इतिहास के जानी जाने वाली नालंदा यूनिवर्सिटी एक बार फिर से शुरू हो गई है. हालांकि यह शुरूआत कोई खास नही रही क्‍योंकि पहले दिन सिर्फ 9 छात्रों ने नालंदा विश्‍वविद्यालय में पढ़ाई की.


फिर से शुरू हो गई ऐतिहासिक यूनिवर्सिटीनालंदा विश्वविद्यालय के इतिहास से हम सभी अच्छी तरह वाकिफ हैं लेकिन इस पुरातन यूनिवर्सिटी को फिर से शुरू करने के लिए लंबे प्रयास करने पड़े हैं. इन प्रयासों की बदौलत आज यह यूनिवर्सिटी फिर से चालू हो गई है. पहले दिन की पढ़ाई में 9 स्टूडेंट्स और 7 फैकल्टी मेंबर्स मौजूद रहे. हालांकि इस पहले सत्र के लिए करीब 15 लोगों ने दाखिला लिया है. यूनिवर्सिटी ने पहले सत्र के लिए अपनी फीस में 50 परसेंट का डिसकाउंट किया हुआ है. पीजी कोर्स के लिए सालाना फीस 3 लाख रुपये लेकिन इसके साथ एडमिशन फीस भी लगेगी. कौन-कौन से कोर्स अवेलेबल
यूनिवर्सिटी में अभी सिर्फ हिस्ट्री और ईकोलॉजी पढ़ाया जा रहा है. आज से पहले यह यूनिवर्सिटी प्रशासन यह मानकर चल रहा था कि हर कोर्स में 20 स्टूडेंट दाखिला लेंगे. लेकिन अब तक सिर्फ 15 लोगों ने दाखिला लिया है. इन स्टूडेंट्स में से दो स्टूडेंट जापान और एक स्टूडेंट भूटान से है. गौरतलब है कि टीचर्स में दो टीचर्स अमेरिका और सिंगापुर से हैं. अभी कैंपस अवेलेबल नही


यूनिवर्सिटी के पास अभी कैंपस अवेलबल नही है इसलिए इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर के दो कमरों को किराए पर लिया गया है. इसके साथ ही आवासीय व्यवस्था के लिए 40 कमरों वाला एक होटल किराए पर लिया गया है. हालांकि यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग को 446 एकड़ में बनाने के लिए काम शुरू हो गया है. यह प्रोजेक्ट 2020 से पहले पूरा नही हो सकता. एपीजे अब्दुल कलाम के दिमाग का आइडियाइस यूनिवर्सिटी को फिर से शुरू करने का विचार सबसे पहले पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के दिमाग में आया था. इसके बाद भारत, चीन, सिंगापुर, जापान और थाईलैंड ने साथ मिलकर इस यूनिवर्सिटी को बनाने की घोषणा की.

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Posted By: Prabha Punj Mishra