रालेगांव सिद्धि...सिर्फ दो साल पहले देश भर में चर्चित रहे इस गांव में अब कोई चहल-पहल नहीं महसूस होती. सबकुछ सामान्य लगता है. इस बात पर यकीन करना मुश्किल होता है कि भ्रष्टाचार के विरोध की लड़ाई के प्रतीक अन्ना हजारे यहीं रहते हैं.


खुद अन्ना हजारे अब राजनीति के संबंध में कोई बात नहीं करना चाहते और जनलोकपाल के लिए अपनी लड़ाई स्वयं आगे ले जाना चाहते हैं.पुणे से लगभग 80-90 किलोमीटर दूर रालेगांव में मैं जब उतरता हूं तो वही नजारा देखने को मिला जो महाराष्ट्र के किसी भी आम गांव में होता है. अन्ना हजारे की संस्था 'हिंद स्वराज ट्रस्ट' गांव से लगभग एक किलोमीटर दूर है. वहां पहुंचने पर पता चलता है कि अन्ना से मिलने के लिए पास लेना पड़ता है.संस्था के ऑफ़िस से पास लिया तो पता चला उस दिन मैं केवल आठवां व्यक्ति था जो अन्ना से मिलने आया था. अन्ना के कमरे तक जाने पर पता चलता है कि उनकी तबियत खराब है. सुरक्षा के लिए तैनात एक पुलिसकर्मी बताता है, "आप उन्हें पांच बजे मिल सकते हैं."


पूरा दिन गुजारने के बाद मैं संस्था में फिर से पहुंचता हूं. दिल्ली से आए कुछ लोग वहां मिलते हैं.

अन्ना के सहायकों में से एक व्यक्ति सुबह की एक घटना बताता है, "दिल्ली के एक कर्मचारी ने आकर संस्था के अहाते में अनशन शुरू किया था. केजरीवाल को समर्थन देने की उसकी मांग थी. पुलिस के हस्तक्षेप के बाद उस कार्यकर्ता को वहां से हटाया गया. दिल्ली से कई लोग पिछले हफ़्ते भर से आ रहे है. सीडी कांड से संबंधित कुमार विश्वास भी उनमें से एक थे."ज़मीन-आसमान का फर्कअरविंद केजरीवाल के बारे में पूछने पर सुबह की अनशन वाली घटना का जिक्र करते हुए अन्ना कहते हैं, "मैंने साफ़ कर दिया है कि केजरीवाल अगर राजनीति छोड़ दें तो मैं उन्हें समर्थन दूंगा."क्या वे अपना आंदोलन आगे जारी रखेंगे? इसी सवाल के वक्त वे धीरे से कराहते हुए उठते हैं और एक कर्मचारी की सहायता से अंदर के कमरे की ओर चलने लगते हैं. वे धीरे से कहते हैं, "देखते हैं. डॉक्टर ने अनशन करने से मना कर दिया है."जबकि बुधवार को ही जारी किए गए एक लिखित बयान में अन्ना ने कहा था, "लोकपाल बिल के लिए वे रालेगांव सिद्धि में ही आंदोलन करेंगे. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान यह आंदोलन होगा."वे कहते हैं, "मैं अब दिल्ली नहीं जाऊंगा."सिर्फ दो मिनट की इस मुलाकात के बाद बाहर आया तो युवाओं का एक समूह और एक देहाती आदमी अहाते में अन्ना से मुलाकात के लिए रुके थे.

अन्ना के सहायक उन्हें बताते है, "अन्ना अब आराम करने गए हैं और वे उनसे कल मिल सकते हैं. मैं फिर गांव के उसी अंधेरे चौक पर लौटता हूं जहां दोपहर को उतरा था. वहां वैसी ही शांति थी जैसी किसी भी गांव में अमूमन होती है."

Posted By: Subhesh Sharma