आई नेक्‍स्‍ट के ऑपरेशन कटोरा में चार राज्‍यों के 12 शहरों में फैले भिखारियों के नेटवर्क का पर्दाफाश.


यूं तो हम सभी कभी किसी मंदिर के पास तो कभी किसी दरगाह के बाहर, किसी टूरिस्ट प्लेस पर या रेलवे स्टेशन के बाहर एक या दो रुपए किसी भिखारी के हाथों में रख देते हैं, पर क्या कभी यह सोचने की जहमत की है कि आखिर इस बेगिंग प्रॉब्लम की असलियत क्या है? आई नेक्स्ट ने जब इसे टटोला तो 4 स्टेट्स के 12 शहरों से एक भयावह तस्वीर निकल कर आई. तस्वीर एक ऐसे माफिया की जो भीख मांगने का सिंडीकेट रन करता है. यह केवल आपके शहर की ही कंसर्न नहीं है, कमोवेश हर शहर की यही हालत है. जरा आप भी देखिए...मेरठ-यहां करीब 300 सदस्यों का एक संगठित गिरोह काम कर रहा है. -सरगना एक महिला है व भीख की आड़ में यह कई अपराध भी करते हैं. -गिरोह में बच्चों को तरजीह दी जाती है. इनकी बाकायदा ट्रेनिंग भी होती है.


-यूपी के अलावा राजस्थान व उड़ीसा तक इनका नेटवर्क है.मेरठ में 36 करोड रुपए का बिजनेस है भीख और जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करेंhttp://epaper.inextlive.com/36586/Inext-Meerut/07.05.12#page/1/1आगरा-बहुत ही आर्गनाइज्ड तरीके से होता है यह धंधा. -हर किसी की जगह तय है, मंदिर, मस्जिद, चौराहा. -भिखारियों के लिए नशे का भी होता है ऑन द स्पॉट अरेंजमेंट.

-भिखारियों की बस्ती में फ्रिज, टीवी और कूलर का भी इंतजाम. -आबू उलाह दरगाह के पास एक आंटी चलाती हैं यह रैकेट. -भिखारियों को सप्लाई होती है बिरयानी व अन्य लजीज व्यंजन. -महिलाएं और युवक रखते हैं बेगर्स पर बारीक निगाह.आगरा में फैले भिखारियों के नेटवर्क के बारे में और जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करेंhttp://epaper.inextlive.com/36595/i-next-agra/07.05.12#page/1/1 कानपुर-कॉरपोरेट स्टाइल में चल रहे भिखारी गैंग्स के सदस्य लूट और स्नेचिंग जैसे जरायम में भी लिप्त.-अधिकांश गैंग्स की कमान महिलाओं के हाथ में, बड़ी संख्या में बच्चे हैं गैंग के मेंबर्स.-हर गैंग अपनी अलग टेरीटरी बांट कर काम करता है और एक दूसरे के क्षेत्र में दखल नहीं देता. -बड़ी संख्या में बच्चे इन गैंग्स के सदस्य हैं, जिन्हें लूट और झपटमारी जैसे जरायम करने के लिए बाकायदा प्रोफेशनल जैसी ट्रेनिंग दी जाती है.-शहर के मोतीझील इलाके में सक्रिय एक अन्य गैंग को भी बूढ़ी और विडो भिखारिन ऑपरेट करती है.-लजीज खाने-पीने की शौकीन पंडिताइन चाची नाम से प्रसिद्ध ये महिला तो अब बाकायदा दुकानदारों और ठेले-खोमचे वालों को 10 परसेंट ब्याज पर, हर माह डेढ़ से 2 लाख रुपए तक बांटती है.

-वो अपने 9 बच्चों की शादी भी अपनी कमाई से ही कर चुकी है. कानपुर के भिखारियों की कॉरपोरेट स्टाइल के बारे में पढने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करेंhttp://epaper.inextlive.com/36562/INext-Kanpur/07.05.12#page/1/1बरेली-बरेली में भिखारियों के सिंडीकेट का एनुअल टर्नओवर करोड़ों में है. -अगर किसी की वसूली कम हुई तो उसे अगले दिन अपने बकाए रुपए की क्षतिपूर्ति करनी होती है. -बरेली में इस वक्त कुल साढ़े सात हजार भिखारी मौजूद हैं. -प्रतिदिन इनकी औसत कमाई डेढ से दो सौ रुपए तक है. -इन सिंडिकेट्स ने बरेली को सात जोन में डिवाइड कर रखा है. -बाकायदा इनकी ट्रेनिंग होती है. श्लोक और डॉयलाग याद करवाए जाते हैं. बरेली में भिखारियों के सिंडीकेट के बारे में और जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करेंhttp://epaper.inextlive.com/36560/INEXT-BAREILLY/07.05.12#page/1/1इलाहाबाद-भिक्षाटन पर बेगर माफियों का राज है. वह तय करते हैं कि कौन कहां भीख मांगेगा और कैसे. -किस स्थान पर भिक्षाटन करने पर उसे कितना पैसा मिलेगा. कितने घंटे वर्क करना होगा. -रेलवे स्टेशन पर स्थित मजार के पास बच्चे भीख मांगने के लिए किराए पर भी उपलब्ध कराए जाते हैं. -भीख में मिले पैसे हर हफ्ते बेगर माफिया का कारिंदा वसूल कर ले जाता है.
इलाहाबाद में बेगर माफिया किस तरह करते हैं राज जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करेंhttp://epaper.inextlive.com/36541/I-next-allahabad/07.05.12#page/1/1गोरखपुर-गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर दो लड़कियां बेगर्स गैंग ऑपरेट कर रही हैं. -कुछ भिखारियों के पास मोबाइल भी है और घर में कलर टीवी भी लगा है. -सरकारी रिकार्ड में गोरखपुर में केवल 165 भिखारी ही हैं. -जानकारी के अनुसार गोरखपुर जंक्शन पर भीख में जीआरपी व आरपीएफ का भी हिस्सा होता है.गोरखपुर में किस तरह काम करता है बेगर्स गैंग क्लि करेंhttp://epaper.inextlive.com/36553/I-Next-Gorakhpur/07.05.12#page/1/1

जमशेदपुर-सिटी की सैकड़ों फैमिलीज ने भीख मांगने को बनाया प्रोफेशन. -फैमिली के सभी मेंबर्स दिन में बन जाते हैं भिखारी. -घर पर है टीवी. बच्चे पढ़ते हैं अच्छे स्कूल्स में. -एक महिला व बच्चों को उसका पति रिक्शे से भीख मांगने के लिए छोड़ जाता है व शाम को ले जाता है. -आईपीएल मैच देखने के भी शौकीन हैं भिखारी.जमशेदपुर में भीख मांगना बन गया है प्रोफेशन पढने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंhttp://epaper.inextlive.com/36576/I-Next-Jamshedpur/07.05.12#page/1/1 वाराणसी-वाराणसी के वल्र्ड फेमस घाटों की भी बोली लगती है. -भिखारी जरूरत के हिसाब से अपनी जगह बेच देते हैं या फिर किराये पर उठा देते हैं.
-आमतौर पर किराया 100 रुपए है, लेकिन फेस्टिवल आदि पर यह 400 से 500 रुपए पहुंच जाता है.घ -कुछ भिखारी दो शिफ्ट में अपनी जगह किराये पर चलाते हैं.वाराणसी में भीख के लिए लगती है घाटों की बोली क्लिक करेंhttp://epaper.inextlive.com/36578/Inext-Varanasi/07.05.12#page/1/1पटना-बच्चों को किराए पर लेकर मांगते हैं भीखभिखमंगों की ठेकेदारी में यूपी का वर्चस्वफुटपाथ पर सोने के लिए देना पड़ता है हफ्ताराज्य सरकार द्वारा भी हैं मान्यता प्राप्त-महिलाओं का एक गिरोह छह महीने से लेकर तीन साल तक के बच्चों को प्रति घंटे किराए पर देता है.-भिखारियों की ठेकेदारी से लेकर भीख मांगने में यूपी का वर्चस्व है.-पटना में राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त भिखारी भी हैं. इन्हें पहचानपत्र जारी किया है. पटना में भीख के बिजनेस पर यूपी का कब्जा और जानने  के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंhttp://epaper.inextlive.com/36567/Inext-Patna/07.05.12#page/1/1देहरादून-पूरी स्ट्रेटजी के तहत काम करते हैं सिटी में भिखारी. -ट्रेनर चार साल से आठ साल तक के बच्चों को मॉनिटर करते हैं. -इस धंधे में डेढ़ सौ के करीब परिवार शामिल हैैं. -औसत कमाई प्रति दिन के हिसाब से एक हजार के करीब रहती है.-नशे के धंधा भी भीख की आड़ में किया जाता है.देहरादून में भ्रिखारी कर रहे नशे का कारोबार जानने के लिए क्लिक करेंhttp://epaper.inextlive.com/36547/Inext-Dehradun/07.05.12#page/1/1रांची -बच्चों से भीख मंगवाने वाले कम से कम चार गैंग एक्टिव हैं. -बच्चों ने बताया, उन्हें जितना पैसा मिलता है, सारा एक ‘भैया’ और एक ‘चाचा’ को दे देते हैं. -एक महिला रांची के पास के इलाके से 18 बच्चों को ट्रेन से लेकर आती है. -यह बच्चे दिन भर भीख मांगते हैं. -बच्चों को हर दिन बीस से तीस रुपए तक यह महिला देती है. -अलबर्ट एक्का चौक पर भीख मांगनेवाले एक व्यक्ति को जीन्स-कुर्ती पहनने वाली एक युवती हर रोज स्कूटी से लाकर छोड़ जाती है.http://epaper.inextlive.com/36571/INext-Ranchi/07.05.12#page/1/1लखनऊ-यूपी की कैपिटल सिटी से जुड़े सीतापुर जैसे इलाकों से बच्चों को लाकर भीख का धंधा कराया जाता है. -इसे सरगना एक गैंग की तरह ऑपरेट करते हैं. -बच्चे सुबह ट्रेन से लाए जाते हैं और शाम को लौट जाते हैं. -शहर में सरकारी भिक्षु गृह खाली पड़ा रहता है. -ये बेगर्स इनोवेटिव तरीके अपनाते हैं. 

Posted By: Kushal Mishra