लोकल एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से सिटी में नहीं है प्लास्टिक कचरे की रिसाइकिलिंग का इंतजाम

प्लास्टिक फैक्ट्रियों में मानक के अनुरूप नहीं रिसाइकिल हो रहा प्लास्टिक

VARANASI : सिटी में डेली सौ टन से अधिक प्लास्टिक कचरा होता है। इसके रिसाइकिलिंग का कोई इंतजाम नहीं है। करसड़ा में कूड़ा डम्पिंग ग्राउंड बनाया गया। यहां प्लास्टिक कचरे को निस्तारण का व्यस्था भी की गयी लेकिन प्लांट सालों से चालू ही नहीं हो सका है। फिलहाल शहर में होने वाला प्लास्टिक कचरा जमीन और नदियों में पहुंचती है। कुछ मात्रा सिटी में मौजूद प्लास्टिक फैक्ट्री तक जाता है। यहां रिसाइकिल करके नया प्रोडक्ट तैयार किया जाता है। प्राइवेट तौर पर चलने वाली इस फैक्ट्री में रिसाइकिलिंग मानक के अनुरूप नहीं होती है। इससे रिसाइकिल होने वाले प्लास्टिक की क्वालिटी अच्छी नहीं होती। इससे तैयार होने वाला प्रोडक्ट भी अच्छा नहीं होता है।

अपने शहर में नहीं कोई इंतजाम

बड़े शहरों में प्लास्टिक कचरा निस्तारण के लिए काफी अधिक इंतजाम होता है। अलग डस्टबीन रखे जाते हैं। कचरे को ढोने के लिए अलग व्हीकल होते हैं। फैक्ट्री में भी मानक का कड़ाई से पालन किया जाता है। अपने शहर में ऐसा कुछ भी नहीं है। लोकल एडमिनिस्ट्रेशन प्लास्टिक कचरा को कम करने के प्रति बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। अपनी जरूरत के लिए प्लास्टिक फैक्ट्री इसे रिसाइकिल करती हैं। यहां भी मानक का ख्याल नहीं रखा जाता है। इसकी वजह से पर्याप्त मात्रा में प्लास्टिक रिसाइकिल नहीं होता है। तैयार सामान की क्वालिटी भी अच्छी नहीं होती है।

फौज जुटाती है शहर से प्लास्टि

-फैक्ट्री तक यूज्ड प्लास्टिक पहुंचाने के लिए मजदूरों की बड़ी फौज शहर के कोने-कोने से प्लास्टिक बटोरती है

-शहर में कई जगहों पर मौजूद ठिकानों पर पर इन्हें टाइप के मुताबिक अलग किया जाता है

-कुछ रुपयों के बदले प्लास्टिक को शहर में मौजूद लगभग दो सौ प्लास्टिक फैक्ट्रियों तक पहुंचा देते हैं

-मानक के अनुरूप प्लास्टिक रिसाइकिल करने के पांच स्टेज होते हैं। बेहद एडवांस प्लांट में हर स्टेज को निगरानी में पूरा किया जाता है

-अपने शहर में मौजूद फैक्ट्रीज में प्लास्टिक रिसाइकिल करने वाले प्लांट स्टैण्डर्ड लेवल के नहीं हैं

-रिसाइकिल करने से सभी स्टेज का कड़ाई से पालन नहीं किया जाता है

-रिसाइकिल से पहले टाइप के मुताबिक प्लास्टिक को अलग नहीं किया जाता है

-अक्सर प्लास्टिक की केमिकल वॉशिंग भी नहीं की जाती है

-कटिंग के बाद तैयार छोटे-छोटे टुकड़ों की भी सफाई नहीं होती है

-टुकड़ों के साथ फ्रेश प्लास्टिक मिलाकर प्रोडक्ट तैयार कर दिया जाता है

कम फायदा नुकसान ज्यादा

-प्लास्टिक रिसाइकिल करने वाली प्लांट की निगरानी का इंतजाम अपने शहर में नहीं है

-रिसाइकिल के मानक का प्रयोग नहीं करने से काफी प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं हो पाता है

-प्लांट में बचा प्लास्टिक कूड़ा के जरिए फिर शहर की जमीन पर आ जाता है

-प्लांट से निकला प्लास्टिक फिर किसी काम का नहीं रह जाता है

-रिसाइकिल प्लास्टिक से तैयार प्रोडक्ट की क्वालिटी अच्छी नहीं होती है

-प्रोडक्ट जल्द ही इस्तेमाल से बाहर हो जाते हैं एक बार फिर प्लास्टिक कचरा का रूप ले लेते हैं

-शहर को प्लास्टिक के खतरे से बचाने की जिम्मेदारी नगर निगम और प्रदूषण विभाग की है

-दोनों डिपार्टमेंट के यह भी नहीं पता है कि शहर में कितने प्लास्टिक के कारखाने मौजूद हैं

-इनके जरिए फैक्ट्री की निगरानी का कोई इंतजाम नहीं है

-प्लास्टिक कचरा तो हर जगह मौजूद लेकिन इन फैक्ट्रीज का कचरा कहां जा रहा यह भी डिपार्टमेंट्स को नहीं पता

Posted By: Inextlive