प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी बुधवार शाम रूस की दो दिवसीय यात्रा के लिए रवाना होंगे। मोदी इस दौरे पर रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता में शामिल होंगे। बातचीत का मकसद हाइड्रोकार्बन रक्षा व्‍यापार एवं परमाणु के क्षेत्र में फोकस करते हुए स्‍टैटेजिक संबंधो का विस्‍तार करना है। गुरुवार को दोनो नेताओं के बीच होने वाली वार्ता के बाद दोनों देश परमाणु एनर्जी और रक्षा समेत कई समझौतों पर हस्‍ताक्षर कर सकते है।


पन्द्रह सालों से होती आरही है वार्ता रूस और भारत के बीच यह शिखर वार्ता वर्ष 2000 से मास्को और नई दिल्ली में बारी बारी से होती आरही है। विदेश सचिव एस जयशंकर ने बताया हमें विभिन्न्ा क्षेत्रों में कई समझौतों पर दस्तखत होने की आशा है।उनमें से कुछ को अंतिम रूप दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आर्थिक संबंधो में विस्तार अहम प्राथ्ज्ञमिकता होगी। क्योंकि दोनों देशों का सालाना द्विपक्षीय कारोबार अगले दस वर्षो में 10 अरब डॉलर से बड़ कर 30 अरब डॉलर तक लेजाने का लक्ष्य है। आंतकवाद से निपटने पर होगा विशेष ध्यान


मोदी और पुतिन द्विपक्षीय मुद्दो के अलावा सीरिया की स्थित और आतंकवाद से निपटने के तरीकों पर विशेष ध्यान देंगे। साथ ही विभिन्न ग्लोबल मुद्दो पर भी चर्चा हो सकती है। जयशंकर ने कहा कि भरत डायमंड ट्रेड और एग्रीकल्चर बिजनेस जैसे कुछ अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के आलावा रूस के तेल और कोयला क्षेत्र में भी पार्टनरशिप को लेकर आशान्वित है।  भारत है तेल का सबसे बड़ा इंपोर्टर  

रूस तेल का सबसे बड़ा उत्पादकों में शामिल है। रूस के पास प्राकृतिक गैस का भी भंडार है। वहीं भारत उर्जा संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। एसे में वह रूस की गैस और तेल एक्सप्लॉरेशन में व्यापक भागीदार पर जोर दे रहा है। अमेरिका चीन के बाद भारत तेल का तीसरा सबसे बड़ा इंपोर्टर है । जयशंकर ने बताया कि रूस शुरू से ही भारत का मिलिटरी पार्टनर एवं रणनीतिक पार्टनर भी रहा है। मोदी और पुतिन के बीच इन विषयों पर भी चर्चा हो सकती है।

Posted By: Prabha Punj Mishra