Varanasi: रेल सुविधाओं को लेकर बनारस की बदनसीबी में मंगलवार को एक और दिन जुड़ गया. रेल मिनिस्टर पवन बंसल के पिटारे से बनारस के लिए ऐसा कुछ भी नहीं निकला जो बनारसियों के चेहरे चमका सके. हां पवन मेल ने काफी बारीकी से खेल जरूर किया. आइये नजर डालते हैं बनारस की जरूरतों के बीच नये रेल बजट पर.


बनारस के लिए बस 'झटका' एक्सप्रेस पवन बंसल की मेल ने बनारस के संग वही खेल किया, जो पिछले कई रेल बजट में होता चला आया है। लास्ट इयर की तरह इस बार भी रेल बजट में बनारस को 'झटकाÓ ही मिला है। नये सौगात की आस लगाए बनारसियों की झोली फिर खाली की खाली है। जो थोड़ा सा मिला भी है, उसकी उतनी जरूरत नहीं थी, जितनी पुरानी डिमांड को लेकर उम्मीदें थीं। पूरा बजट ही निराशाजनक


बनारस से लखनऊ के बीच नयी ट्रेन और वाराणसी से सियालदह के बीच चलने वाली अपर इंडिया को सप्ताह में दो दिन दिल्ली तक चलाने की घोषणा को छोड़ दें तो पूरा बजट कम से कम बनारस के लिए तो बेहद ही निराशाजनक रहा। पिछले कई सालों से बंगलुरु, गुवाहाटी सहित कोलकाता के लिए यहां से नयी टे्रन चलाने की मांग की जा रही है। इस मांग को नये रेल मिनिस्टर पवन बंसल ने भी इग्नोर ही किया। बाकी मांगें भी नजरअंदाज

रेल मिनिस्टर ने कैंट स्टेशन को इंटरनेशनल लेवल का बनाने, मंडुआडीह व सिटी स्टेशन को टर्मिनल के रूप में डेवलप करने, आसपास के स्टेशंस के लिए डीएमयू चलाने और पैसेंजर्स एमेनिटीज बढ़ाने की याद भी नहीं आयी। पिछले बजट में मंडुआडीह में रेलवे की जमीन पर आम पब्लिक के लिए हॉस्पिटल और पॉलीटेक्निक कॉलेज बनाने की घोषणा भी हकीकत में उतर नहीं पायी। ऊपर से फेयर में बढ़ोत्तरी ने रही सही कसर को पूरा कर दिया। चार साल बाद भी सपना वाराणसी कैंट स्टेशन को इंटरनेशनल लेवल का बनाने की आस हकीकत में तब्दील नहीं हो पायी। रेल मिनिस्टर लालू प्रसाद यादव ने अपने रेल बजट में कैंट स्टेशन को वल्र्ड लेवल का बनाने की घोषणा की थी। इस घोषणा के लगभग चार साल बीत गए। प्रोजेक्ट अभी भी हवा में फर्राटे भर रहा है। बता दें कि तत्कालीन रेल मिनिस्टर ने देश के 50 स्टेशंस को वल्र्ड क्लास का बनाने की घोषणा की थी। इसमें बनारस का भी नाम था। लेकिन तब से लेकर अब तक तीन रेल मिनिस्टर चेंज हो गए और प्रोजेक्ट कागज पर भी उतर नहीं पाया। इस रेल बजट से लोगों को उम्मीद थी लेकिन यह भी उन्हें निराश कर गया। बनारसियों के लिए बस इतना ही= वाराणसी से लखनऊ के बीच नयी टे्रन घोषणा। = वाराणसी से सियालदह के बीच चलने वाली अपर इंडिया अब सप्ताह में दो दिन नई दिल्ली तक।  = वाराणसी से बलिया के बीच दोहरीकरण के लिए होगा सर्वे।

= दुर्ग छपरा एक्सप्रेस को मुज्जफरपुर तक चलाने की घोषणा। = लोहता-चौखंडी-सेवापुरी सेक्शन का दोहरीकरण होगा। ये मांगें भी हुईं नजरअंदाज= वाराणसी से बंगलुरु के बीच नहीं मिली कोई नई ट्रेन।= गुवाहाटी व कोलकाता के लिए भी कोई नई ट्रेन नहीं। = दक्षिण भारतीय सैलानियों के अलावा बनारस में रह रहे साउथ इंडियंस की उम्मीद पर फिरा पानी। यहां भी हाथ लगी मायूसी = स्टेशन पर पैसेंजर्स को पीने के साफ पानी, टॉयलेट व बैठने की व्यवस्था के लिए कोई इंतजाम का ऐलान नहीं।= इंक्वायरी की हालत में सुधार के लिए नहीं हुई कोई घोषणा। = देश के सबसे बड़े टूरिस्ट सेंटर में से एक बनारस कैंट स्टेशन पर सिक्योरिटी को भी तवज्जो नहीं।= बुकिंग विंडो पर होने वाली मारामारी से भी लोगों को नहीं मिली निजात। टूरिस्ट्स पर भी रहम नहीं
दुनिया भर से हेरिटेज सिटी बनारस पहुंचने वाले टूरिस्ट्स के लिए कैंट स्टेशन पर कोई सुविधा नहीं है। टूरिस्ट के लिए न तो अलग से वेटिंग रूम है न ही रिटायरिंग रूम। सैलानी यहां जमीन पर बैठने को मजबूर हैं। इस बार उम्मीद थी कि उनके लिए कोई खास घोषणा होगी। लेकिन रेल मिनिस्टर के पिटारे से इनके लिए कुछ नहीं निकला। यही नहीं लास्ट बजट में की गयी घोषणा पर भी अब तक काम स्टार्ट नहीं हो पाया है।  बजट 2011-12 की घोषणाएं = मशीनाइज्ड लॉउंड्री-मंडुआडीह में = मल्टी फंक्शनल कांप्लेक्स वाराणसी में= न्यू कोचिंग टर्मिनल = पॉलीटेक्निक कॉलेज = कैंट स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में बजट होटल = कैंट स्टेशन को वल्र्ड लेबल का दर्जा = कैंट स्टेशन के यार्ड की रीमॉडलिंग = शिवपुर स्टेशन पर पार्सल साइडिंग = कैंट स्टेशन का डेवलपमेंट बजट 2012-13 की घोषणाएं = कैंट स्टेशन कैंपस में बजट होटल = पॉलीटेक्निक कॉलेज = कैंट स्टेशन के यार्ड की रीमॉडलिंग = बनारस में बेस किचन = वाराणसी-औडि़हार रूट का दोहरीकरण= मंडुआडीह-माधोसिंह-इलाहाबाद सेक्शन का इलेक्टिे्रफिकेशन सरचार्ज पड़ेगा भारी
रेल बजट में तत्काल टिकट सहित सुपरफास्ट टे्रन्स के सरचार्ज में हुई वृद्धि पैसेंजर्स पर भारी पड़ेगी। कैंट से ओरिजनेटेड ट्रेन्स के अलावा यहां से गुजरने वाली अन्य टे्रन्स में सबसे ज्यादा स्लीपर क्लास में जर्नी करने वाले होते हैं। अब सरचार्ज में बढ़ोतरी से उन पर सीधा बोझ पड़ेगा। ऑफिसर्स के मुताबिक कैंट स्टेशन से डेली दो दर्जन से अधिक टे्रन्स रवाना होती हैं और इतनी ही यहां से गुजरती भी हैं। इसके लिए डेली बीस हजार से अधिक स्लीपर टिकटों की सेल होती है। इसके अनुपात में थर्ड एसी, सेकेंड एसी, फस्र्ट एसी क्लास में मात्र 30 परसेंट ही टिकटों की सेल होती है।

Posted By: Inextlive