एक बार फिर मंदी के द्वार खड़ी है दुनिया: रघुराम राजन
विकसित देशों की गलत पॉलिसी जिम्मेदार
रघुराम राजन ने बुधवार को लंदन के 'सेंट्ल बैंकिंग जर्नल' में दिए गए इंटरव्यू में कहा कि डेवल्पड कंट्रीज की गलत मॉनेटरी पॉलिसीज की वजह से बड़े पैमाने पर रिस्की एसेट्स तैयार हो गए हैं. ये एसेट्स किसी भी समय ग्लोबल रेसेशन की वजह बन सकते हैं. किसी भी समय इंवेस्टर्स इन एसेट्स से हाथ खींच सकते हैं और ऐसे करते ही पूरी दुनिया में मंदी आ जाएगी. राजन ने इंटरव्यू में कहा कि अनफॉर्च्युनेटली इकॉनॉमिस्ट्स ने पिछले ग्बोबल स्लोडाउन से कोई सीख नहीं ली. वे फिनैंशियल सेक्टर पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. ऐसी सिचुएशन में पूरी दुनिया पर मंदी का खतरा मंडरा रहा है. उनके मुताबिक यह मंदी ऐसे समय में आ रही है जब दुनिया के ज्यादातर देशों में इसे झेलने की कैपेसिटी नहीं है.
1930 के ग्रेट डिप्रेशन जैसे हालात
आरबीआई गवर्नर के मुताबिक मौजूदा हालात साल 1930 में आए द ग्रेट डिप्रेशन जैसे हैं. राजन ने कहा कि मुझे डर है कि अगर इंवेस्टर्स ने प्रॉफिट टेकिंग शुरू की तो दुनिया के विकसित देशों की इकॉनॉमी में गिरावट का दौर शुरु हो जाएगा. इस मंदी का असर भारत समेत तेजी से डेवलप हो रहे सभी देशों पर भी पड़ेगा. इससे पहले राजन ने साल 2005 में एक लेक्चर के दौरान फाइनैंशल सेक्टर में की गड़बड़ियों की तरफ इशारा करते हुए ग्लोबल बाजारों के ढहने की चेतावनी दी थी. उनकी यह चेतावनी 2008 में सच साबित हुई थी जब पूरी दुनिया के तमाम देशों में मंदी आ गई थी. अमेरिका के लेमन बर्दर्स समेत कई बड़े बैंक दिवालिया हो गए थे और इंडिया में भी इसका असर देखने को मिला था.