करीब दो दशक के अंतराल के बाद रिजर्व बैंक जल्द ही फिर से एक रुपया का नोट चलन में लाएगा. ऐसे में अब एक रुपये के नोट की तलाश में रहने वालों को ज्‍यादा परेशानी नहीं होगी. सबसे खास बात तो यह है कि‍ इस बार यह नोट एक नए रंग में आने जा रहा है. आरबीआई ने एक विज्ञप्ति में कहा 'ये करेंसी नोट वैध हैं जैसा कि सिक्का निर्माण अधिनियम 2011 में प्रावधान है. इसके साथ ही यह भी क्‍ल‍ियर कर द‍िया क‍ि वर्तमान में चल रहे करेंसी नोट वैध बने रहेंगे.'

इसकी पहचान पर सशंकित हो सकते
आज वर्तमान में बस एक रुपया के सिक्कों की ढलाई की जाती है. एक रुपये का नोट तो बस अब लोगों के खजाने में या सहेज कर रखी गयी करेंसी के बीच ही देखने को मिलते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. एक रुपये का नोट अब फिर से भारतीय नोटों में अपनी धाक जमाएगा. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा है कि वह एक रुपये के नोट के प्रसार के लिए तैयार है. इस नोट को सरकार ही छापेगी. यह गुलाबी-हरे रंग का होगा और इस पर भारत सरकार के वित्त सचिव के हस्ताक्षर होंगे. इसके अलावा इसमें समु्द्र से तेल निकालने वाले रिग सागर सम्राट का चित्र भी अंकित होगा. इस नोट में 15 भाषाओं में इसका मूल्य अंकित होगा. इसमें अशोक की तस्वीर भी होगी. इस पर मुद्रन की तारीख भी छापी जाएगी. शायद आप पहली बार इसे देखकर इसकी पहचान पर सशंकित हो सकते हैं. आरबीआई ने यह भी कहा कि इन नोटों की छपाई भारत सरकार द्वारा की जाएगी.' इन नोटों पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होंगे, जबकि अन्य करेंसी नोटों पर आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं. एक रुपया का नोट या सिक्का भारत सरकार द्वारा जारी किया जाता है.

छोटे नोटों की छपाई पर काफी खर्च आता
एक रुपये के नोट भारत में हमेशा ही चलते रहे हैं लेकिन करीब 20 साल पहले यह नोट बंद कर दिए गए थे. नवंबर, 1994 में एक रुपया के नोट की छपाई बंद कर दी गई क्योंकि इसकी लागत अधिक थी. वहीं 1995 में दो और पांच रुपये के नोटों की छपाई भी बंद कर दी गई थी और तब से इन मूल्यों के लिए केवल सिक्के जारी किए जा रहे हैं. हालांकि पुराने नोट अब भी चलन में हैं. गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने दो रुपये और पांच रुपये के नोट छापने बंद कर दिए हैं. ऐसे में उनकी छपाई शुरू होने के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है. सूत्रों की माने तो कम मूल्य के नोट इसलिए भी बंद कर दिया गए थे क्योंकि उनकी छपाई पर कीमत की तुलना में काफी खर्च आता है और वह ज्यादा दिन तक टिकते भी नहीं हैं.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh