हिंदी दिवस यानी 14 सितंबर करीब है. ऐसे में हिंदी और राष्ट्रभाषा को लेकर तरह-तरह की मांग उठना लाजमी है. इस बार एक आरटीआई एक्टिविस्टने यह मांग उठाई है कि हिंदी को संविधान में राष्ट्रभाषा का दर्जादिया जाना चाहिए. भारतीय संविधान में हिंदी देश की ऑफिशियल लैंग्वेज है नेशनल लैंग्वेज नहीं.

हिंदी के साथ दोहरा रवैया क्यों?
आरटीआई राकेश सिंह द्वारा ने होम मिनिस्ट्री के राजभाषा विभाग इस बारे में जानकारी मांगी थीं. जवाब में कहा गया कि भारत के संविधान में अनुच्छेद 343 के तहत हिन्दी संघ की राजभाषा है. संविधान में राष्ट्रभाषाके बारे में कोई बात नहीं की  है. सिंह ने आरोप लगाया कि राजभाषा विभाग ने उनकी मांग पर संज्ञान तो लिया लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने मांग की कि भारतीय संविधान में ‘राष्ट्रभाषा’ का उल्लेख किया जाय.
मोदी हिंदी के लिए क्या कर रहे?
राकेश सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदी में भाषण देकर खूब सुर्खियां बटोरीं, लेकिन वे इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए क्या कर रहे हैं? सिंह का तर्क है कि शायद भारत ही दुनिया का ऐसा इकलौता देश है जहां संनिधान में कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है. आजादी के बाद महात्मा गांधी के लाख चाहने के बावजूद हिन्दी को संविधान द्वारा स्वीकृत राष्ट्रभाषा नहीं बनाया गया हालांकि 14 सितंबर 1949 को संविधान में अनुच्छेद 343 जोड़कर हिन्दी को भारतीय संघ की राजभाषा घोषित कर राष्ट्रभाषा के नाम पर देशवासियों को बरगला दिया गया. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को लेटर लिखर इस बारे में जरूरी कार्रवाई करने की अपील की है.

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Posted By: Shweta Mishra