सहारा: ग्लैमर की दुनिया को सेबी का झटका
इस बीच में दूसरी कंपनियां भी आईं, लेकिन वे गिरती गईं और सहारा बढ़ता गया. सहारा का आत्मविश्वास इतना बढ़ा कि उन्होंने अपना टैगलाइन ही बना दिया- भारत है हमारा, हम हैं सहारा.सहारा ने अपना कारोबार कई क्षेत्रों में बढ़ा लिया. पहले की बात करें तो सहारा कभी डिफाल्टर नहीं रहा है.डिफाल्टर होने का यह मामला दस साल पुराना है. सेबी की जांच पिछले चार-पांच साल पुरानी है.हालांकि इस दौरान सहारा बड़ी कंपनी बन चुका है और काफ़ी आगे जा चुका है. सहारा के पास आधारभूत ढांचा है.कंपनी होटल कारोबार में है, मीडिया में है. इस समूह ने हॉकी और क्रिकेट की नेशनल टीम को स्पांसर किया है.'स्टेट ऑफ़ माइंड'सहारा की शादियों में 200 से 250 करोड़ रुपए का ख़र्चा होता है. पूरा बॉलीवुड वहां मौजूद रहता है. अमिताभ बच्चन जैसे लोग मेहमानों की आवभगत करते नज़र आते हैं.
एक समय ऐसा भी आया जब देश में सहारा एक 'स्टेट ऑफ़ द माइंड' हो गया था. जैसे गाँधी और अंबानी देश में स्टेट ऑफ़ माइंड बन गए.लेकिन उनके ख़िलाफ़ शिकायतें बढ़ती गईं. सहारा की संपत्ति, निवेश और अधिग्रहण सवालों के घेरे में आए.
सेबी के मुताबिक़ सहारा ने लोगों के पैसे नहीं लौटाए और निवेशकों में ढेरों लोगों का अस्तित्व ही नहीं है.
सेबी ने अपनी जांच में सहारा को दोषी माना है.
कोई भी नॉन बैकिंग फाइनेंसियल कंपनी के फाइनेंस पर धक्का पड़ता है तो उनके ऑपरेशन पर गंभीर असर पड़ता है.