इंसान जैसे-जैसे कुदरत के साथ अपने खेलों को बढ़ाता जा रहा है कुदरत ने वैसे-वैसे खुद को समेटना शुरू कर दिया है. कुदरत अब पहुंची है विशाल समुद्र को समेटने. दरअसल कजाकिस्‍तान और उजबेकिस्‍तान के बीच कभी दुनिया का चौथा सबसे बड़ा समुद्र रहा 'अराल सागर' अब पूरी तरह से सूख चुका है.

नासा ने भेजी तस्वीरें
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के टेरा उपग्रह की ओर से भेजी गई तस्वीरों से यह खुलासा हुआ है कि मध्य एशिया में आज से 55 लाख साल पहले कीजीलकुम मरुस्थल में निर्मित अराल सागर में आज पानी का कहीं नामोनिशान नहीं है, जबकि वर्ष 1900 के शुरुआती दशक में यह विश्व का चौथा सबसे बड़ा सागर हुआ करता था.

क्या कहती है मीडिया रिपोर्ट
माना जाता है कि वर्ष 1960 के दशक में सोवियत संघ की ओर से शुरू किए गए जल बहाव का मार्ग परिवर्तित करने के लिए शुरू की गई योजना (वाटर डायवर्जन प्रोजेक्ट) के कारण अराल सागर पूरी तरह सूख गया. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वेस्टर्न मिशिगन यूनिवर्सिटी के फिलिप मिकलीन ने कहा कि क्षेत्र की प्रमुख नदी अमु दरिया को कैस्पियन सागर की तरफ मोड़ने की परियोजना के कारण 600 साल में पहली बार अराल सागर पूरी तरह सूख गया.
नासा ने बताया पहाड़ों पर बर्फ के कम होने को कारण  
नासा के मुताबिक, इसकी वजह पहाड़ों पर जमने वाली बर्फ का कम होना है, जिसके पिघलने से अराल सागर में पानी भरता था. विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि 2020 तक अराल सागर पूरी तरह विलुप्त हो जाएगा.

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Posted By: Ruchi D Sharma