शाम के साढ़े चार बजे हैं और तापमान 39 डिग्री पार कर रहा है.


अमेठी संसदीय क्षेत्र के मुसाफिरखाना जाने वाली सड़क पर एकाएक मुझे धूल के बादल दिखते हैँ और हम गाड़ियों के काफ़िले में शामिल हो जाते हैं.लगभग तीन किलोमीटर तक पगडंडियों पर चलकर ये काफ़िला रुकता है और 'अबकी बार मोदी सरकार' के नारे गूंजते हैं.काफ़िले में सबसे आगे चलने वाली एसयूवी से एक महिला उतरती हैं और कई हाथ उनकी ओर बढ़ जाते हैं.बादामी साड़ी, मांग में सिंदूर और पैरों में चप्पल पहने स्मृति ईरानी एक तख़्त पर खड़ी होकर गुहार लगाती हैं, "हम आ गए हैं भैया, अब यहाँ से जाने वाले नहीं हैं."विकासस्मृति ईरानी के साथ गाड़ी से सफऱ करने के दौरान साफ़ हो जाता है कि राहुल गांधी को हराना इतना आसान भी नहीं है.उन्होंने मुझ से ही पलट कर पूछा, "क्या लग रहा है?"


लेकिन इससे पहले कि मैं उन्हे जवाब देता उन्होंने ख़ुद ही कहा, "देखिए मुझ पर बाहरी होने के आरोप लगाए जाते हैं, जबकि मैंने 23 दिन से गौरीगंज में किराए पर घर लेकर रहना शुरू कर दिया है. उनका क्या जो हमेशा मुंशीगंज के गेस्ट हाउस में रहते हैं."महासंग्राम

वहीं आम आदमी पार्टी ने तो चुनाव की घोषणआ से काफ़ी पहले ही अमेठी से अपने उम्मीदवार कुमार विश्वास का नाम घोषित कर दिया था.आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी से समय निकाल कर अमेठी में प्रचार भी करते रहे हैं.असलियत ये भी है कि राहुल और प्रियंका गांधी इस चुनाव प्रचार में जितनी मशक्कत करते दिख रहे हैं उतनी चुनावी कसरत करते वो मुझे तो पहले कभी नहीं दिखे.हालांकि कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जो अमेठी में राहुल के प्रचार की देख-रेख कर रहे हैं वो उनकी जीत के प्रति ख़ासे आश्वस्त दिखते हैं.प्रदेश के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न लिए जाने की शर्त पर कहा, "जीत का अंतर देख लीजिएगा, फिर सब कुछ साफ़ हो जाएगा विरोधी खेमे में."

Posted By: Subhesh Sharma