बीसीसीआई अधिकारियों के फ्रेंचाइजी खरीदने पर SC का अड़ंगा
कानून में हुये संशोधन की होगी जांच
क्रिकेट में तेजी से फैलते करेप्शन को देखते हुये सुप्रीम कोर्ट ने अब आक्रामक रुख अपना लिया है. इसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई बोर्ड नियमों की जांच करने का डिसीजन ले लिया है. कोर्ट द्वारा नियमों की जांच करने से बीसीसीआई अधिकारी काफी परेशान दिख रहे हैं. इसकी मुख्य वजह यह है कि अब यह अधिकारी आईपीएल या चैम्पियंस लीग में कोई टीम नहीं खरीद सकते हैं. दरअसल, कोर्ट बोर्ड के कानून में 2008 में हुए संसोधन की जांच करेगा, जो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों को वाणिज्यिक हितों के पद ग्रहण करने और IPL और चैम्पियंस लीग में फ्रेंचाइजी खरीदने की इजाजत देता है. संशोधन से पहले बोर्ड अधिकारियों को बोर्ड द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में वाणिज्यिक हित की भूमिका ग्रहण करने और IPL में फ्रेंचाइजी लेने की इजाजत नहीं थी.
सीमेंट्स लिमिटेड जांच के घेरे में
दरअसल यह मामला तब सामने आया, जब वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कोर्ट को बताया कि संशोधन के जरिए अधिकारियों और तत्कालीन सचिव एन. श्रीनिवासन की कंपनी इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड को कानून की आंड में रखा गया. इसमें बताया गया है कि आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के फ्रेंचाइजी अधिकार खरीदने के लिए इंडिया सीमेंट्स को गैरकानूनी रूप से छूट प्रदान की गई. हालांकि इस दलील को सुनने के बाद जज टीएस ठाकुर और जज फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलिफुल्ला की बेंच ने बीसीसीआई के नियम 6.2.4 की जांच करने का निर्णय लिया है.
हितों का टकरवा अहम मुद्दा
सुप्रीम कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान हितों के टकराव वाला मुद्दा भी उठाया. कोर्ट का मानना है कि यह मुद्दा सबसे अहम और इसे छोड़ा नहीं जा सकता. बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष आईएस बिंद्रा के वकील धवन ने कोर्ट को बताया, 'बोर्ड के इस प्रावधान की जांच किए जाने की जरूरत है क्योंकि यही सभी समस्याओं की जड़ है. इसी संशोधन के कारण बोर्ड में समस्याएं खड़ी हुईं. ऐसे में यदि इसे नहीं सुलझाया गया तो सारी समस्याएं अनसुलझी रह जाएंगी.'