महिंदर वत्स पेशे से चिकित्सक हैं लेकिन उनकी पहचान सेक्स गुरू की है. उनकी उम्र 90 साल की है लेकिन सेक्स और जीवन पर अपनी सलाहों के ज़रिए वे हज़ारों लोगों के जीवन को बेहतर बना रहे हैं.


एक अख़बार में छपने वाले उनके कॉलम का इतंज़ार हज़ारों लोग करते हैं. वत्स अपनी बात चुटीले अंदाज़ में कहना पसंद करते हैं. पिछले 50 साल से वह अपने कॉलम के ज़रिए पुरुषों और महिलाओं में सेक्स को लेकर मौजूद डर-संशय को दूर कर रहे हैं.जिस देश ने जिस्मानी रिश्तों पर दुनिया को कामसूत्र जैसा साहित्य दिया, वहां इस मसले पर  दबे छिपे बातचीत होती है. ज़्यादातर लोगों में सेक्स से संबंधित आधी अधूरी जानकारी होती है और वे अपनी यौन समस्याओं का इलाज भी नहीं कराते.90 साल के सेक्स गुरु के बारे में पढ़िए विस्तार सेलिहाज़ा 90 साल के वत्स आम लोगों को  सेक्स से जुड़े मसलों पर शिक्षित करने का काम कर रहे हैं. वत्स कहते हैं, "सेक्स आनंददायक चीज़ है, पर कुछ लेखक भारी-भरकम शब्दों का इस्तेमाल कर इसे मेडिकल साइंस से जुड़ा गंभीर विषय बना लेते हैं."चुटीले जवाब
उनके जवाब बहुत छोटे, कटु और प्रासंगिक होते हैं. कभी-कभार ही ऐसा होता है जब उनके जवाब पढ़ने पर हंसी न आए.वत्स कहते हैं, "मैं लोगों से उनकी ज़ुबान में बात करता हूं. वे इसे आसानी से स्वीकार करते हैं. आख़िरकार जो आदमी आपसे बात कर रहा है, वह आपमें से ही एक है."


वह मानते हैं, उन दिनों वे आज जितनी बेबाकी से जवाब नहीं दे पाते थे.डॉक्टर वत्स के मुताबिक़ ''अधिकतर समस्याएं यौन शिक्षा की कमी के चलते आती हैं. इसलिए मैंने इसे मिशन के रूप में चुना.''आज भी ऐसे ढेरों सवाल आते हैं जिनमें पूछा जाता है कि वे शादी करना चाहते हैं, लेकिन कैसे पता लगाएं कि लड़की कुंवारी है. इसका जवाब मैं उन्हें कुछ इस तरह देता हूं, "आप शादी मत करिए. सिर्फ़ जासूसी से यह पता लगाया जा सकता है. इसलिए शक करने वाले इस दिमाग़ से किसी बेचारी लड़की को बख्श दीजिए."यौनशिक्षा पर ज़ोरवत्स 90 साल की उम्र में भी मुंबई के एक अख़बार में 'आस्क द सेक्सपर्ट' कॉलम के तहत यौन समस्याओं से जुड़े सवालों के जवाब देते हैं.

अख़बार की संपादक मीनल बघेल कहती हैं, ''जब तक हमने यह कॉलम शुरू नहीं किया था, हम 'शिश्न' और 'योनि' जैसे शब्दों का इस्तेमाल कभी-कभार ही करते थे. इसके बाद लोगों का ध्यान इस कॉलम पर गया. हालांकि सब कुछ सकारात्मक नहीं था. पत्रिका को अश्लीलता और गंदे मेल के आरोपों में मुक़दमे भी झेलने पड़े. मगर कॉलम को लोगों से इस कदर समर्थन मिल रहा था कि प्रबंधन ने इसे जारी रखा.''वत्स का मानना है कि यौन समस्याएं अधिकतर सुनी-सुनाई बातों का नतीजा होती हैं. वह कहते हैं, "तीस साल पहले कुछ ही महिलाओं के पत्र आते थे. अब बड़ी तादाद में महिलाएं मुझसे बेहिचक सलाह लेती हैं."वत्स स्कूलों में यौन शिक्षा के बड़े पैरोकार हैं. उनका कहना है कि इसके तरीक़े अलग हो सकते हैं.''मसलन, आप क्लास में एक बक्सा रख दीजिए और बच्चों से कहें कि उन्हें जो सवाल पूछने हों, काग़ज पर लिखकर बक्से में डाल दें और फिर उनका जवाब दीजिए.''

Posted By: Satyendra Kumar Singh