मंगल से आने वाले पहले इंसान को दूंगी अपनी सारी प्रापर्टी
इंसान सारी जिन्दगी कमाता है और मरने से पहले वसीयत कर अपनी प्रापर्टी को अपने चहेतों के नाम छोड़ जाता है. पर क्या आपने अपने आसपास किसी ऐसे इंसान की वसीयत के बारे में सुना है जिसमें उसने अपनी प्रापर्टी को भूतों के नाम कर दिया हो या किसी गाय के नाम. अगर नहीं तो हम बता रहे हैं कुछ ऐसी ही अजब गजब वसीयतों के बारे में जिन्हे जानकर आप भी हैरानी से कहेंगे, ‘What an idea sir ji’1. मध्यप्रदेश के इंदौर के एक कपड़ा व्यवसायी रामनिवास चौधरी ने अपनी सारी प्रापर्टी बंदरों के नाम कर दी थी. उनकी मौत फरवरी 1982 में हुई थी. उनकी टोटल प्रापर्टी 3 लाख 17 हजार रुपए थी. 2. फ्रांस के एक आशिक मिजाज महोदय ने तो अपनी वसीयत में सारी प्रापर्टी उन हसीनाओं को देने को कह दिया जो जिनकी आंखें, नाक, होठ और बाल सुंदर हों.
3. दाढी मूंछों को बुरी तरह नापसंद करने वाले लंदन के एक फर्नीचर व्यापारी ने अपनी वसीयत में सारी प्रापर्टी उन कारीगरों के नाम लिख दी, जो क्लीन शेव रहते हों.4. एक महोदय ने अपनी वसीयत में लिखा कि उसकी मौत के समय जो सबसे ज्यादा हंसे, उसे प्रापर्टी का चेयरमैन अप्वाइंट किया जाये, और जो रोए उसे कुछ न दिया जाए.
11. इटली के फेमस Veterinarian बारोमोलिया भेड़ों से बहुत प्यार करते थे. उनका प्यार इस कदर था कि वे इन भेड़ों को अपने बंगले में पूरी शान शौकत के साथ रखते थे. आप सोच रहे होंगे कि शायद उनके पास 1 या 2 भेड़ें होंगी तो जनाब जान लीजिये कि उनके पास पूरी 135 भेड़ें थीं. इतनी सारी भेड़ों को पालने के लिये उन्होने अपनी आधी प्रापर्टी (यानी 28 लाख लीरा में से 14 लाख लीरा) उनके नाम कर दी थी.
12. स्विट्जरलैंड जैकीस चिकार्ड पेशे से एक इंजीनियर थे. उन्होने अपनी पूरी जिन्दगी में काफी पैसा कमाया था. अपनी वसीयत की सारी (टोटल 17 लाख फ्रेंस’) प्रापर्टी को उन्होने जानवरों के अस्पताल के नाम कर दिया. उन्होने लिखा कि इस प्रापर्टी से Veterinary Hospital खोला जाए, जहां घायल जानवरों का मुफ्त में इलाज हो. 13. आस्ट्रेलिया के जैम्स मूर अपनी सारी प्रापर्टी कंगारूओं पर खर्च करने के लिये छोड़ गये. वे एक बड़ी दूध डेरी के चलाते थे. 23जुलाई 1988 को उनकी मौत हो गई थी.
14. जानवरों से प्यार करने वाले ऐसे ही एक और शख्श भी हैं. डेनमार्क की कैपिटल कोपेनहेगन में रहने वाले फोटोग्राफर वल्डेकर को गायों से गहरा प्यार था. हेल्पलेस और बीमार गायों को देख कर वे दुखी हो जाते थे. इसका सबूत यह था कि वे ऐसी गायों की अलग अलग पोज में फोटो खींचते थे और उनको बेंच कर मिलने वाले पैसों को अलग रख देते थे. 18 नवम्बर 1983 को उनकी डेथ के बाद जब उनकी वसीयत पढ़ी गई तो उसमें लिखा था- “ मैंने गायों की फोटो से जो पैसा कमाया है वह कोपनहेगन के एक बैंक में जमा है. इससे एक गौ शाला बनाई जाए और वहां पर बीमार बूढ़ी एवं बेसहारा गायों की परवरिश की जाए”. आपको यह जानकर ताजुब होगा कि उन्होने इस काम के लिये 19 लाख क्रोन (1 करोड़ 70 लाख से भी ज्यादा- रू. 17023424.30) जमा किये थे.
Report by: Alok Dixit