भारत के वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम का कहना है कि विपक्षी भारतीय जनता पार्टी भाजपा के नेता नरेंद्र मोदी को 'आर्थिक मामलों की जानकारी न के बराबर' है.


चिदंबरम के मुताबिक नरेंद्र मोदी को ''जितनी आर्थिक जानकारी है, वो एक डाक टिकट के पीछे लिखी जा सकती है.''वित्त मंत्री ने ये बात बीबीसी के टीवी कार्यक्रम हार्ड टॉक पर कही.वे मोदी की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा था कि पी चिदंबरम के कार्यकाल में  भारतीय अर्थव्यवस्था 'विफल' रही है.हार्डटॉक में चिदंबरम ने कहा, "मोदी जितना  अर्थव्यवस्था के बारे में जानते हैं, वो एक डाक टिकट के पीछे लिखा जा सकता है. उन्होंने वित्तीय घाटे, मौजूदा राजकोषीय घाटे, मुद्रा नीति के बारे में कुछ नहीं कहा है. वे अभी सीख रहे हैं और मुझे यकीन है कि वे जल्द ही सीख लेंगे."


उनसे कहा गया कि उनके दावे को मोदी शायद नहीं मानें क्योंकि नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में गुजरात में पिछले एक दशक से ज़्यादा समय में जितना विकास हुआ है, वो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से कहीं बेहतर है.'जादू की छड़ी नहीं'इस पर चिदंबरम का कहना था कि गुजरात में आर्थिक विकास पिछले कुछ वर्षों में ही हुआ है लेकिन जिस वक्त भारतीय अर्थव्यवस्था नौ प्रतिशत की दर से ज़्यादा तेज़ी से बढ़ रही थी, उस वक्त गुजरात के हालात किसी भी अन्य राज्य की ही तरह थे.

"मोदी जितना अर्थव्यवस्था के बारे में जानते हैं, वो एक डाक टिकट के पीछे लिखा जा सकता है. वे अभी सीख रहे हैं और मुझे यकीन है कि वे जल्द ही सीख लेंगे."-पी चिदंबरम, केंद्रीय वित्त मंत्रीवित्त मंत्री ने स्वीकार किया कि उस नौ प्रतिशत की विकास दर के बावजूद आज भी एक-तिहाई भारतीय ग़रीबी रेखा के नीचे रहते हैं. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि पांच साल की अवधि में भारत में आज़ादी के बाद से ग़रीबी दर सबसे ज़्यादा तेज़ी से घटी है.उन्होंने कहा, "आज ज़्यादा लोगों के पास पीने के लिए पानी है, ज़्यादा बच्चे स्कूल जा रहे हैं, ज़्यादा पक्की सड़के हैं. लेकिन कोई  जादू की छड़ी नहीं है और सब कुछ दो या तीन साल में नहीं किया जा सकता."भारत की चीन से तुलना के सवाल पर पी चिदंबरम ने माना कि आर्थिक विकास दर, ढांचागत विकास और कई और मानकों पर भारत, चीन से कहीं पीछे है.लेकिन जवाब में उन्होंने सवाल पूछा, "मैं ये बात मानता हूं. लेकिन आप चीनी व्यवस्था के तहत रहना पसंद करेंगे या फिर भारत की लोकतंत्रीय प्रणाली में?"

Posted By: Subhesh Sharma