मादक पदार्थो की मंडी बनी कान्हा की नगरी
-मक्खन, दूध, दही, के वजाय मादक पदार्थो की बिक्री तेज
- कारोबारी कर रहे धार्मिक नगरी की महत्ता से खिलवाड़ वृंदावन। रसिक संतों की साधना स्थली वृंदावन में नशे का कारोबार चरम पर है। चरम, अफीम, गांजा, स्मैक जैसी नशीली चीजों का कारोबार कान्हा की नगरी में बेधड़क किया जा रहा है। पुलिस और प्रशासन इस कारोबार को मूक सहमति दे रहे है। आईनेक्स्ट की टीम ने इसके खुलासे के लिए पड़ताल की, तो कड़वा सच सामने आया। रोजाना 50 किलो गांजा की खपतनगर में नशे के कारोबारी युवाओं की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। वहीं सभी चुप्पी साधे बैठे हैं। अगर आंकड़ों की बात करें तो शहर में प्रतिदिन करीब 50 किलो गांजा की खपत होती है। सालाना करीब लगभग 18 हजार किलो गांजे को नशेड़ी धुएं उड़ा देते हैं। जिसकी बाजारू कीमत करीब डेढ़ करोड़ रुपये आंकी जाती है। गांजे के शौकीनों के लिए महज 50 रुपये में 10 ग्राम की पुडि़या उपलब्ध हो जाती है। इसी तरह स्मैक का भी बड़ा बाजार यहां मौजूद है, लेकिन इसकी कीमत अधिक होने केकारण एक विशेष वर्ग ही इसे खरीदता है। नगर में स्मैक की एक ग्राम की पुडि़या 100 रुपये में मिल पाती है।
प्रतिबंधित है नगर में मादक पदार्थधार्मिक नगरी के चलते वृंदावन में मादक पदार्थो की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। यहां हरियाणा और चंड़ीगढ़ से तस्करी कर लाई जा रही अवैध शराब का बड़ा बाजार मौजूद है। सू़त्रों के मुताबिक सरकारी शराब के ठेकों पर भी हरियाणा मिश्रित शराब मिलने के कई मामले प्रकाश रहे हैं।
दर्जनभर प्वाइंट पर हो रहा कारोबार शहर के रेलवे स्टेशन मार्ग, सीएफसी चौराहा, हजारीमल कॉलेज ग्राउंड, गोविन्द मंदिर मार्ग, मथुरा दरवाजा क्षेत्र, गौरानगर कॉलोनी, किशोर पुरा, गौतम पाडा, चीरघाट, पानीघाट, कालीदह, चरखारीवाली कुंज, उल्लू बाग, आदि क्षेत्रों में नशीले पदार्थ का कारोबार अपने चरम पर है। इसके अलावा नगरीय सीमा क्षेत्र से सटे कैलाश नगर, गौधुलिपुरम, चैतन्य विहार कॉलोनी आदि क्षेत्रों में भी नशीले पदार्थो का कारोबार चल रहा है। पुलिस-प्रशासन का है सपोर्ट सोर्सेज के मुताबिक सिटी में नशे के कारोबारियों को पुलिस एवं आबकारी विभाग का खुला संरक्षण मिला है। जहां कुछ वर्षो पहले तक महज दो या तीन लोग नशे के कारोबार मे संलिप्त थे। वहीं अब इनकी संख्या करीब एक दर्जन के आसपास हो चुकी है। कोरियर की भूमिका में कारोबारनशे के कारोबार में कोरियर की अहम भूमिका होती है। बडे़ कारोबारी माल को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने के लिए कोरियर का इस्तेमाल कर रहे हैं। सोर्सेज के मुताबिक देश के पूर्वोत्तर राज त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, नागालैण्ड से लाए जाने वाले माल को सही सलामत पहुंचाने के लिए गरीब तबके के लोगों को महज चंद रुपयों का लालच देकर तैयार किया जाता है। रेल और सड़क मार्ग से माल भेज दिया जाता है।
बराबर की है हिस्सेदारी नशे के इस धंधे में कारोबारियों के साथ-साथ पुलिस और आबकारी विभाग भी जमकर चांदी काट रहे है। करीब शहर में सालाना चार से पांच करोड़ रुपये का अवैध कारोबार किया जाता हैं। सूत्र बताते हैं कि कमाई का एक मोटा हिस्सा पुलिस महकमे के साथ आबकारी विभाग को भी दिया जाता है। कोडवर्ड से डिलीवर होती है शराबइस गोरखधंधे में भी कंपटीशन का दौर है। आज के दौर में होम डिलिवरी की सुविधा भी मुहैया है। कारोबारियों ने चौराहे तिराहों पर अपने गुर्गे खड़े कर रखे है। ग्राहकों को भी शराब के नाम कोडवर्ड मे बताए जाते हैं। सूत्रों बताते हैं कि एक ओर खरीदार युवक मनपंसद शराब चूज करता है, तो दूसरी ओर गुर्गा उसे कोड बता देता है। ईम्पीरियल ब्लू को आई लव यू, तो रॉयल स्ट्रैग को राम जाने का नाम दे रखा है। इसके अलावा अन्य भी कई ऐसे ब्रांड है जिनका नाम गुर्गो ने कोडवर्ड में रखे हुए हैं।
विज्ञप्तियों तक सीमित है विरोध नगर में नशीले पदार्थो की तस्करी करने वालों का कारोबार लोगों की चुप्पी के चलते चरम पर है। महज विज्ञप्तियों तक ही यह मामला सिमटकर रह गया है। शहर में खुलेआम नशीले पदार्थो का कारोबार हो रहा है और धर्म के प्रचार करने वाले सब-कुछ खुली आंखों से देखकर भी बोलना नहीं चाहते है। यदा कदा अखबारों में विज्ञप्तियां देकर पुलिस-प्रशासन के आलाधिकारियों से इस पर रोक लगाने की मांग करके अपने दायित्वों का निर्वहन कर लेते हैं।