मोतीलाल लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के एमपी हाल में सैकड़ों लोगों की निगाहें लाल कपड़े से ढंकी कार्ट पर टिकी थी. घड़ी की सुई 12 बजकर 30 मिनट पर पहुंची तो माइक्रोसाफ्ट के एशिया चीफ के सामने छात्रों के एक समूह ने कार से परदा खींच लिया. सामने थी सफेद रंग की गोल्फ कार्ट जिसमें आगे और पीछे हाइ डिफिनिशन के कैमरे लगे थे. कमांड देने के कुछ देर बाद चालक रहित कार स्वत: आगे बढऩे लगी और अपने 30 मीटर के सफर में कई अवरोधों को पहचानकर खुद रूक गई. कार के इस पहले सफर पर एमपी हाल कैंपस तालियों से गूंज उठा.

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। एमएनएनआइटी के सोसाइटी आफ आटोमेटिव इंजीनियरिंग (एसएई) क्लब और रोबोटिक्स क्लब गौरव शर्मा, देवाशीष, सुद्युत, अनादि व अमित सहित 19 छात्रों की टीम ने तीन वर्ष में यह चालक रहित कार तैयार की है। शनिवार को वैश्विक पुरातन छात्र सम्मेलन के दूसरे दिन के मुख्य अतिथि माइक्रोसाफ्ट के एशिया चीफ अहमद मजहरी के सामने इस कार का प्रदर्शन हुआ। कार ने सीधी सड़क पर कई चरणों में 30 मीटर का सफर तय किया। हालांकि यह कार एक अवरोध के सामने तो रूक गई पर दूसरे अवरोध के सामने नहीं रूक पाई। छात्रों ने इसके लिए इंटरनेट स्पीड को वजह बताया और कोडिंग में बदलाव कर इस कमी को तुरंत दूर कर लिया। अहमद मजहरी ने इस कार की मु1तकंठ से प्रशंसा की और प्रोजेक्ट के लिए हरसंभव मदद का आश्वासन भी दिया।

आटोमैटिक स्टेयरिंग तैयार होगी
प्रोजेक्ट टीम के नेतृत्वकर्ता बीटेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र गौरव शर्मा ने बताया कि पहले चरण में ब्रेकिंग और थ्रोटलिंग को आटोमैटिक किया गया है। इससे यह कार सीधे मार्ग पर 25 से 30 मीटर तक चल सकती है। अवरोध आने पर ब्रेक लगाने और अवरोध हटने पर खुद आगे बढ़ सकती है। अब दूसरे चरण में स्टीयरिंग पर काम होगा। इससे कार खुद मुड़ भी सकेगी। इसमें छह महीने का समय अभी और लगेगा। गौरव ने कहा कि अभी यह प्रक्रिया कई चरणों तक चलेगी। यह कार गूगल मैप और जीपीएस कार्डिनेट के जरिए चलेगी। यानी की अक्षांश देशांतर डालते ही यह कार गूगल मैप से रास्ते का पता लगाते हुए रास्ते की बाधाओं और लेन की पहचान कर स्वत: आगे बढ़ेगी। कार में छह यात्री बैठ सकते हैं।

2019 में शुरू हुआ था काम
चालक रहित कार बनाने का निर्णय 2019 में लिया गया था। इसमें फंड की कमी आड़े आ रही थी। ऐसे में 95 बैच के पुरा छात्रों ने तकनीकी और आर्थिक मदद की। मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा। जितेंद्र नारायण गंगवार के निर्देशन में छात्रों ने 18 महीने डिजाइन पर काम किया। सेंसर और एक्चुएटर्सर तैयार किए गए। छात्रों की कोडिंग को विदेश से वेरीफाई कराया गया। प्रो गंगवार ने बताया कि कोडिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद पुरातन छात्रों ने 12 लाख रुपये की गोल्फ कार्ट कार उपलब्ध कराई। कार में रैसबेरी पाइ कंप्यूटर लगाया गया और इसमें कोडिंग अपलोड कर दी गई।

भीड़ के कारण 20 मिनट रुकी रही
कार को चलने के लिए साढ़े 12 बजे कमांड दे दिया गया था। लेकिन आसपास खड़े लोगों को अवरोध मानते हुए 20 मिनट तक कार खड़ी रही। कार का सेंसर बार-बार लोगों को अवरोध बता रहा था। लोगों को हटाने के बाद कार चली। गौरव शर्मा ने बताया कि स्लो इंटरनेट स्पीड के कारण भी कार को फैसले लेने में समस्या हुई।

कार की विशेषता
500 किलो पेलोड
134 इंच लंबाई
52 इंच चौड़ाई
76 इंच ऊंचाई

एसएई क्लब और रोबोटिक्स क्लब के छात्रों ने चालक रहित कार तैयार की है। इसमें एमएनएनआइटी के पुरातन छात्रों ने आर्थिक और तकनीकी मदद की है। यह कार का प्रथम चरण है अभी इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए जाने हैं। संस्थान ऐसे छात्रों की मदद के लिए हमेशा आगे बढ़कर काम करेगा।
प्रो। आरएस वर्मा, निदेशक, एमएनएनआइटी

Posted By: Inextlive