- बाल विकास विभाग ने आंगनबाड़ी केंद्रों पर दिये जाने वाले कृत्रिम आहार पर लगाया प्रतिबंध

- कोरोना संक्रमण सहित अन्य रोगों के बचाव के लिए डब्ल्यूएचओ के सुझाव पर लिया गया निर्णय

कोरोना संक्रमण पर रोकथाम को लेकर बाल विकास पुष्टाहार विभाग ने सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर डिब्बा बंद आहार के वितरण पर बैन लगा दिया है। जिसके तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती तथा धात्री माताओं सहित दो वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को मुफ्त में मिलने वाले डिब्बाबंद दूध व कृत्रिम शिशु आहार शामिल है। दरअसल मां का दूध शिशु के सवरंगीण मानसिक एवं शारीरिक विकास हेतु अत्यंत आवश्यक है और छोटे बच्चों में डायरिया, निमोनिया एवं कुपोषण से बचाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गौरतलब है कि डिस्ट्रिक्ट में 4499 आंगनबाड़ी केन्द्र हैं।

कैसे पिला सकती है दूध

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्तनपान मोटापा एवं बाद में होने वाले उच्च रक्तचाप व दिल संबंधी रोगों को भी अपेक्षाकृत कम करता है।

एक घंटे के अंदर स्तनपान, 6 माह तक सिर्फ स्तनपान

6 माह पूर्व होने के उपरांत शिशु को मां के दूध के साथ ऊपरी आहार

और 2 साल तक स्तनपान ही शिशु का सर्वोत्तम आहार है।

- छ माह से पहले शिशुओं को डिब्बाबंद दूध या छ माह बाद डिब्बाबंद आहार देने से बच्चों में मृत्यु का खतरा बढ़ सकता है। - कोरोना संक्रमित होने पर माता यदि स्तनपान कराने में सक्षम नहीं है तो दूध को कटोरी में निकालकर चम्मच से पिला सकती है।

- बीमारी से अधिक प्रभावित होने पर स्तनपान कराने के लिए दूसरी महिला का सहयोग ले सकती है

- प्रत्येक दशा में मुंह पर मास्क लगाते हुए हाथों को साफ रखना जरूरी है।

डब्ल्यूएचओ के सुझाव को मानते हुए विभाग ने डिस्ट्रिक्ट के आंगनबाड़ी केन्द्रों पर डिब्बा बंद एवं कृत्रिम आहार वितरण पर पूर्ण रोक लगा दिया गया है। बन्द डिब्बा दूध का सेवन करने से 6 माह से कम उम्र वाले बच्चों में संक्रमित होने की आंशका रहती है।

मनोज कुमार राव, जिला कार्यकम अधिकारी

Posted By: Inextlive