- बरेली और इज्जतनगर रेलवे जंक्शन पर नहीं है रेन वॉटर हार्वेस्टिंग

- नगर निगम में मकान के अंदर है रेन वॉटर हार्वेस्टिंग बाकी जगहों पर स्थिति दयनीय

BAREILLY: बरसात के पानी को संचित करने का बेस्ट तरीका है रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम। लेकिन बरेली में सरकारी भवनों और प्राइवेट अपार्टमेंट व कॉलोनियों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग नदारद है। जिन जगहों पर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बने भी हैं, उनकी स्थिति काफी दयनीय है। नगर निगम ने रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को सलाखों में कैद कर दिया है। जबकि, एनईआर और एनआर के बरेली व इज्जतनगर जंक्शन पर वाटर हार्वेस्टिंग बने ही नहीं हैं, जिसके कारण पिछले 10 वर्ष में भूगर्भ जल स्तर 1 से 2 मीटर तक नीचे गिर गया है। 5 जून को एंवॉयरमेंट डे को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने रेन वॉटर हार्वेस्टिंग का हाल जाना। आइए जानते हैं

नोट - सरकारी कार्यालयों में लगे सिस्टम हैं खराब। स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल, क्लिनिक, मैरिज हॉल, दुकान व अन्य कहीं नहीं लगे हैं सिस्टम।

 

प्री-मानसून- मीटर में पानी लेवल

एरिया - 2006 - 2017

जिला परिषद - 12.34 - 13.71

राइफल क्लब - 09.31 - 10.52

किशोर सदन - 08.78 - 09.70

सुभाषनगर - 05.95 - 06.68

युगवीणा लाइब्रेरी - 06.75 - 07.31

राजेंद्रनगर - 08.18 - 10.47

आयुक्त कार्यालय - 09.50 - 12.47

 


एक नजर शहर पर

उपलब्धता और खपत।

- 140 एमएलडी पेयजल की आवश्यकता।

- 110 एमएलडी पेयजल का उत्पादन।

- 101 लीटर प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति पानी का है खर्च।

- 66 नग नलकूप हो रहे संचालित।

- 32 ओवर हेड टैंक के जरिए हो रही सप्लाई।

- 32725 किली। ओवर हेड टैंक की क्षमता।

- 659 किमी। तक नगर निगम ने बिछाई है पाइप लाइन।

- 562 नग सार्वजनिक स्टैंड पोस्ट संचालित।

- 3129 नग इंडिया मार्का हैंडपंप शहर में हैं।

- 20 नग टैंकरों के जरिए आपातकाल में सप्लाई।

- 125 केवीए की क्षमता के 6 जेनरेटर से विद्युत सप्लाई।

 

 

अंडर ग्राउंड वॉटर का लेवल का ग्राफ पिछले एक दशक में गिरा है। जो कि चिंता का विषय हैं। लोगों को चाहिए की पानी अनावश्यक बर्बाद न करें। रेन वटर हार्वेस्टिंग से इसे रोका जा सकता है।

धर्मवीर सिंह राठौर, सीनियर हाइड्रोलॉजिस्ट

 

वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए अवेयर किया जा रहा है। शासनादेश के मुताबिक बगैर वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के नक्शा पास नहीं किया हो रहा है। निरीक्षण में अगर नियमों की अनदेखी मिली तो कार्रवाई की जाएगी।

सुरेंद्र कुमार , वीसी, बीडीए

 

रेलवे के जो भी नए भवन बन रहे हैं, वहां पर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग बनाए जाने का काम किया जा रहा है। लालकुआं और कासगंज में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए भी गए है। बाकी जगहों पर भी यह व्यवस्था की जा रही है।

राजेंद्र सिंह, पीआरओ, इज्जतनगर डिवीजन, एनआईआर

 

रेन वॉटर हार्वेस्टिंग है जरूरी

शासन ने शहरी क्षेत्र में 300 स्क्वॉयर फीट से अधिक के निर्माण पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया है। सरकारी भवनों में भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे निर्माण के लिए नक्शा इसी शर्त पर मंजूर किया जाता है कि उनमें यह सिस्टम लगाएंगे। हालांकि, नक्शा पास करने के बाद बीडीए यह देखने की जहमत भी नहीं उठाता कि निर्माण करने वालों ने शर्त का पालन किया है या नहीं। सभी विभागों को इस बावत निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन कुछ को छोड़कर कहीं भी यह सिस्टम नहीं लगाया गया है। ऐसे में बारिश का सारा पानी यूं ही बह जाता है।

 

बरसात के पानी बर्बाद

एक अनुमान के मुताबिक यदि 1 सेमी बारिश होती है तो हजार वर्ग फीट की छत से 1 हजार लीटर पानी बह कर निकल जाता है। यदि औसत बारिश 100 सेमी। होती है तो इस हिसाब से एक वर्षा काल में 1000 वर्गफीट की छत से लगभग 1 लाख लीटर पानी जल स्त्रोत तक पहुंचाया जा सकता है। यह सिर्फ एक छत की बात है। बरेली में ऐसे सैकड़ों आवास हैं। जिनकी छत 1 हजार वर्ग फीट से अधिक है। वहीं, लगभग हर घर की छत 1 हजार वर्ग फीट होगी। ऐसे करीब 1 लाख आवासों से अनुमान के मुताबिक एक वर्षा काल में करीब 10 अरब लीटर पानी धरती के गर्भ तक नहीं पहुंच पा रहा, जो सड़कों पर जलभराव की वजह साल दर साल बन रहा है।

 

क्या कहते हैं आंकड़े

आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले एक दशक में बरेली में करीब 10 हजार से ज्यादा नए भवन बने हैं। विकास प्राधिकरण ने इसमें 40 परसेंट के नक्शे पास किए हैं। शर्त यह है कि निर्धारित जमीन से अधिक भू-भाग पर आवास बनेगा तो वहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगेगा। इसकी जिम्मेदारी बीडीए की है। उसी को इसका पालन कराना है लेकिन एकता नगर, सिविल लाइन, रामपुर गार्डन, बिहारीपुर, डीडीपुरम, सौ फुटा समेत अन्य इलाकों में भवन बने पर नियमों का पालन नहीं हुआ। पीलीभीत मार्ग, स्टेडियम मार्ग, नैनीताल, बदायूं मार्ग पर 50 से ज्यादा बड़ी-बड़ी कॉलोनियां काटी गई। यहां भी नियमों का पालन नहीं हुआ।

 

कमीशन का है खेल

सूत्रों के मुताबिक एक वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर करीब 25 हजार से अधिक खर्च आ रहा है, इसलिए बीडीए के इंजीनियर ही मकान स्वामियों को नहीं लगाने का रास्ता सुझा देते हैं। कमीशन का लंबा खेल चल रहा है। मुख्यमंत्री जल बचाओ अभियान के तहत सरकारी विभागों में बने रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को भी सुचारू करना है। कलेक्ट्रेट, विकास भवन, कमिश्नरी समेत अन्य विभागों में सिस्टम तो बने हैं लेकिन ज्यादातर खराब हो गए हैं। ऐसे में जल बचे तो कैसे? जब सरकारी कार्यालयों का यह हाल है, तो प्राइवेट कॉलोनी व मकानों की बात तो दूर की कौड़ी है।

 

कैसे तैयार करें रेन वॉटर हार्वेस्टिंग

एक्सपर्ट की मानें तो रेन वॉटर हार्वेस्टिंग से अंडर ग्राउंड वॉटर लेवल को बनाए रखने के साथ ही जलभराव की समस्या से भी निजात पाई जा सकती है। 50 हजार की कीमत से बनने वाला वॉटर हॉर्वेस्टिंग पिट 10 लाख लीटर पानी मात्र दो घंटे में ऑब्जर्व कर सकता हैं। 50 हजार में 6 फीट लम्बा-चौड़ा, 6 इंच बोरिंग के हिसाब से 30 फीट गहरा वॉटर हार्वेस्टिंग पिट का निर्माण आसानी से किया जा सकता है। सबसे पहले 2 फीट ईट का अद्धा व पौना, 2 फीट 80 एमएम का पत्थर, 40, 20 और फिर 10 एमएम की बजरी 2-2 फीट, उसके बाद मोटा रेता और फिर उसे स्लैब से ढंक दें। स्लैब में जगह-जगह होल होना आवश्यक हैं। जिससे बारिश का पानी अंदर जा सके।

 

एक नजर में

- 14 लाख है नगर निगम की आबादी

- 1.4 लाख पक्के आवास है बरेली में

- 56 सरकारी विभागों के हैं कार्यालय

- 350 प्राइवेट हॉस्पिटल और क्लिनिक

- 6 सौ प्राइवेट, गवर्नमेंट स्कूल व कॉलेज

- 40 होटल, 3 सौ मैरिज हॉल व हजारों दुकानें

Posted By: Inextlive