GORAKHPUR : रेलवे की एंबुलेंस सेवा फ्लॉप होती नजर आ रही है. तीन स्टेशन के बीच दो एंबुलेंस और एक डॉक्टर होने से स्टेशन पर घायल यात्रियों की शामत आ जाती है. गोरखपुर जंक्शन या फिर ट्रेन में घायल यात्रियों के इलाज के लिए रेलवे प्रशासन की तरफ से रेलवे डाक्टर और एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है. लेकिन हैरत की बात यह है कि यह व्यवस्था सिर्फ दिखाने के लिए है. क्योंकि यात्रीमित्र में तैनात कर्मचारियों की माने तो इतने बड़े जंक्शन पर घायल या फिर बीमार यात्रियों के लिए अलग से प्राथमिक केंद्र होने चाहिए. ताकि समय रहते घायल यात्रियों का इलाज हो सके. जबकि ऐसा नहीं होता है.


होता क्या है हम आपको बताते हैंअगर कोई यात्री जंक्शन पर घायल हो जाता है या फिर ट्रेन में बीमार हो जाता है तो सबसे पहले वह कोच कंडक्टर को इंफार्म करता है। कोच कंडक्टर कामर्शियल टीम को बताता है। तब जाकर जंक्शन पर स्थित यात्री मित्र रेलवे के डॉक्टर को कॉल करता है। अगर डॉक्टर खाली रहे तो ठीक वरना बिना घायल यात्री को आरपीएफ किसी तरह हॉस्पिटल पहुंचाती है। इस बारे में डिप्टी एसएस कामर्शियल ने बताया कि वैसे तो हमारी यही कोशिश रहती है कि रेलवे डॉक्टर मौके पर पहुंचे। लेकिन कई बार डॉक्टर लेट हो जाते हैं। इसके अलावा यात्री मित्र की तरफ से जो बाते आईनेक्स्ट को बताई गई। वह काफी चौकाने वाली हैं। तीन स्टेशन के बीच दो एंबुलेंस


यात्री मित्र के मुताबिक, गोरखपुर जंक्शन, छावनी और डोमिनगढ़ स्टेशन पर अगर कोई यात्री घायल हो जाता है तो उसके लिए एलएन हॉस्पिटल का एक ही डाक्टर जाएगा। इसी बीच अगर किसी को एंबुलेंस की जरूरत पड़ गई तो मौके पर एंबुलेंस भी नहीं मिलेगा। क्योंकि रेलवे हॉस्पिटल के पास मात्र दो एंबुलेंस है। अगर सेम डेज सेम टाइम तीनों स्टेशन पर घटना हो जाए तो फिर दो स्टेशन के घायल यात्री का इलाज भी संभव नहीं है। अभी हाल ही में 3 जून की घटना है। जब छावनी डोमिनगढ़ और गोरखपुर जंक्शन पर तीन यात्री ट्रेन की चपेट में आ गए और उनका इलाज नहीं हो सका। जिसके कारण छावनी स्टेशन के पास पड़े सोनू की मृत्यु हो गई। हालांकि यात्री मित्र ने एंबुलेंस न होने के कंडीशन में सोनू को बचाने के लिए 108 नंबर की सर्विस भी ली थी। उसके बाद भी ïउसकी जान चली गई।इसलिए चली जाती है जान यात्री मित्रों ने बताया कि अगर किसी घायल यात्री को रेलवे के डॉक्टर द्वारा केस को रेफर किया जाता है तो उस कंडीशन में कई बार डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज वाले घायल यात्री को जल्दी एडमिट नहीं करते हैं। इस चक्कर में आरपीएफ जवान घायल यात्री को लेकर इधर-उधर भटकता रहता है। कई बार तो इसी चक्कर में बीच रास्ते में घायल यात्री की मौत हो जाती है। बचाई जा सकती है जान

यात्री मित्रों की माने तो इतने बड़े जंक्शन पर घायल यात्रियों और बीमार यात्रियों के इलाज के लिए अलग से डाक्टर्स और तीन एंबुलेंस की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि ऑन स्पॉट घायल यात्री और बीमार यात्री का इलाज हो सके। शायद डाक्टर्स की तैनाती से कई बेगुनाहों की जान बचाई जा सकती है। यात्री मित्र को नोट कराए गए घटना 3 जून-गोरखपुर जंक्शन के इस्ट केबिन के पास एक का हाथ कट गया। 3 जून-जगतबेला स्टेशन के पास यार्ड में एक व्यक्ति ट्रेन से कट गया।2 जून-  डोमिनगढ़ स्टेशन के पास एक व्यक्ति का घायल अवस्था मिला। 26 मई - सत्याग्रह एक्सप्रेस के में एक व्यक्ति इलाज न होने से मर गया। 25 मई - प्लेटफार्म नंबर तीन पर एक व्यक्ति अचेत अवस्था में पड़ा रहा.    24 मई - जगतबेला स्टेशन पर महिला की डेडबॉडी मिली। 23 मई - जगतबेला स्टेशन के पास एक व्यक्ति अप लाइन पर कटा पड़ा रहा.   नोट- यात्री मित्र द्वारा यह घटना मिले हैं। घायल यात्रियों को प्रॉपर इलाज कराना प्राथमिकता होती है। रहा सवाल रेलवे डॉक्टर और एंबुलेंस का तो कोशिश होती है वह समय से आ जाए। ताकि यात्री को समय रहते इलाज के लिए भेजा जा सके। -राममूर्ति, स्टेशन मैनेजर, गोरखपुर जंक्शन

Posted By: Inextlive