- कलेक्ट्रेट के असलहा विभाग से गायब शस्त्र लाइसेंस की फाइलों में छिपे हैं फर्जीवाड़े के राज

-पहले भी यहां हो चुके हैं कई कारनामे, शातिर अपराधियों को भी जारी हो चुके शस्त्र लाइसेंस

-बीते साल लाइसेंस रिन्यूअल में हुआ था बड़ा खेल, दर्जनों लोगों के लाइसेंस फर्जी तरह से किए गए थे रिन्यू

KANPUR: कलेक्ट्रेट का असलहा विभाग अपने कारनामों से हमेशा चर्चा में रहता है। कभी यहां डीएम के फर्जी साइन से दर्जनों शस्त्र लाइसेंस जारी कर दिए जाते हैं तो कभी शातिर अपराधियों को असलहे का लाइसेंस दे दिया जाता है। इस बार तो हद ही हो गई, दुर्दात विकास दुबे समेत 200 लोगों की असलहा की फाइल डीएम ऑफिस स्थित असलहा विभाग से गायब हो गई हैं। इनमें विकास के गैंग के कई शातिरों और हिस्ट्रीशीटर रामदास सहित कई भूमाफियाओं की भी फाइले हैं। मामले में एडीएम ने जांच के आदेश दिए हैं। वहीं कोतवाली पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पत्रावली मांगी है।

पूर्व असलहा बाबू पर एफआईआर

विकास दुबे और रामदास के लाइसेंसी आ‌र्म्स का मामला सामने आया तो शासन और प्रशासन भी अलर्ट हो गया। आननफानन कोतवाली थाने में पूर्व असलहा बाबू विजय रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई। लेकिन सवाल ये उठता है कि फाइलों के पैर तो होते नहीं हैं, ऐसे में ये गई तो कहां गई। फाइलें गुम हो गई हैं या कर दी गई हैं। विजय रावत की मानें तो वह 2008 में कानपुर देहात से असलहों की इन फाइलों को लेकर आए थे और बड़े बाबू को दे दी थीं लेकिन इसकी कोई रिसीविंग उनके पास नहीं है।

फर्जीवाड़े की कलई खुलती

विजय के मुताबिक, बड़े बाबू ने फाइलें अलमारी में रखवा दी थीं। कुछ समय बाद ही चेयरमैन रेवेन्यू बोर्ड का आकस्मिक निरीक्षण भी हुआ था। उस दौरान तमाम फाइलें वहां से हटवाई गई थीं। आशंका जताई जा रही है कि उन फाइलों के साथ ही कहीं शस्त्र लाइसेंस की फाइलें भी न हटा दी गई हों। फिलहाल अभी भी प्रशासन की टीम फाइलों की तलाश कर रही है। सोर्सेज का कहना है कि अगर विकास दुबे व अन्य शातिरों की शस्त्र लाइसेंस फाइल सामने आती तो कई बड़े फर्जीवाड़े सामने आ सकते हैं जिसके चलते फाइलों को ही गायब कर दिया गया।

विकास समेत कई लोगों की गुम हुई फाइलें

बिकरू के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे की शस्त्र लाइसेंस फाइल के साथ ही कलक्ट्रेट से कुल 173 फाइलें गायब हुई थीं। इसमें दिवंगत पूर्व मंत्री कमलरानी वरुण की भी फाइल शामिल है। बिकरू कांड के बाद एसआईटी और जांच आयोग की टीमों ने जब विकास दुबे से संबंधित पुराने मुकदमों का ब्योरा तलब किया। साथ ही जिला प्रशासन की ओर से विकास और अन्य आरोपियों के शस्त्र लाइसेंस निरस्त कराने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसी दौरान विकास की शस्त्र लाइसेंस की फाइल तलब की गई थी। डीएम ने ये फाइल तलाश कराई, लेकिन नहीं मिली। इस पर जांच बैठा दी गई थी। तब तत्कालीन सहायक शस्त्र लिपिक विजय रावत से पूछताछ की गई और उन्हें दोषी मानते हुए टयूजडे रात कोतवाली थाने में गबन के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया गया। अधिकारियों के मुताबिक शस्त्र लाइसेंस संख्या 131 से लेकर 303 तक की कुल 173 फाइलें काफी समय से गायब हैं।

इन लोगों की फाइलें भी गायब

दिवंगत पूर्व मंत्री कमल रानी वरुण, चौबेपुर निवासी रामबाबू गुप्ता, घाटमपुर निवासी वीरेंद्र सिंह, अबा बकरपुर निवासी दिलीप कुमार, गबड़हा गांव निवासी जगरूप सिंह, घाटमपुर निवासी भवनेश सिंह, घाटमपुर के जवाहर नगर निवासी सतेंद्र नाथ, गोड़रा निवासी देवेंद्र सिंह।

पुलिस ने मांगी प्रशासनिक जांच रिपोर्ट

इधर कोतवाली में दर्ज हुए मुकदमे की विवेचना शुरू हो गई है। थाना प्रभारी ने प्रशासन की जांच रिपोर्ट मांगी है। ताकि फाइलों की जिम्मेदारी संभालने वालों से पूछताछ की जा सके। थाना प्रभारी संजीवकांत मिश्र ने बताया कि मामले में प्रशासनिक जांच रिपोर्ट आने के बाद ही विवेचना होगी।

ये वजह तो नहीं

विकास दुबे समेत तमाम फाइलों का गुम होना कहीं बड़ा षडयंत्र तो नहीं। बताते चलें कि विकास दुबे के गिरोह के लोगों के एनकाउंटर के बाद बहुत से खुलासे हुए थे। जिसमें फर्जी लाइसेंस बनाने का मामला भी था। जानकारों का मानना है कि विकास से जुड़े लोगों के चाहे वो अमर दुबे हो या जय बाजपेई। सभी के लाइसेंस कहीं न कहीं फर्जी थे.विकास की मौत के बाद उसके और उससे जुड़े लोगों के आ‌र्म्स लाइसेंस की जांच शुरू हुई। एजेंसी की जांच के घेरे में कलक्ट्रेट के कई लोग फंस सकते थे। इस वजह से फाइलें गायब की गई हैं। कर्मचारी ही नहीं तत्कालीन अधिकारी भी इस जांच के घेरे में आ सकते थे।

Posted By: Inextlive