ब्रिटेन के इंस्टीट्यूट ऑफ़ कैंसर रिसर्च आईसीआर का कहना है कि ऐसे काफ़ी सबूत हैं जिनसे संकेत मिलते हैं कि मोबाइल फ़ोन को इस्तेमाल करने और दिमाग के कैंसर में कोई संबंध नहीं है.

कैंसर के शोध पर विश्व की अग्रणी संस्थाओं में से एक आईसीआर का कहना है कि लगभग पूरी दुनिया में मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल के बावजूद ट्यूमर होने की घटनाओं में विशेष वृद्धि नहीं हुई है।

एनवायरनमेंट हेल्थ परस्पेक्टिवज़ पत्रिकार में छपी आईसीआर की रिपोर्ट में मोबाइल के इस्तेमाल और कैंसर से संबंधित कई अध्ययन में खामियाँ होने की बात कही गई है।

ग़ौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल में कहा था कि मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल से कैंसर होने की संभावना हो सकती है।

'दिमाग के ट्यूमर के मामले नहीं बढ़े'
मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल और कैंसर में संबंध पाने के लिए किए गए एक अहम अध्ययन में दिमाग के ट्यूमर के 2708 मरीज़ों की तुलना इतने ही उन लोगों से की गई थी जिन्हें दिमाग का ट्यूमर नहीं था।

बीबीसी के स्वास्थ्य मामलों के रिपोर्टर जेम्स गैलाघर के अनुसार इस अध्ययन में पाया गया था कि जो लोग मोबाइल का काफ़ी ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं उनमें कैंसर होने का ख़तरा बढ़ जाता है।

आईसीआर संस्था के प्रोफ़ेसर एंथनी स्वर्डलो का कहना है कि पिछले 20 साल में जहाँ पहले मोबाइल का इस्तेमाल कभी-कभी होता था, वहीं आज ये इतना बढ़ गया है कि दुनिया भर में 4.6 अरब मोबाइल उपभोक्ता हैं।

उनका कहना है कि इसके बावजूद पश्चिमी देशों से मिल रहे सबूतों से संकेत मिलते हैं कि दिमाग के ट्यूमर के मामलों में कोई ख़ास वृद्धि नहीं हुई है।

लेकिन रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अब भी इस मामले में अनिश्चितता बनी हुई है।

कैंसर रिसर्च यूके की डॉक्टर जोआना ओवेन्स कहती हैं, "हमारे पास बहुत देर तक मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल के असर के आंकड़े नहीं हैं। बच्चों पर इसके असर और कैंसर के ख़तरे के बारे में भी आंकड़े नहीं हैं, इसीलिए बेहतर ये होगा कि बच्चों के मोबाइल फो़न इस्तेमाल को सीमित ही रखा जाए."

Posted By: Inextlive