आईआईटी में था 'भूकंप' पर सेमीनार, तभी जलजले ने हिला डाला
- जिस वक्त भूकंप आया, आईआईटी के पीबीईसी कांफ्रेंस हॉल में चल रहा था भूकंप पर सेमिनार
- झटका आते ही सेमिनार में हलचल, मंच पर मौजूद एक्सपर्ट्स की सूझबूझ से नहीं मची भगदड़ KANPUR : इसे महज संयोग ही कहा जाएगा कि जिस वक्त शहर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। ठीक उसी वक्त आईआईटी में 'भूकम्प' टॉपिक पर सेमीनार चल रहा था। जहां नेपाल जाकर रिसर्च करने वाली टीम एमटेक स्टूडेंट्स व मीडिया के सामने अपनी फाइंडिंग की जानकारी दे रही थी। हालांकि, वहां मौजूद एक्सपर्ट्स की बदौलत संस्थान में किसी तरह की भगदड़ नहीं मची। मच गई खलबलीआईआईटी के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर दुर्गेश राय अपनी टीम के साथ नेपाल में आए भूकम्प पर रिसर्च करने काठमांडू गए थे। ट्यूजडे को उन्होंने अपनी रिसर्च शेयर करने के लिए मीडिया को बुलाया। इस मुद्दे पर सेमीनार स्टार्ट हुआ ही था कि अचानक अर्थक्वैक आ गया और आईआटी के पीबीईसी हाल में खलबली मच गई। स्टूडेंट्स किसी तरह वहां से जान बचाकर हॉल से निकलने वाले ही थे कि एक्सपर्ट प्रोफेसर डीसी राय को शांत होकर बैठने को कहा।
समझते देर नहीं लगीआईआईटी सिविल इंजीनियरिंग में डुअल डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई कर रही अनु त्रिपाठी ने बताया कि पहले लगा कि पैर हिला रहा है। जैसे ही प्रोजेक्टर पर नजर पड़ी तो समझ में आ गया कि भूकंप आया है। वह दरवाजे के पास बैटी थी। अभी वह भागने की सोच रही थी कि प्रोफेसर राय ने स्टूडेंट्स भाग रहे तो उन्होंने सभी को चुपचाप बिठा दिया और लेक्चर देने लगे। डुअल डिग्री प्रोग्राम के स्टूडेंट अभिजीत गुप्ता ने बताया कि जैसे ही फील हुआ तो समझ में आ गया कि भूकंप आ गया है। हॉल से बाहर निकलने के लिए खड़ा हुआ तो सर की नजर पड़ गई तो तुरंत बिठा दिया।
भूकंपरोधी इमारते बनाना ही उपायप्रोफेसर डॉ। डीसी राय के साथ डॉ। वैभव सिंहल, ललित सागर और भूषण राज एस एक हफ्ते के लिए भूकंप की स्टडी करने यूपी, बिहार व नेपाल गए थे। उनका कहना था कि सीतामढ़ी, रक्सौल में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। कानपुर, लखनऊ, फैजाबाद, बस्ती, गोंडा, गोरखपुर, मोतीहारी, वीरगंज, नेपाल का जायजा लिया। प्रोफेसर राय व उनकी टीम का कहना था कि नेपाल में नॉर्म्स के विपरीत जो मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनाई गई। उन्हें इस भूकंप में जबरदस्त नुकसान हुआ है। एपीसेंटर के पास बाई रोड पहुंचने में अभी समय लगेगा। गोरखा जिले में हवाई यात्रा करके ही पहुंचा जा सकता है। सेमिनार में सुरेश ऐलावादी ने कहा कि भूकंपरोधी इमारतें बनाना ही एक मात्र उपाय है।