Lucknow: केजीएमयू ने लास्ट इयर 84 से ज्यादा संस्थानों के साथ मिलकर ब्लड डोनेशन कैम्प लगवाए. इसका फायदा भी हुआ और बड़ी संख्या में जरुरतमंद मरीजों को ब्लड भी मिला. लेकिन इनमें से कुछ संस्थाएं होशियार निकली और उन्होंने डोनेशन हुए रक्त का धंधा करना शुरू कर दिया. एक-एक यूनिट रक्त का 2 से ढाई हजार में सौदा भी शुरू कर दिया. ब्लड बैंक कर्मियों को इसकी जानकारी हुई जिसके बाद केजीएमयू प्रशासन इस जीवनदायी रक्त के बेजा इस्तेमाल पर लगाम लगाने की तैयारी में है ताकि सिर्फ जरूरतमंदों को ही रक्त मिले.

ऐसे होता है ब्लड डोनेशन

कोई भी संस्था जब ब्लड डोनेशन कैम्प कराती है तो ब्लड बैंक सभी डोनर्स के नाम पर एक-एक डोनेशन कार्ड देती है। इस एक कार्ड के बदले डोनर अगले एक साल के दौरान अपने लिए, परिवार या दोस्तों को इमरजेंसी में जरूरत पडऩे पर एक यूनिट ब्लड बिना डोनेशन के ले सकता है, लेकिन ब्लड डोनेशन करने वाली संस्थाएं ज्यादा होशियार निकली। उन्होंने ये कार्ड अपने पास ही रखने शुरूकर दिए और डोनर्स को कुछ नहीं मिला।

मिल रहीं थीं शिकायतें

पिछले कुछ महीनों के दौरान ब्लड बैंक को इसकी शिकायतें मिली कि ब्लड डोनेशन कैम्प कराने वाली कुछ संस्थाएं डोनर कार्ड का गलत इस्तेमाल कर रही हैं। कुछ लोग डोनर कार्ड लेकर ब्लड लेने आए जब उनसे इसके सोर्स के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि इस कार्ड के लिए उन्होंने 1500 से 2500 रुपए तक पे किया है। जिसके बाद ब्लड बैंक ने निर्णय लिया कि इस पर लगाम लगानी जरूरी है।

अब सीधे डोनर को मिलेगा कार्ड

केजीएमयू में ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की एचओडी डॉ। तूलिका चन्द्रा ने बताया कि अब किसी संस्था को ब्लड डोनर कार्ड नहीं दिए जाएंगे। ये कार्ड अब ब्लड डोनेट करने के तुरंत बाद डोनर को ही दे दिया जाएगा। प्रत्येक डोनर की यूनीक आईडी होगी। जिसका डेटा ब्लड बैंक के पास होगा।

इसमें पहले की ही तरह की फैसिलिटी होंगी। अगर डोनर या रक्तदाता को कभी अपने या रिश्तेदार या दोस्त के लिए इमरजेंसी में ब्लड की जरूरत पड़ती है तो वह स्वयं अपना कार्ड लेकर ब्लड बैंक आएगा। साथ ही उसे एक आइडेंटिटी दिखानी होगी। उसके पश्चात उसे एक यूनिट रक्त दे दिया जाएगा। इसके लिए उसे दोबारा ब्लड डोनेशन नहीं करना पड़ेगा।

संस्थाओं का भी रख जाएगा ख्याल

डॉ। तूलिका चन्द्रा के अनुसार ब्लड डोनेशन कैम्प कराने वाली संस्थाओं का भी ख्याल रखा जाएगा। जितने ब्लड डोनेशन वह कराएंगी उसका 10 परसेंट संख्या में ब्लड सप्लाई कार्ड संस्था को भी दिए जाएंगे। ये डोनर कार्ड से अलग होंगे। हर कार्ड के बदले संस्थाओं को ब्लड देंगे। कुछ संस्थाओं को इस व्यवस्था से दिक्कत हो सकती कै, लेकिन जो वास्तव में नेक काम के लिए रक्तदान करा रही हैं उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। हमारा सिर्फ एक मकसद है कि स्वैच्छिक रक्तदान का लाभ जरुरतमंद लोगों को ही मिले।

कहां जाता है ब्लड

डॉ। तूलिका चन्द्रा ने बताया कि स्वैच्छिक रक्तदान से आया हुआ रक्त इमरजेंसी में बच्चों को, प्रसव के लिए आई महिलाओं के लिए और ट्रामा सेंटर में मरीजों के लिए प्रयोग किया जाता है। साथ ही बेसहारा मरीजों और उन मरीजों को जिनके परिजन ब्लड नहीं दे सकते या रक्तदान करने के लिए एलिजिबल नहीं है उन्हें दिया जाता है। विभाग 200 यूनिट से ज्यादा रक्त हर माह इन मरीजों को फ्री में उपलब्ध कराता है। मरीज का इलाज कर रहे डॉक्टर ही यह तय करते हैं कि किस मरीज को बिना डोनेशन रक्त की जरूरत है। यह इमरजेंसी में मरीजों की की सहायता के लिए है ताकि उनकी जान बचाई जा सके। इसके अलावा हीमोफीलिया और एचआईवी पेशेंट्स को भी ज्यादातर बिना डोनेशन के ब्लड देना होता है। इन मरीजों की इस स्तर पर सहायता तभी सम्भव है जब लोग ज्यादा से ज्यादा रक्तदान के लिए आगे आएं। उन्होंने बताया कि 2013 में 84 संस्थाओं की मदद से कुल 78 हजार यूनिट रक्त मरीजों को दिया गया। वही 2012 में 67 संस्थाओं रक्तदान कराया।

क्या कहते हैं अधिकारी

पिछले कुछ महीनों में डोनर कार्ड के मिसयूज की शिकायतें मिली हैं। जिसके बाद डोनर कार्ड सीधे डोनर को ही देने का निर्णय लिया गया है। डोनर को जब जरुरत होगी उसे ब्लड दिया जाएगा। संस्था को भी ब्लड सप्लाई कार्ड दिए जाएंगे।  

Posted By: Inextlive