Lucknow: नाम-गोपाल मणि त्रिपाठी...क्वालिफिकेशन-एमए हिंदी लिट्रेचर ...अचीवमेंट-कविता और भक्ति गीतों की अब तक पांच किताबें पब्लिश दो फिल्मों के सॉन्ग राइटर गीतों के कई कैसेट भी पूर्वांचल के बाजार में...फैमिली प्रोफाइल-भाई सीनियर आईएएस ऑफिसर एक बेटा आईएएस ऑफिसर तो दूसरा डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर... प्रोफाइल पढ़कर आपको यकीन हो गया होगा कि हम आपको किसी राइटर की जिंदगी से रूबरू कराने जा रहे हैं लेकिन आपको यह जानकर हैरत होगी कि यह प्रोफाइल किसी पेशेवर राइटर की नहीं बल्कि हजरतगंज कोतवाली की स्टेडियम चौकी में तैनात हेड कॉन्सटेबल की है. आश्चर्य में डालने वाली बात यह भी कि कम तनख्वाह में भी संघर्ष का जज्बा इतना मजबूत कि जहां एक बेटा पढ़ लिखकर आईएएस ऑफिसर बन गया तो दूसरा डिग्री कॉलेज का प्रोफेसर. बेटों के इतने ऊंचे ओहदे पर पहुंचने के बावजूद हेडकॉन्सटेबल त्रिपाठी को अपनी नौकरी पर गर्व है और वह रिटायरमेंट से पहले इसे छोडऩे को तैयार नहीं.

 

ग्रेजुएशन करते ही कर ली नौकरी

गोरखपुर निवासी आयुर्वेदाचार्य नाथधर त्रिपाठी के बेटे गोपाल मणि ने बताया कि कविताएं लिखने का शौक उनमें बचपन से ही था। शुरुआत में वह अपनी रफ कॉपी पर कविताएं लिखा करते थे। 1975 में बीए करने के बाद उन्होंने यूपी पुलिस ज्वाइन कर ली। कॉन्सटेबल की पोस्ट पर भर्ती हुए त्रिपाठी स्टेट के कई डिस्ट्रिक्ट में तैनात रहे इस दौरान उनकी शादी कमला देवी से हुई। परिवार बढ़ा और दो बेटे भी उनकी जिंदगी में आ गये। लेकिन इस दौरान उन्होंने अपने लिखने और पढऩे के शौक को थमने नहीं दिया। इसी का नतीजा रहा कि पुलिस ज्वाइन करने के करीब 16 साल बाद उन्होंने गोरखपुर यूनिवर्सिटी से हिंदी लिट्रेचर से एमए कर लिया। इसी दौरान उनका प्रमोशन हेड कॉन्सटेबल पद पर हो गया।

बच्चों को करते रहे प्रोत्साहित

हेड कॉन्सटेबल गोपाल मणि ने बताया कि कम तनख्वाह होने के बावजूद उन्होंने दोनों बेटों की पढ़ाई में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। लगातार प्रेरणा और प्रोत्साहन का ही नतीजा रहा कि बड़ा बेटा संजीव कुमार त्रिपाठी सन् 2000 में आईएएस में सेलेक्ट हो गया। वहीं, छोटा बेटा मनोज कुमार त्रिपाठी महाराष्ट्र के एक डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर बन गया।

बेटों को भी है पिता पर गर्व

समाज में धारणा बन चुकी है कि जब कोई शख्स किसी बड़े पद पर आसीन हो जाये तो उसे निचली पोस्ट पर काम करने वालों से बात तक करने में शर्म आती है, ऐसे समय में संजीव और मनोज को अपने पिता और उनकी नौकरी पर गर्व है। गोपाल बताते हैं कि बड़े पद पर पहुंचने के बाद भी उनके बेटों के व्यवहार में कोई भी बदलाव नहीं आया और वे अब भी सबके साथ पूरे अदब और सम्मान से पेश आते हैं। गोपाल मणि आज भी किराए पर रहते हैं और साइकिल से ही चलते हैं.

भाई हैं चीफ सेक्रेटरी

बातचीत के दौरान गोपाल मणि त्रिपाठी ने बताया कि उनके भाई सतीश चंद्र त्रिपाठी महाराष्ट्र के चीफ सेक्रेटरी हैं।

रिटायरमेंट के बाद राइटिंग को बनायेंगे पेशा

गोपाल मणि त्रिपाठी के रिटायरमेंट में अब सिर्फ दो साल बाकी हैं। उन्होंने बताया कि अभी तो ड्यूटी के बाद मिले समय में वह लेखन के शौक को पूरा करते हैं लेकिन रिटायरमेंट के बाद वह पेशेवर तरीके से इसे अपनाएंगे।

अब तक पब्लिश बुक्स

पा लो अपनी मंजिल (काव्य)

हमारे पावन पर्व, त्योहार और जयंतियां

विश्व बंधुत्व एवं मानवतावाद (गद्य)

भारत मां के चरणों में (खंड काव्य)

श्री गणेश (भक्ति गीत)

क्या कहते हैं अधिकारी

हजरतगंज इंस्पेक्टर अशोक कुमार वर्मा कहते हैं कि त्रिपाठी जी अपनी ड्यूटी पर हमेशा पंक्चुअल रहते हैं। उनकी फैमिली बैकग्राउंड को वह अपनी ड्यूटी पर कभी हावी नहीं होने देते। चौकी इंचार्ज स्टेडियम उदय प्रताप सिंह कहते हैं कि त्रिपाठी जी अपने ऑफिसर्स को पूरा सम्मान देते हैं और सहकर्मियों को पूरा सहयोग करते हैं। टाइम की पंक्चुअलिटी में तो उनके सामने नये लड़के भी फेल हो जाते हैं. 

 

Posted By: Inextlive