यूपी इलेक्शन-2017: 'ठेकेदार' उमाशंकर सिंह की 'विधायकी' छिनी
- चुनाव आयोग के अभिमत के बाद राज्यपाल ने किया बर्खास्त
- राज्य सरकार से गजट में सूचना प्रकाशित करने को कहा - लोकायुक्त जांच में विधायक रहते ठेकेदारी करने के मिले थे सुबूतLUCKNOW: राज्यपाल राम नाईक ने विधायक रहते हुए ठेकेदारी करने वाले बलिया की रसड़ा सीट से बसपा विधायक उमा शंकर सिंह की सदस्यता खत्म कर दी है। चुनाव आयोग से उमा शंकर सिंह की सदस्यता खत्म करने के संबंध में चार दिन पहले प्राप्त अभिमत के आधार पर राज्यपाल ने संविधान के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुये उमा शंकर सिंह का विधायक निर्वाचित होने की तिथि 6 मार्च, 2012 से विधान सभा की सदस्यता समाप्ति का निर्णय पारित किया है। उन्होंने अपने आदेश की प्रति चुनाव आयोग, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री तथा उमाशंकर सिंह को भेजी है। साथ ही मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि इसको राजकीय गजट में तुरंत प्रकाशित किया जाए। ध्यान रहे कि उमाशंकर सिंह को बसपा ने दोबारा रसड़ा सीट से प्रत्याशी घोषित किया है।
लोकायुक्त संगठन में थी शिकायत2012 में विधायक चुने गए उमाशंकर सिंह के खिलाफ एडवोकेट सुभाष चंद्र सिंह ने विगत 18 दिसंबर, 2013 को शपथ पत्र देकर लोकायुक्त संगठन में शिकायत की थी कि वे विधायक होने के बाद भी लोक निर्माण विभाग से सरकारी ठेके लेकर सड़क निर्माण का कार्य कर रहे हैं। तत्कालीन लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने जांच के बाद उमा शंकर सिंह को दोषी पाया था और 18 फरवरी, 2014 को अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेजी थी। मुख्यमंत्री द्वारा 19 मार्च, 2014 को यह प्रकरण चुनाव आयोग के परामर्श हेतु राज्यपाल को संदर्भित किया था। तत्कालीन राज्यपाल ने यह प्रकरण तीन अप्रैल, 2014 को चुनाव आयोग को भेज दिया था। चुनाव आयोग से तीन जनवरी, 2015 को अभिमत प्राप्त होने पर उमा शंकर सिंह ने राज्यपाल राम नाईक के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिये समय दिये जाने का अनुरोध किया था। इसके बाद राज्यपाल ने 16 जनवरी, 2015 को उनका पक्ष सुना।
पहले भी हो चुके हैं बर्खास्तराज्यपाल ने उमाशंकर सिंह के खिलाफ लगे आरोपों को सही पाते हुये 29 जनवरी, 2015 को उन्हें विधान सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। उनके साथ महराजगंज की फरेंदा सीट से चुने गये भाजपा विधायक बजरंग बहादुर की सदस्यता भी खत्म कर दी गयी थी। इस निर्णय के विरूद्ध उमा शंकर सिंह हाईकोर्ट चले गये जिस पर अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग प्रकरण में स्वयं शीघ्रता से जांच कर निर्णय से राज्यपाल को अवगत कराये और उसके पश्चात् राज्यपाल प्रकरण में संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत अपना निर्णय लें।